लेख: संदीप गुसाईं (फाउंडर रूरल टेल्स) के फेसबुक वॉल से..
वैसे तो केदारनाथ विधानसभा के निवर्तमान विधायक मनोज रावत से मेरा नाता एक पत्रकार के वरिष्ठ साथी के रूप में रहा है। जिस समय हम साधना न्यूज़, ईटीवी और फिर जी मीडिया में कार्य करते थे तो मनोज भाई हमेशा पहाड़ के जमीन से जुड़े मुद्दों को उठाते थे। इन्वेस्टीगेशन जॉर्नलिज्म की सबसे बड़ी खबरें उन्होंने ही उत्तरखंड से तहलका, आउटलुक, गुलेल जैसे प्रतिष्ठित मैगजीन में लिखी। 2013 कि आपदा में चपल से उन्होंने केदारनाथ और बद्रीनाथ विधानसभा के कई इलाकों की जमीनी रिपोर्टिंग हमारे साथ की। वक्त बदला और उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर मीडिया से अलविदा कह दिया।

यह भी पढ़ें: गंगोत्री सीट पर सबसे मजबूत प्रत्याशी, मिल रहा अथाह जनसमर्थन..

उसके बाद भी उनकी सोच अपने पहाड़ के प्रति नहीं बदली। पूरे पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग और टिहरी से एकमात्र कांग्रेस के विधायक के रूप में चुनकर आये जबकि 2017 में पूरी मोदी लहर चल रही थी। फिलहाल एक विपक्ष के विधायक को जो विधानसभा में अपना काम करना चाहिए उसे बखूभी निभाया। 2018 में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बुग्यालों में नाईट स्टे पर रोक लगा दी। उत्तराखंड के पक्ष और विपक्ष के 70 विधायकों में केवल मनोज रावत ही थे जिन्होंने इस निर्णय के खिलाफ सरकार को ऑर्डिनेंस या सुप्रीम कोर्ट जाने की मांग की। या यूँ कहे कि इस मुद्दे को समझे और लागातर उठाते रहे। उत्तराखंड एक पर्यटन प्रदेश है। पहाड़ की रीढ़ यही पर्यटन है। चारधाम के अलावा हर साल यहाँ बड़ी संख्या में ट्रेकर्स लंबे ट्रैक पर जाते है और मखमली बुग्यालों में रात्रि विश्राम करते है लेकिन उसी पर रोक के कारण पर्यटन कारोबार धीरे धीरे घटने लगा।

यह भी पढ़ें: चुनावी मौसम में प्रकृति की खलल, मौसम विभाग ने 48 घंटे के लिए अलर्ट किया जारी..

केवल पर्यटन ही नहीं बल्कि कई नई सोच पैदा की जिसमें चौमासी के केदारनाथ, कयाकिंग, माउंटेन बाइकिंग और तुंगनाथ से तुंगनाथ ट्रैक इसके अलावा उन्होंने माल्या मुल्क की पहचान दोखा को खुद पहनकर नई पहचान दी। केदारनाथ घाटी में पर्यटन की इतनी संभावनाए है कि ना केवल रुद्रप्रयाग बल्कि अन्य जिलों की आजीविका भी इससे बेहतर हो सकती है। मांगल गीतों के प्रयास को कौन भूल सकता है। मैं खुद उस पूरी मांगल मेलों का करीब से जानने का मौका मिला।कालीमठ की विनीता देवी सारी गाँव की गुड्डी देवी और रामेश्वरी भट्ट जी ना जाते कितने की छुपी महिलाओं को उन्होंने मंच दिया। क्या पौड़ी के किसी विधायक ने ऐसा किया। क्या उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर और चमोली में लुप्त हो रही लोकगीतों को किसी ने संजोने का कार्य किया तो जवाब मिलेगा नहीं क्योंकि सोच ही नहीं है।

यह भी पढ़ें: मातबर सिंह कंडारी लगातार कर रहे जनसंपर्क कार्यक्रम, जनता से मिल रहा अथाह समर्थन..

अब उनकी हर गॉंव में लाइब्रेरी की सोच को केदारनाथ ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में भी मुद्दा बनाया जा रहा है। खुद 5 साल तक उच्च शिक्षा मंत्री रहे धन सिंह ने जीतने के बाद हर गॉंव में लाइब्रेरी खोलने का वादा किया है। मतलब साफ है कि शिक्षा ही समाज को बदल सकती है। आज हर आदमी किताबों से दूर जा रहा है ऐसे है मुझे लगता है कि मनोज रावत की हर गॉंव लाइब्रेरी की मुहिम 70 विधानसभाओं में होनी चाहिए। हर विधायक को अपनी संस्कृति को बचाने के प्रयास का ब्लूप्रिंट बताना चाहिए। हर विधायक को अपने स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने में सबसे ज्यादा धनराशि खर्च करनी चाहिए। भले ही गांवों में खोली गई लाइब्रेरी को ज्यादा लोग ना पढ़े लेकिन अगर एक बालक इन किताबों को पढ़कर आईएइस और पीसीएस बन जाये तो किताब की विचारधारा की जीत होगी।


Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

हिलवाणी में आपका स्वागत है |

X