उत्तराखंड: इस साल पड़ेगी कड़ाके की ठंड, वैज्ञानिकों की चेतावनी। पर्वतीय क्षेत्रों में असर दिखना शुरू..
उत्तराखंड: प्रदेश में सुबह-शाम व रात के समय कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है साथ ही पारा भी तेजी से लुढ़कने लग गया है। आलम यह है कि तीन चार दिन में ही तापमान 4 डिग्री लुढ़क गया है। पाला गिरने से भी ठंड का असर बढ़ने लगा है। पर्वतीय क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के बाद ठिठुरन बढ़ गई है। सुबह और शाम के साथ दिन में भी गुनगुनी ठंड का अहसास होने लगा है। इस बीच मौसम विज्ञानियों ने एक कंपकंपी बढ़ाने वाली खबर दी है कि इस साल लोगों को कड़ाके की ठंड से जूझना पड़ेगा। वैसे तो ठंड का मौसम हर साल ही आता है, लेकिन इस बार कड़ाके की ठंड पड़ेगी। मौसम बदलाव के चलते लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार मानसून देरी से विदा हुआ। इसके अलावा ‘ला-नीना’ के असर के कारण कड़ाके की ठंड की संभावना बन रही है। इसका असर भी दिखने लगा है। दीपावली की रात इस साल की सबसे सर्द रात रही है। तराई से लेकर पहाड़ तक न्यूनतम तापमान में सामान्य से दो से तीन डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह के मुताबिक दीपावली की रात तराई का अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। नवंबर माह की शुरुआत में ही सीमांत की सड़कों पर पाला गिरने का सिलसिला शुरू हो गया है। पाला गिरने से रात के समय तापमान माइनस में पहुंचने लगा है।
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आपदा प्रबंधन के मुताबिक पिछले सालों की अपेक्षा इस बार नवंबर माह की शुरुआत में 6 डिग्री पहुंचा तापमान चिंता बढ़ा रहा है। सीमांत जनपद में पिछले तीन दिन में 4 डिग्री लुढ़का तापमान आपदा प्रबंधन विभाग के साथ ही यहां के लोगों की चिंता व मुश्किल बढ़ा रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक इस बार नवंबर माह की शुरुआत में ही तापमान 6 डिग्री पहुंचा है, जबकि पिछले सालों में 20 नवंबर के बाद ही इतना तापमान पहुंचता था। तेजी से लुढ़क रहा पारा आपदा प्रबंधन विभाग के साथ ही पर्वतीय के साथ तराई क्षेत्र के लोगों की भी चिंता बढ़ा रहा है। वहीं मौसम विज्ञानियों ने पहले ही पिछले सालों की अपेक्षा इस बार अधिक ठंड की चेतावनी दे दी है।
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तराई में आने वाले दिनों में तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। खासतौर पर कई पहाड़ी इलाकों में तापमान माइनस में जा सकता है। देश के कई हिस्सों में तो न्यूनतम तापमान तीन डिग्री तक पहुंच गया है। ला-नीना के असर के कारण मौसम विभाग ने उत्तर भारत के साथ ही उत्तर पूर्व एशिया में ठंड की चेतावनी जारी की है। इस साल प्रशांत क्षेत्र में ला-नीना तेजी से उभर रहा है। इसमें समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होना शुरू हो जाता है। बता दें कि समु्द्र का पानी ठंडा होने की प्रक्रिया को ला-नीना और गर्म होने की प्रक्रिया को अल-नीनो कहते हैं। इसका सीधा असर हवाओं पर पड़ता है।
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