कैसे किया जाता है किडनी की पथरी का इलाज? जानें इलाज की पूरी प्रक्रिया..
अगर किडनी में छोटे स्टोन है तो वो यूरिन के जरिए निकल जाते हैं पर अगर स्टोन की संख्या और साइज बड़ा है तो आपके पेट और निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। जब पत्थर बड़े हो जाते हैं तो वो चारों ओर घूमने लगते हैं जिससे तेज दर्द होता है, इस स्थिति से पहले ही आप जांच के जरिए स्टोन का पता लगा लें तो समय पर इलाज संभव होगा। किडनी स्टोन का इलाज करवाने के लिए आपको घरेलू नुस्खे आजमाने के बजाय डॉक्टर के पास जाकर सही इलाज करवाना चाहिए।
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किडनी स्टोन के लक्षण
किडनी में स्टोन होने पर आपको कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, इन लक्षणों के नजर आने पर आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और जांच करवाएं-
1- चक्कर आना
2- उल्टी आना
3- यूरिन में ब्लड आना
4- पीठ में तेज दर्द
5- पेट के आसपास दर्द होना
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किडनी स्टोन निकालने की प्रक्रिया
1- लक्षण नजर आने पर डॉक्टर एक्स-रे या सोनोग्राफी के लिए कहा जाता है।
2- कई मामलों में डॉक्टर सीटी स्कैन करवाने की सलाह भी दे सकते हैं।
3- इसके अलावा ब्लड और यूरिन का सैंपल भी लिया जा सकता है।
4- अगर रिपोर्ट में स्टोन हैं पर साइज छोटा है तो डॉक्टर दवा व पानी का इंटेक बढ़ाने की सलाह देते हैं।
5- अगर पत्थरी का साइज बड़ा है तो आपको क्लीनिकल ट्रीटमेंट करवाना पड़ सकता है। क्लीनिकल ट्रीटमेंट के बारे में हम आगे विस्तार से जानेंगे।
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किडनी स्टोन का क्लीनिकल इलाज
किडनी में स्टोन निकलने पर कई तरह से इलाज किया जाता है जिसमें ओपन सर्जरी भी शामिल है पर उसे आखिरी विकल्प माना जाता है, सर्जरी की नौबत न आए इसके लिए डॉक्टर पर्कुट्यूशन नेफोलिथोटॉमी, शॉक वेव लिथोट्रिप्स, यूरेएसोस्कोपी आदि तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं।
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यूरेटेरोस्कोपी (Ureteroscopy)
1- किडनी में स्टोन निकलने पर डॉक्टर यूरेटेरोस्कोपी से पथरी का इलाज कर सकते हैं।
2- इस तकनीक में यूरेट्रोस्कोप नाम के ऑप्टिक डिवाइस का यूज किया जाता है जिससे पत्थर को देखा जा सके।
3- इस प्रक्रिया में बिना चीरा लगाए स्टोन को शरीर से बाहर निकाला जाता है।
4- इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद व्यक्ति को 2 से 3 दिन आराम करना होता है।
5- इस प्रक्रिया के चलते सूजन को रोकने के लिए यूरिनरी ब्लैडर में स्टेंट डाला जा सकता है।
6- अगर स्टेंट डाला गया है तो वो 1 से 3 हफ्ते बाद हटाया जाता है।
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शॉक वेव लिथोट्रिप्स
1- किडनी में स्टोन का इलाज करने के लिए डॉक्टर शॉक वेव लिथोट्रिप्स का इस्तेमाल करते हैं।
2- इस प्रक्रिया में शरीर के बाहर शॉक वेव को बनाने के लिए लिथोप्रिटर नाम की मशीन यूज करते हैं।
3- ये मशीन शरीर के माध्यम से गुजरती है और किडनी के स्टोन को छोटे टुकड़ों में तोड़ने का काम करती है जो बाद में यूरिन ट्रेक्ट से निकल सकते हैं।
4- इस थेरेपी में मरीज को तुरंत घर ले जाया जा सकता है और वो सामान्य दिनचर्या में रह सकते हैं।
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पेर्कुट्यूशन नेफोलिथोटमी
1- पेर्कुट्यूशन नेफोलिथोटमी, किडनी स्टोन को निकालने की एक प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल किडनी में बड़े स्टोन को निकालने के लिए किया जाता है।
2- किडनी में पथरी का इलाज करने के लिए पेर्कुट्यूशन नेफोलिथोटमी नाम की प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है।
3- इस प्रक्रिया में स्टोन को नेफ्रोस्कोप की मदद से देखा जाता है ताकि साइज पता लगाया जा सके।
4- उसके बाद लेजर बीम की मदद से पत्थर को छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है।
5- उसके बाद वैक्यूम की मदद से टूटे पत्थरों को शरीर के बार निकाल लिया जाता है।
6- इस प्रक्रिया के बाद मरीज को 24 घंटे या उससे ज्यादा समय के लिए निगरानी में रखा जाता है।
7- सामान्य दिनचर्चा में लौटने में व्यक्ति को 7 से 15 दिन का समय लग सकता है।
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नोट- अगर आपको भी किडनी में स्टोन के लक्षण नजर आ रहे हैं तो आपको यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए और जांच के जरिए स्टोन की पुष्टि करवानी चाहिए।