मतदाता बनने में क्यों पीछे हैं उत्तराखंड की महिलाएं?

0

उत्तराखंडः प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 की बाजी बिछ चुकी है। सभी पार्टियां जनता के बीच अपनी राजनीतिक उपस्थिति को लेकर चालें चल रही हैं। बीजेपी, कांग्रेस आप समेत तमाम राजनीतिक पार्टियां जनसभा और जनसंपर्क में जुटी हैं। लेकिन इनसब के बीच इस बार जो अलग नजारा सामने आ रहा है, वह है महिलाओं की चुनाव में भागेदारी… फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में किस पार्टी का पलड़ा भारी रहेगा, लेकिन यह लग रहा है कि पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी इस चुनाव में कम रहने वाली है। सभी जानते हैं कि उत्तराखंड की महिलाओं ने चुनौतियों का मुकाबला कर जन आंदोलनों को मुकाम तक पहुंचाया। बात चाहे स्वतंत्रता आंदोलन की हो या राज्य गठन के आंदोलन की। महिलाओं ने अपने संघर्ष से इन आंदोलन को कामयाबी दिलाई है। इसके अलावा प्रदेश में पेड़ को कटाने को रोकने के लिए चिपको आंदोलन और नशे बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ भी महिलाओं ने आवाज को बुलंद किया। उत्तराखंडी महिलाएं अपने सीमित दायरे और सामाजिक रूढ़िवादिता के बावजूद हर समस्या के समाधान के लिए लड़ाई लड़ने में अग्रिम पंक्ति में रही हैं।

यह भी पढ़ेंः कोविड जांच की धीमी रफ्तार के लिए, उत्तराखंड समेत नौ राज्यों को केंद्र ने लिखा पत्र..

वहीं लोकतंत्र के उत्सव में भी महिला मतदाता अहम भूमिका में रहती हैं। बावजूद इसके प्रदेश के सात जिले ऐसे हैं, जहां अनुमानित जनसंख्या में पुरूषों से अधिक होने के बाद भी मतदाता के रूप में इनकी संख्या पुरुषों से कम है। यानी इन जिलों में महिलाओं ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने में थोड़ी हिचकिचाहट दिखाई है। प्रदेश में इस साल 81.34 सामान्य मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में शामिल हैं। इनके अलावा 93964 सर्विस मतदाता अलग हैं। राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा मतदाता सूची तैयार करते हुए महिला और पुरुष मतदाताओं का लिंगानुपात भी निकाला जाता है। यानी एक हजार पुरुष मतदाताओं के सापेक्ष कितनी महिला मतदाता हैं। इसके लिए 2011 की जनसंख्या के आधार पर प्रतिवर्ष एक अनुमानित पात्र जनसंख्या का आंकड़ा तैयार किया जाता है, जिसके आधार पर लिंगानुपात तय होता है। इसी आधार पर आयोग मतदाताओं के आंकड़े भी जारी करता है, जिसमें यह बताया जाता है कि अनुमानित जनसंख्या के सापेक्ष कितने मतदाता बनाए गए हैं।

यह भी पढ़ेंः जल्द हो सकता है चुनाव की तारीखों का ऐलान, ऑनलाइन चुनाव और वर्चुअली हो सकती हैं रैलियां

इस मतदाता सूची में सात जिले ऐसे हैं जहां लिंगानुपात अधिक होने के बावजूद महिला मतदाताओं की संख्या काफी कम है। इन जिलों में चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, पिथौरागढ़, बागेश्वर व अल्मोड़ा शामिल हैं। यहां महिलाओं की जनसंख्या पुरुषों से अधिक है। इनमें से रुद्रप्रयाग को छोड़ शेष जिलों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से कम है। कहा जा सकता है कि इन जिलों में महिलाओं ने मतदाता सूची में नाम दर्ज करने में हिचकिचाहट दिखाई है। हालांकि, राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा एक नवंबर से 30 नवंबर तक चलाए गए विशेष अभियान में कुल 3.60 लाख आवेदन नए प्राप्त हुए थे। इनमें 1.92 लाख महिलाएं शामिल थीं। यह आयोग की एक बड़ी उपलब्धि रही।

यह भी पढ़ेंः भारतीय महिला क्रिकेट टीम का एलान, इन खिलाड़ियों को मिली जगह.

जिला-जनसंख्या लिंगानुपात -मतदाता सूची लिंगानुपात
-उत्तरकाशी – 958 – 947
-चमोली – 1918 – 958
-रुद्रप्रयाग – 1114 – 1021
-टिहरी – 1077 – 951
-देहरादून – 902 – 909
-हरिद्वार – 880 – 886
-पौड़ी – 1103 – 956
-पिथौरागढ़ – 1020 – 999
-बागेश्वर – 1090 – 972
-अल्मोड़ा – 1139 – 952
-चंपावत – 980 – 915
-नैनीताल – 934 – 917
-ऊधमसिंह नगर – 920 – 922

Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

हिलवाणी में आपका स्वागत है |

X