RTI में खुलासाः विधायकों की मौज, उत्तराखंड पर कर्ज के बोझ। खजाने से 100 करोड़ हो चुके हैं विधायकों पर खर्च..

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Hillvani-Report-Uttarakhand

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उत्तराखंडः प्रदेश में जिस तरह से माननीयों के ठाठ-बाट हैं, सरकारी खर्चे हैं, उससे दूर-दूर तक इस बात का एहसास नहीं किया जा सकता कि यह वही उत्तराखंड है, जो हज़ारों करोड़ रुपये के कर्ज़ में डूबा हुआ है। अगर आप विधायकों के सरकारी खर्च ​का​ डेटा देखें या सुनें तो आपको भी हैरत हो सकती है। उत्तर प्रदेश से अलग होकर 2000 में उत्तराखंड बना था और तबसे देखा जाए तो माननीयों पर सरकारी खज़ाने का 100 करोड़ रुपया खर्च हो चुका है। इसका खुलासा आरटीआई में हुआ है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये हाल तब है जब उत्तराखंड पर करीब 72 हजार करोड़ का कर्ज है। उत्तराखंड राज्य की 2021-22 में अनुमानित जीडीपी 2.78 लाख करोड़ रुपये आंकी गई, जिसमें से कुल खर्च 57,400 करोड़ रुपये का रहा। 1 करोड़ से कुछ ही ज़्यादा की आबादी वाले इस छोटे राज्य पर 60,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कर्ज़ चढ़ा हुआ है। इन आंकड़ों के बाद यह भी एक फैक्ट है कि सरकारी कामकाज में खर्च पर कंट्रोल के निर्देश अक्सर जारी होते हैं, लेकिन विधायकों के खर्च का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।

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विधायकों के वेतन भत्तों पर खर्च हुए करोड़ों
उत्तराखंड राज्य गठन से लेकर नवंबर 2021 तक 21 सालों में यहां के विधायकों के वेतन भत्तों पर अब तक 96 करोड़ 42 लाख 29 हजार 105 रुपये खर्च हो चुके हैं। सबसे बड़ी बात है कि इनमें 13 करोड़ 45 लाख 45 हजार 875 रुपये वेतन का उन्हें भुगतान किया गया है, जबकि 82 करोड़ 98 लाख 93 हजार 230 रुपये का भत्तों जैसे निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, चालक भत्ता, सचिवीय भत्ता तथा मकान किराया भत्ता के लिए भुगतान किया गया है। जानकार मानते हैं कि कर्ज के बोझ तले डूब रहे राज्य में माननीयों के शाही खर्चों पर कंट्रोल होना चाहिए।

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20 साल में 20 गुना हो गया खर्च?
निर्वाचित सरकार में पहले साल 2002-03 में माननीयों के वेतन भत्ते पर एक साल का जो कुल खर्चा 80 लाख रुपये का था, वो अब बढ़कर हर साल 14 से 15 करोड़ तक पहुंचने लगा है। हालत ये है कि ये कुल खर्चा अब तक करीब 100 करोड़ पर पहुंच चुका है। अब इस स्थिति पर विशेषज्ञ भी चिंता जता रहे हैं।

प्रदेश पर 72 हजार करोड़ का कर्ज
यह हाल तब है जब उत्तराखंड पर 72 हजार करोड़ के लगभग का कर्ज है और अगर यही हालत रही तो अगले 3 साल में ये कर्ज 1 लाख करोड़ों रुपये के पास पहुंच जाएगा। राज्य की हालत ये है कि वेतन और पेंशन पर सबसे ज्यादा बजट का हिस्सा जाता है। राज्य सरकार का टोटल राजस्व वह यानी कुल बजट का 50 फीसद वेतन और पेंशन पर खर्च हो जाता है और विधायक कहते है ये सीएम का विवेक है कि वो विधायकों के खर्चे कम करते है या नहीं।

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उत्तराखंड फिजूलखर्ची में सबसे आगे
उत्तराखंड में फिजूलखर्ची की बात करें तो सबसे ज्यादा फिजूलखर्ची होती है। पिछले सालों के आंकड़े देखें तो अधिकारियों मंत्रियों के लिए हर बार नई लाखों की गाड़ियां आती हैं। उत्तराखंड जैसे छोटे पर्वतीय राज्य जिसके पास राजस्व इकट्ठा करने का संसाधन ज्यादा नहीं है लेकिन फिजूल खर्च करने में उत्तराखंड देश के राज्यों में अव्वल है।

आरटीआई में हुआ ये खुलासा
दरअसल आरटीआई एक्टिविस्ट नदीमुद्दीन ने एक आरटीआई दाखिल की थी जिसके जवाब में उत्तराखंड विधान सभा सचिवालय ने ये जानकारी उपलब्ध कराई है। आरटीआई एक्टिविस्ट के मुताबिक उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा के लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड के विधायकों को भुगतान किए गए वेतन भत्तों की वर्षवार सूचना मांगी थी। इसके जवाब में विधानसभा सचिवालय उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी हेम चंद्र पंत ने जानकारी दी कि प्रदेश में विधायकों के वेतन भत्तों पर 96.42 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

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आय बढ़ाने का दबाव, केंद्र से जुटाना होगा अनुदान
आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि राज्य सरकार को अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आय में बढ़ोतरी करनी होगी। उसे उन क्षेत्रों का चुनाव करना होगा, जहां से सरकार को अधिक आय प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा केंद्र सरकार से ज्यादा से ज्यादा अनुदान हासिल करने के लिए उसे समयबद्ध, रणनीतिक और लगातार प्रयास करने होंगे।

5 साल में 86 हजार करोड़ अनुदान लेने का अनुमान
राज्य सरकार ने केंद्र पोषित योजनाओं में अगले पांच साल में करीब 86 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त करने का अनुमान लगाया है। आयोग ने राज्य वित्त का जो मूल्यांकन किया है, उसके मुताबिक अनुमान है कि राज्य सरकार 2023-24 से लेकर 2026-27 तक की अवधि में प्रत्येक वर्ष औसतन 21 हजार करोड़ रुपये के हिसाब से अनुदान जुटा सकती है।

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कर्ज लेने का पूर्वानुमान
वर्ष कर्ज (करोड़ में)
2022-23 8982
2023-24 9855
2024-25 10810
2025-26 11855
2026-27 12994
(नोट: 2021-22 तक 73,477.72 करोड़ का कर्ज हो चुका है)

पंजाब की तर्ज़ पर लेना होगा एक्शन!
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आरटीआई एक्टिविस्ट नदीमुद्दीन के आवेदन पर यह आधिकारिक जानकारी दी गई। आरटीआई के इस खुलासे पर वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली का कहना है कि जिस तरह पंजाब ने विधायकों के खर्चों में कटौती की है ताकि राज्य की माली हालत बेहतर हो, उसी तरह उत्तराखंड सरकार को भी सोचना होगा। गौरतलब है कि पंजाब पर 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ है, जिसके लिए भगवंत मान सरकार ने विधायकों की पेंशन में कटौती का बड़ा फैसला किया।

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