क्या उत्तराखंड में खत्म होगी कांग्रेस? पार्टी में बगावत के सुर बुलंद, सोशल मीडिया यह चर्चा आम…
उत्तराखंडः प्रदेश में कांग्रेस में अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष के पद पर हुई ताजातरीन तैनातियों के बाद पार्टी के भीतर असंतोष की चिंगारी सुलगती दिखाई दे रही है। पार्टी के भीतर सुलग रहे इस असंतोष के बीच सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। राजनीतिक बाजारों से खबरें आ रही हैं कि आलाकमान के फैसले से नाराज पार्टी विधायकों का एक गुट आज बुधवार को बैठक कर सकता है। हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस खबर का खंडन किया है। वहीं जिलों से कार्यकारिणी के इस्तीफों की भी खबर आती रही।
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गढ़वाल मंडल को प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका
मंगलवार को सोशल मीडिया में कांग्रेस के दस विधायकों के पार्टी छोड़ने की खबर तेजी से वायरल हुई। इसके बाद नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भी विधायकों से संपर्क कर असल स्थिति जानने की कोशिश की। इसके बाद अध्यक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं ने ऐसी कोई बैठक होने से इनकार किया। दरअसल कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के पद पर हुए चयन को लेकर नाराजगी जताई जा रही है। पार्टी का एक धड़ा इस चयन में गढ़वाल की अनदेखी का आरोप लगाते हुए विरोध कर रहा है। इसके साथ ही कई पार्टी कार्यकर्ता प्रीतम सिंह को दरकिनार किए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं।
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नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर है ज्यादा नाराजगी
सबसे अधिक नाराजगी नेता प्रतिपक्ष को लेकर ही सामने आ रही है। भाजपा छोड़कर पुन: कांग्रेस में आए यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिया जाना कई विधायकों और उनके समर्थकों को हजम नहीं हो रहा है। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर करन माहरा की तैनाती को कांग्रेस के भीतर ही क्षेत्रीय असंतुलन बताकर विरोध जताया जा रहा है। इस बीच बुधवार को नाराज कांग्रेसी विधायकों की बैठक की सूचना ने कांग्रेस में दिनभर हंगामा मचाए रखा। मीडिया कर्मियों के साथ ही पार्टी के बड़े नेताओं की ओर से दिनभर विधायकों की लोकेशन की पड़ताल होती रही। उनसे संपर्क कर उनकी नाराजगी की स्थिति को भांपा गया। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इस तरह की सूचनाओं को भ्रामक करार दिया। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भी स्पष्ट किया कि उन्हें इस तरह की किसी बैठक की सूचना नहीं है।
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केंद्रीय नेताओं के आरोपों से आहत हूं: प्रीतम
गुटबाजी को लेकर केंद्रीय नेताओं के आरोपों से पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह बेहद आहत हैं। सोमवार के बाद मंगलवार को भी उनकी नाराजगी शांत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हाईकमान ने केंद्रीय नेताओं को हार के असल कारणों को तलाशने का काम दिया था, लेकिन उन्होंने असल कारणों को नजरअंदाज कर दिया। प्रीतम ने तल्ख तेवर में कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व बताए, उनका कसूर क्या है। जिन लोगों को राष्ट्रीय नेतृत्व जिम्मेदारी देता है, उनका दायित्व बनता है, वह सार्वजनिक रूप से कोई बयानबाजी न करें। जिसकी वजह से पार्टी को नुकसान होता है। अगर आपको कोई बात कहनी है तो पार्टी प्लेटफार्म पर कहें। उन्होंने खुद प्रदेश अध्यक्ष और उसके बाद नेता प्रतिपक्ष रहते हुए कभी भी सार्वजनिक रूप से बयानबाजी नहीं की।
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आरोपों की जांच कराए राष्ट्रीय नेतृत्व
प्रीतम ने कहा कि उन्होंने साफ तौर पर राष्ट्रीय नेतृत्व से कहा है, अगर पार्टी गुटबाजी की वजह से हारी है और उसमें उन पर भी शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है, उसकी जांच होनी चाहिए। राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश चुनाव की जिम्मेदारी जिन लोगों को सौंपी थी और हार की समीक्षा के लिए भेजा था, वह ऐसा बयान दे रहे हैं। ऐसे में जांच तो होनी ही चाहिए। उन्होंने वस्तुस्थिति से राष्ट्रीय नेतृत्व को अवगत नहीं कराया।
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हरदा की चुप्पी भी दे रहे बड़े संकेत
प्रीतम सिंह के अलावा कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत भी नई ताजपोशी के बाद से नो कमेंट के साथ चुप बैठे हुए हैं। हरीश रावत भी खुद को अब सभी निर्णय से किनारा कर रहे हैं। जब से प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। हरीश रावत ने सोशल मीडिया से लेकर किसी भी प्लेटफॉर्म पर कोई बयान नहीं दिया है। इसे भी हरीश रावत की नाराजगी से जोड़ा जा रहा है। कांग्रेस में सबसे बड़ी बगावत 8 से 10 विधायकों की मानी जा रही है। जो कि बैठक कर अपनी नाराजगी जताने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में इन सभी नाराज विधायकों के भाजपा से संपर्क में होने की खबरें भी लगातार सोशल मीडिया में चल रही है। विधायकों की नाराजगी यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाने को लेकर सामने आई है। इसमें गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों के विधायक हैं। गढ़वाल के विधायकों की नाराजगी इस बात से भी है कि सारे पद कुमाऊं को दे दिए हैं।
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