गंगोत्री एक मिथक, किसको मिलेगा गंगा मैया का आश्रीवाद..

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उत्तरकाशी: विधानसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं गंगोत्री विधानसभा सीट को लेकर गरमहाट तेज होने लगी है। क्योंकि प्रदेश नेतृत्व भी मानते है कि गंगोत्री विधानसभा का अभी तक मिथक कायम है कि जो पार्टी इस सीट को जितती है प्रदेश में सरकार भी उसकी ही बनती है। इस को लेकर चर्चाओं का माहौल फिर गर्म है। वहीं गंगोत्री में कांग्रेस पार्टी का लक्ष्य और प्रत्याशी विगत 20 सालों से एक ही नाम रहा है और इस बार भी लगभग टिकट उन्ही को मिलना तय है। वहीं गंगोत्री का कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत भी है। अगर बात करें भाजपा की तो पार्टी के दर्जनों वरिष्ठ कार्यकर्ता गंगोत्री से टिकट मांग रहें है जिसमें से लगभग चार लोग मुख्य है जिनमें भाजपा के जगमोहन रावत, शान्ति रावत, सूरत राम नौटियाल और सुरेश चौहान…

भाजपा के मुख्य दावेदार..

वहीं अगर जगमोहन रावत के राजनीतिक सफर पर प्रकाश डालते हैं तो जगमोहन रावत ने केवल भारतीय जनता पार्टी को ही अपना लक्ष्य बनाया है। वह अपनी युवा अवस्था से ही भारतीय जनता पार्टी की कार्यशैली से प्रभावित थे और जैसे ही वोटर बने भाजपा के साथ ही आगे बढ़े और लगतार पार्टी के लिए काम करते रहें। भारतीय जनता पार्टी ने भी उनकी कार्यशैली को देखते हुए उन्हें मण्डल कार्यकारणी में महामंत्री पद दिया और इसी तरह उन्हें पार्टी ने फिर विभिन्न पदों से सम्मानित करते हुए जिलाध्यक्ष से प्रदेश कार्यकारणी तक सम्मान दिया गया। आपको बता दें कि काग्रेस पार्टी का सीमान्त विकासखण्ड भटवाड़ी में लगातार 25 वर्षो से बनाए गए गढ़ को भी पहली बार मात देकर जगमोहन रावत ने पटकनी दी थी।

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भटवाड़ी विकासखंड में लगातार कांग्रेस के प्रमुख बने पर भाजपा को आस दी जगमोहन रावत ने और उन्होंने अपनी धर्मपत्नी को प्रमुख पद का उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस के गढ़ पर फतेह हासिल की। उसके बाद लगातार अपनी चाणक्य नीति से आजतक प्रमुख की सीट पर 15 सालों से कब्जा बनाए हुए है और वर्तमान में भी इनकी धर्मपत्नी प्रमुख हैं। जिससे उनको आने वाले विधानसभा चुनाव में सीधा लाभ भी मिलेगा। जगमोहन रावत गंगोत्री क्षेत्र की जनता की पहली पसंद बने हुए हैं। अपनी युवा अवस्था से आज तक वह भारतीय जनता पार्टी के साथ एक सच्चे सिपाही की तरह जुड़े हुए हैं। उन्होंने कभी भी दूसरी पार्टी की तरफ नहीं देखा भले ही नाराजगी जाहिर की।

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अगर बात करें शान्ति रावत की तो वह पत्नी स्व. गोपाल रावत जी की धर्मपत्नी है और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवा दी हैं। जिससे राजनीति की ओर इनका कभी भी लगाव नहीं रहा। आपको बता दें कि स्व. गोपाल रावत गंगोत्री क्षेत्र से 2 बार विधायक रहे हैं। 2017 को भाजपा से वह गंगोत्री से दूसरे समय विधायक बने थे पर उनका आकस्मिक निधन होने के बाद अब उनकी धर्मपत्नी शान्ति रावत इस सीट से दावेदारी पेश कर रही है। वहीं बात करें सूरत राम नौटियाल की तो वह भाजपा के वरिष्ठ नेता है और पूर्व में चारधाम उपाध्यक्ष भी रह चुके है और 2017 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके है और अब पुनः गंगोत्री विधानसभा से अपनी दावेदारी कर रहें है।

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अगर बात करें सुरेश चौहान की तो उनका राजनीतिक सफर काग्रेस पार्टी से शुरू हुआ और वह प्रमुख पद पर भी रहे। लेकिन वह प्रमुख पद पर तब रहे जब वह काग्रेस पार्टी में थे। सुरेश चौहान ने 2012 में पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और कुछ सालों बाद भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा से जुड़ने के बाद भी वह पार्टी मूल के न होने के कारण प्रश्नचिन्ह में घिरे रहे। सुरेश चौहान भी इस सीट से दावेदारी जता रहे हैं। समीक्षा के अनुसार सूत्रों की माने तो विपक्ष भी सबसे मजबूत उम्मीदवार जगमोहन रावत का मान रही है क्योंकि उन्होंने अपनी चाणक्य निति से तीन तीन बार बडे़ बडे़ विपक्षियों को पटकनी दी है।

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