प्यार, प्रेम, सौहार्द व भाईचारा का प्रतिक फूलदेई त्यौहार का परंपरानुसार हुआ समापन…
ऊखीमठ। लक्ष्मण नेगीः चैत्र माह की संक्रांति से शुरू हुए फूलदेई त्यौहार का घोघा विसर्जन व सामूहिक भोज के साथ समापन हो गया है। घोघा विसर्जित करते समय नौनिहालों की आंखें छलक उठी। फूलदेई त्यौहार के आठवें दिन ब्रह्म बेला पर नौनिहालों ने सभी घरों की चौखट पर अनेक प्रजाति के फूल बिखेर कर बसन्त आगमन का सन्देश दिया तथा ग्रामीणों ने नौनिहालों को दाल, चावल, मिठाई वितरित की। फूलदेई त्यौहार से आठ दिनों तक ग्रामीणों क्षेत्रों से लेकर मुख्य बाजारों में नौनिहालों के मांगल गीतों व फूलदेई त्यौहार की महिमा पर आधारित पौराणिक गीतों से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना रहा।
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बता दे कि क्षेत्र के सभी गांवों में चैत्र माह की संक्रांति से नौनिहालों द्वारा फूलदेई त्यौहार बडे़ उत्साह व उमंग से मनाया जाता है। फुलारी नौनिहालों द्वारा प्रति दिन ब्रह्म बेला पर घरों की चौखट में अनेक प्रजाति के पुष्प बिखेर कर बसन्त आगमन का सन्देश दिया जाता है तथा फुलारियों के नगर भ्रमण में घोघा नृत्य मुख्य आकर्षण रहता है। फुलारी नौनिहाल घरों की चौखट में पुष्प बिखेरते समय अनेक प्रकार के गीत गाकर फूलदेई त्यौहार की महिमा का गुणगान करते हैं। फूलदेई त्यौहार के आठवें दिन नौनिहालों भावुक क्षणों के साथ ब्रह्म बेला पर घरों की चौखट में अनेक प्रजाति के पुष्प विखेर कर मांगल गीतों में दाल चावल मांगते हैं तथा ग्रामीणों द्वारा दिये गये दाल चावल से सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है।
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घोघा की विशेष पूजा-अर्चना कर घोघा को एक वर्ष के लिए धार्मिक स्थल या फिर प्राकृतिक जल स्रोत के निकट विसर्जित किया जाता है। इसी परम्परा के तहत सोमवार को केदार घाटी के सम्पूर्ण क्षेत्र में फूलदेई त्यौहार का समापन परम्परानुसार हो गया है। फूलदेई त्यौहार के आयोजन से आठ दिनों तक ब्रह्म बेला पर क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना रहा। जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट ने बताया कि फूलदेई त्यौहार के आयोजन से नौनिहालों में प्यार, प्रेम, सौहार्द व भाईचारा देखने को मिलता है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि फूलदेई त्यौहार के आयोजन से नौनिहालों में भारी उत्साह व उमंग रहती है।
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स्थानीय निवासी विजय पंवार ने बताया कि फूलदेई त्यौहार के आयोजन तथा नौनिहालों द्वारा ब्रह्म बेला पर घरों की चौखट में फूल बिखेरने से हर घर सहित सम्पूर्ण क्षेत्र में वर्ष भर खुशहाली बनी रहती है। रासी निवासी आशा देवी बताती है कि फूलदेई त्यौहार के आठवें दिन ग्रामीणों द्वारा नौनिहालों को दाल, चावल व मिठाई वितरित करने की परम्परा आज भी जीवित है। क्षेत्र पंचायत सदस्य घिमतोली अर्जुन नेगी बताते है कि फूलदेई त्यौहार के आठवें दिन नौनिहालों द्वारा आयोजित सामूहिक भोज में शामिल होने से बचपन के यादें बहुत आती है।
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बसन्ती देवी ने बताया कि कुछ सामाजिक संगठनों के अथक प्रयासों से फूलदेई त्यौहार अब महोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा है। गडगू निवासी गीता देवी ने बताया कि फूलदेई त्यौहार के समापन अवसर पर नौनिहालों के साथ ग्रामीणों में भी भावुक क्षण देखने को मिलते है। सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल बजवाल ने बताया कि देवभूमि के लोक गायकों, साहित्यकारों व लेखकों ने भी फूलदेई त्यौहार की महिमा का गुणगान इतने गहरे शब्दों में किया है कि आज भी यदि फूलदेई त्यौहार से सम्बंधित गीत सुनने को मिलता है तो मन भावुक हो जाता है।
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