दल और सीट बदलनें के महारथी, पढ़ें हरक कथा..
उत्तराखंडः भाजपा ने बड़ा कदम उठाते हुए काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर दिया और साथ ही छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित भी कर दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के नेताओं ने हरक से बातचीत का प्रयास भी किया, लेकिन उनके बढ़ते कदमों को थमते न देख भाजपा ने कड़ा फैसला लेने का निर्णय कर लिया। देर रात को मुख्यमंत्री कार्यालय ने हरक की मंत्रीमंडल से बर्खास्तगी की पुष्टि हो गई थी। इस कार्रवाई के बाद हरक सिंह रावत भावुक हो गए और वह रोते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि “बीजेपी इतना बड़ा फैसला लेने से पहले मुझसे एक बार भी बात नहीं की। अगर मैं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल नहीं होता तो 4 साल पहले बीजेपी से इस्तीफा दे देता। मुझे मंत्री बनने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है, मैं सिर्फ काम करना चाहता था।” आपको बता दें कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण उनपर ये कार्रवाई हुई है। हरक सिंह रावत ने कहा कि “अब मैं निस्वार्थ होकर कांग्रेस को जीताने का काम करूं। हम पिछले पांच साल के नौजवान को रोजगार नहीं दे पाए, उत्तराखंड क्या नेताओं को रोजगार देने के लिए बनाया है।”
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भाजपा के अनुशासन तोड़ रहे हरक
कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत पिछले पांच सालों से बार बार भारतीय जनता पार्टी के अनुशासन की मखौल उड़ा रहे थे। यही कारण रहा कि अब कांग्रेस में जाने की चर्चाओं के बीच भाजपा को उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा। दरअसल डॉ. हरक सिंह रावत पिछले पांच सालों में कई बार पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर चुके थे। डॉ. हरक सिंह रावत को लेकर भाजपा के ग्रास रुट कार्यकर्ताओं में पहले से ही नाराजगी थी। उनके साथ ही कांग्रेस से आये नेताओं को पार्टी में ज्यादा ही तवज्जो दिए जाने से पार्टी में अंदरखाने खासी नाराजगी थी। आम कार्यकार्ता बाहर से आए नेताओं को कभी भी तवज्जो नहीं चाहते थे। इसके बावजूद डॉ. हरक सिंह रावत और उनके सहयोगी पार्टी को पांच सालों तक चलाते रहे। भाजपा नेतृत्व ने हर सम्भव कोशिश की की हरक सिंह रावत को पार्टी से जोड़ा रखा जाए लेकिन अब पानी सर से ऊपर होने और उनके कांग्रेस में शामिल होने के निर्णय के बाद पार्टी को उनके खिलाफ कदम उठाना पड़ा।
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हरक के खिलाफ इस वजह से हुई कार्रवाई
बता दें कि हरक सिंह रावत 2017 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। हालांकि वह पिछले लंबे समय से बीजेपी से नाराज भी चल रहे थे। हरक सिंह रावत लगातार अपनी नाराजगी को सार्वजनिक तौर पर जता भी रहे थे। बताया ये भी जा रहा है कि हरक सिंह रावत अपने अलावा अपनी बहू के लिए भी विधानसभा का टिकट मांग रहे थे। लेकिन बीजेपी ने साफ तौर पर उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि एक परिवार से दो लोगों को टिकट नहीं दिया जा सकता। इसके बाद हरक भाजपा कोर कमेटी की बैठक में पहुंचने की बजाय दिल्ली के चक्कर काट रहे थे। पार्टी पर लगातार दबाव बनाए हुए थे। हरक सिंह रावत हमेशा दबाव की राजनीति के लिए जाने जाते रहे हैं। वे भाजपा पर लगातार हर बार किसी न किसी चीज के लिए दबाव बनाए हुए थे। पहले उन्होंने कोटद्वार मेडिकल कालेज के नाम पर कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी देकर भाजपा को असहज किया। हालांकि उस दौरान हरक को मना लिया गया। मेडिकल कालेज को मंजूरी देने के साथ 25 करोड़ की स्वीकृति भी दी गई। इसके बाद भी हरक पार्टी पर दबाव बनाए हुए थे। इस बार दबाव अपने लिए केदारनाथ सीट और बहू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडोन सीट का बनाया जा रहा था। भाजपा में बात न बनती देख, वो कांग्रेस में बहू के लिए विकल्प तलाशने लगे। उनकी यही तलाश उन पर भारी पड़ी।
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भाजपा ने दिया कड़ा संदेश
भाजपा के इस फैसले के अनुशासन के लिहाज से कड़ा संदेश माना जा रहा है। पिछले काफी समय से हरक बगावती तेवर अपनाए हुए थे। पिछले दिनों कैबिनेट बैठक में इस्तीफे की धमकी दे चुके रावत लगातार कांग्रेस नेताओं के संपर्क में भी थे। हरक के आगे हर बार घुटने टेकने से खुद भाजपा के भीतर पसंद नहीं किया जा रहा था। हरक को बर्खास्त कर भाजपा ने साफ कर दिया है कि अब वो किसी दबाव में आने वाली नहीं है।
हरक बोले प्रदेश में बनेगी कांग्रेस की सरकार
पार्टी से बर्खास्त होने के बाद हरक सिंह रावत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। हरक सिंह रावत ने बड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि भाजपा संगठन ने बिना पूछे उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया है लेकिन अब वह कांग्रेस पार्टी के लिए काम करेंगे। यही नहीं हरक सिंह रावत ने यहां तक कहा कि उत्तराखंड राज्य में कांग्रेस इस बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी। हालांकि बयान देते हुए हरक सिंह रावत फूट-फूटकर रोते हुए भी नजर आए। आपको बता दें कि लंबे समय से हरक सिंह रावत के कांग्रेस में घर वापसी की चर्चाएं जोरों शोरों पर चल रही थी। इसी बीच कांग्रेस नेताओं से हरक सिंह रावत की नज़दीकियों का संज्ञान लेते हुए न सिर्फ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से निष्कासित कर दिया बल्कि भाजपा संगठन ने हरक सिंह रावत को पार्टी से भी 6 साल के लिए बर्खास्त कर दिया है। हरक सिंह रावत ने कहा कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उन्हें दिल्ली में मिलने के लिए बुलाया था। लेकिन ट्रैफिक के चलते थोड़ी देर हो गई। हालांकि वो उनसे और गृह मंत्री अमित शाह से मिलना चाहते थे, लेकिन जैसे ही मैं दिल्ली पहुंचा, तो उन्होंने सोशल मीडिया पर देखा कि भाजपा ने मुझे निष्कासित कर दिया।
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हरक का राजनीतिक सफर, दल बदलने में हैं माहिर
डाॅ. हरक सिंह रावत को दल बदलने में महारथ हासिल है। अपने राजनीतिक जीवन में अब वह पांचवीं बार किसी दूसरे दल का दामन थामेंगे। हरक के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो यह खासी रोचकता लिए हुए है। श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले हरक ने भाजपा व उसके आनुषांगिक संगठनों में कार्य किया। वर्ष 1984 में पहली बार वह भाजपा के टिकट पर पौड़ी सीट से चुनाव लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद वर्ष 1991 में उन्होंने पौड़ी सीट पर जीत दर्ज की और तब उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार में उन्हें पर्यटन राज्यमंत्री बनाया गया। उस समय वे सबसे कम आयु के मंत्रियों में शामिल थे। हरक को वर्ष 1993 में भाजपा ने एक बार फिर पौड़ी सीट से अवसर दिया और वे फिर से जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 1998 में टिकट न मिलने से नाराज हुए हरक ने भाजपा का साथ छोड़ते हुए बसपा की सदस्यता ग्रहण की। तब उन्होंने रुद्रप्रयाग जिले के गठन समेत अन्य कार्यों से छाप छोड़ी, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए।
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सीट बदलने को भी जाने जाते हैं हरक
उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2002 में हुए राज्य विधानसभा के पहले चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर लैंसडौन सीट से जीत दर्ज करने में सफल रहे। तब नारायण दत्त तिवारी सरकार में उन्हें मंत्री पद मिला, लेकिन बहुचर्चित जैनी प्रकरण के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। वर्ष 2007 में उन्होंने एक बार फिर लैंसडौन सीट से जीत दर्ज की। साथ ही उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिली। वर्ष 2012 के चुनाव में हरक ने सीट बदलते हुए रुद्रप्रयाग से चुनाव लड़ा और विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 2016 के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद हरक सिंह कांग्रेस के नौ अन्य विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें कोटद्वार सीट से मौका दिया और वह विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 2016 में दिए गए सहयोग के मद्देनजर पार्टी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया था।