Health Tips: किडनी की दुश्मन हैं आपकी ये आदतें, जानिए किस हद तक हैं खतरनाक..

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किडनी डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक आकलन के अनुसार देश में प्रत्येक एक लाख लोगों में से 18 की मौत किडनी संबंधी रोगों से हो रही है। स्वस्थ जीवनशैली और नियमित जांच और अपनाकर इस घातक रोग से बचा जा सकता है। हमारे शरीर में किडनी की एक अहम भूमिका होती है। वे बॉडी से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करती हैं। इसके साथ ही ये पानी, लवण और खनिजों के हेल्दी बैलेंस को बनाए रखने के लिए एसिड को हटाने में भी मदद करती हैं। मालूम हो कि इस स्वस्थ संतुलन के बिना आपकी नसें, मांसपेशियां और शरीर के अन्य ऊतक ठीक से काम नहीं कर सकते। ऐसे में किडनी की देखभाल करना जरूरी हो जाता है। हम डेली रूटीन में कई ऐसी गलतियां करते हैं जिससे हमारी किडनी को नुकसान पहुंचता है और ये बहुत कॉमन आदतें हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं…

शराब और सिगरेट को करें ना ना
शराब और सिगरेट का ज्यादा सेवन किडनी पर बुरा असर डालता है। शरीर में रक्त संचार कम होने लगता है। ब्लड क्लॉटिंग की आशंका बढ़ जाती है। ज्यादा अल्कोहल किडनी की रक्त साफ करने की क्षमता कम करता है। साथ ही शरीर में पानी की कमी भी होने लगती है, जिसका किडनी समेत पूरे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। 
ब्लड प्रेशर को रखें नियंत्रित 
अगर रक्तचाप लगातार 140/90 बना रहता है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। यह हाइपरटेंसिव स्थिति है। रक्तचाप काबू रखने के लिए डॉक्टर की सलाह लें। बढ़ा हुआ ब्लडप्रेशर दिल का ही नहीं, किडनी की सेहत का भी दुश्मन है।

नियमित करें व्यायाम
व्यायाम से शरीर को स्थिरता मिलती है और शरीर के अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है और टॉक्सिन बाहर निकलते हैं। इसलिए अपनी दिनचर्या में योग, ध्यान के साथ सैर करना, तैराकी, साइकिल चलाना, एरोबिक्स अिाद को शामिल करें। 
दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें  
अगर सर्दी-जुकाम, बुखार, पेट दर्द या अन्य किसी किस्म का दर्द होने पर यूं ही कोई भी दवा लेने की आदत है तो इस पर विराम लगाएं। दर्द निवारक दवाओं और एंटीबायोटिक के सेवन से किडनी पर बुरा असर पड़ता है। 

अच्छी नींद है बहुत जरूरी 
नींद की कमी किडनी की सेहत पर बुरा असर डालती है। देर रात तक टीवी, फोन या लैपटॉप का इस्तेमाल न करें। अनिद्रा से सिर तो भारी रहता ही है, ब्लड प्रेशर भी अनियंत्रित होने लगता है। डायबिटीज की आशंका भी बढ़ सकती है। ये सब किडनी पर बुरा असर डालते हैं। 
पेशाब को बिल्कुल न रोकें
किडनी शरीर से बेकार पदार्थों को बाहर निकालती है। जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो अतिरिक्त तरल पदार्थ यूरिनरी ब्लेडर में जमा हो जाता है। पेशाब को देर तक रोके रखने पर शरीर में जमा टॉक्सिन वापस खून में पहुंचने लगते हैं। इससे पथरी होने की आशंका भी बढ़ती है। इसलिए पेशाब को नहीं रोके। 

खान-पान का रखें विशेष ध्यान 
अगर डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो खान-पान का खास ध्यान रखना जरूरी है। ये दोनों समस्याएं किडनी की सेहत पर भी असर डाल सकती हैं। प्रोसेस्ड और जंक फूड से परहेज करें। आहार में मौसमी फल और सब्जियां, फाइबर और प्रोटीनयुक्त चीजें शामिल करें। तरल पेय पदार्थ अधिक लें। डिब्बाबंद जूस और अन्य चीजों की बजाय नीबू-पानी, लस्सी, छाछ और नारियल पानी पिएं। पानी की कमी न होने दें। किडनी ठीक रखने व पेशाब के संक्रमण ‘यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन’ से बचने के लिए पर्याप्त पानी पिएं।

नमक का प्रयोग कम मात्रा में करें
ऐसे आहार जिनमें नमक (सोडियम) अधिक होता है, रक्तचाप बढ़ा सकते हैं और इस तरह किडनी डिजीज का खतरा बढ़ सकता है। नमक के बजाय, आप जड़ी-बूटियों और मसालों के साथ अपने भोजन के स्वाद को बढ़ा सकते हैं। जब आप इसे करना शुरू करेंगे, तो समय के साथ आपको नमक से बचना आसान लगने लगेगा।
अधिक चीनी न खाएं
बहुत अधिक चीनी के सेवन से मोटापा हो सकता है, जिससे आपके उच्च रक्तचाप और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है और ये दोनों ही गुर्दे की बीमारी का कारण बन सकते हैं। इसलिए आपको न केवल अतिरिक्त चीनी के सेवन से सावधान रहना चाहिए बल्कि इससे बनी हुई चीजों को भी बहुत कम मात्रा में खाना चाहिए। इसके अलावा बिस्कुट, मसालों, अनाज और सफेद ब्रेड के रेगुलर सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इन सभी में चीनी होती है। कोई भी खाद्य पदार्थ खरीदने से पहले उसकी पैकेजिंग को ध्यान से पढ़ें।

खुद को हाइड्रेट रखें
अपने आप को हाइड्रेटेड रखने से आपकी किडनी शरीर से सोडियम और विषाक्त पदार्थों को साफ करने में मदद करती हैं। पर्याप्त पानी पीने से दर्दनाक किडनी स्टोन से बचने में भी सहायता मिलती है। गुर्दे की समस्या वाले मरीजों को कम तरल पदार्थ के सेवन की आवश्यकता होती है। लेकिन स्वस्थ किडनी वाले लोगों को रोजाना 3-4 लीटर पानी पीना चाहिए।
मीट का अत्यधिक सेवन न करें
पशु प्रोटीन, रक्त में उच्च मात्रा में एसिड उत्पन्न करता है, जो गुर्दे के लिए हानिकारक हो सकता है और एसिडोसिस का कारण बन सकता है। एसिडोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुर्दे एसिड को तेजी से खत्म नहीं कर पाते हैं।

जरूरी हैं ये जांच 
अगर पेशाब के रंग में कोई बदलाव नजर आए या फिर हाथ और पैरों में अचानक से दर्द की शिकायत होने लगे, तो डॉक्टर यूरिक एसिड टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इससे यह पता चलेगा कि खून और पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा कितनी है। अगर यूरिक एसिड किडनी से ठीक तरह से पास नहीं हो रहा है तो शरीर के जोड़ों में क्रिस्टल जमा होना इसकी वजह हो सकता है। फॉस्फोरस सीरम टेस्ट शरीर में मौजूद फॅास्फोरस के स्तर की जांच के लिए किया जाता है। यह टेस्ट क्रॉनिक किडनी डिजीज की अवस्था में किडनी फेल्योर की स्थिति के साथ शरीर में कैल्शियम की कमी की जांच के लिए भी किया जाता है। क्रिएटिनिन टेस्ट से पता चलता है कि किडनी शरीर में रक्त से अवशिष्ट पदार्थ क्रिएटिनिन को ठीक तरह से फिल्टर कर पा रही है या नहीं। आमतौर पर यह टेस्ट बीयूएन टेस्ट, बीएमपी टेस्ट या सीएमपी टेस्ट के साथ किया जाता है। 

समस्या बढ़ने पर 
जब किडनी शरीर से अवशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करके बाहर निकालने में असमर्थ हो जाती है, तब शरीर से अतिरिक्त पदार्थ को बाहर निकालने के लिए डायलिसिस किया जाता है। अगर उसके बाद भी समस्या बनी रहती है, तब किडनी ट्रांसप्लांट का ही विकल्प बचता है। इसके लिए ऐसे डोनर की जरूरत होती है, जिसकी दोनों किडनी ठीक हों और मरीज से मेल खाती हों।

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