हर नागरिक पर 1.40 लाख का कर्ज.. भारत पर बढ़ा कर्ज का बोझ, इतने लाख करोड़ पहुंचा आंकड़ा..

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International Monetary Fund report. Hillvani News

International Monetary Fund report. Hillvani News

International Monetary Fund report: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने शुक्रवार को भारत की आर्थिक स्थिति की समीक्षा करते हुए एक रिपोर्ट जारी की। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कर्ज के बढ़ते दबाव को लेकर भारत को चेतावनी जारी की है। आईएमएफ ने हाल ही में एक रिपोर्ट में भारत के कर्ज के बारे में जानकारी दी। इसके मुताबिक देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। मार्च 2023 में देश पर कुल कर्ज 200 लाख करोड़ रुपए था। यानी बीते 6 महीने में 5 लाख करोड़ रुपए कर्ज बढ़ा है। भारत की कुल आबादी 142 करोड़ मान लें तो आज के समय में हर भारतीय नागरिक पर 1.40 लाख रुपए से ज्यादा का कर्ज है।

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जितना जीडीपी नहीं है उससे ज्यादा हो जाएगा कर्ज। International Monetary Fund report
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश पर लगातार बढ़ रहे कर्ज के दबाव के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने कहा है कि यदि सरकार इसी रफ्तार से उधार लेती रही तो देश पर GDP का 100% कर्ज हो सकता है। यानी देश का जितना जीडीपी नहीं है उससे ज्यादा कर्ज हो जाएगा। ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा। मोदी राज में ताबड़तोड़ लिए जा रहे कर्ज को लेकर देश के अर्थशास्त्री बेहद चिंतित हैं। हालांकि, सरकार लगातार इस बात का मुनादी करा रही है कि हम टॉप 5 के अर्थव्यवस्था बन गए हैं।

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महंगाई फिर से सिर उठा सकती है। International Monetary Fund report
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाहरी मोर्चे पर भारत को ग्लोबल स्लोडाउन से निकट भविष्य में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ग्लोबल सप्लाई चेन में व्यवधान से कमॉडिटीज की कीमतें वोलेटाइल हो सकती हैं, जिससे भारत के ऊपर राजकोषीय दबाव बढ़ सकता है। घरेलू मोर्चे पर मौसमी कारणों से महंगाई फिर से सिर उठा सकती है। इसके चलते देश को फूड एक्सपोर्ट पर पाबंदियों तक का सहारा लेना पड़ सकता है। बता दें कि साल 2014 में केंद्र में जब मोदी सरकार आई थी तब देश पर कुल कर्ज महज 55 लाख करोड़ रुपए था। हालांकि, 10 साल में ये बढ़कर दो लाख करोड़ रुपए पार कर गया।

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वित्त मंत्रालय ने IMF रिपोर्ट पर असहमति जताई। International Monetary Fund report
हालांकि, वित्त मंत्रालय ने IMF की रिपोर्ट पर असहमति जताई। शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा- IMF का भारत पर 100% कर्ज का अनुमान गलत है। मौजूदा कर्जा भारतीय रुपए में है, इसलिए कोई समस्या नहीं है। मंत्रालय ने भारतीय अधिकारियों के साथ एनुअल आर्टिकल IV परामर्श के बाद IMF रिपोर्ट का खंडन किया। इसके अलावा, मंत्रालय ने कहा कि सरकारी कर्जा (राज्य और केंद्र दोनों सहित) वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 88 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में लगभग 81 प्रतिशत हो गया है। यह कर्जा अभी भी 2002 की तुलना में कम है।

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कुल कर्ज कितना है और बीते 9 साल में कितना बढ़ा है? International Monetary Fund report
बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसमें से भारत सरकार पर 161 लाख करोड़ रुपए, जबकि राज्य सरकारों पर 44 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज है। 2014 में केंद्र सरकार पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था, जो सितंबर 2023 तक बढ़कर 161 लाख करोड़ हो गया है। इस हिसाब से देखें तो पिछले 9 साल में भारत सरकार पर 192% कर्ज बढ़ा है। इसमें देश और विदेश दोनों तरह के कर्ज शामिल हैं। इसी तरह अब अगर विदेशी कर्ज की बात करें तो 2014-15 में भारत पर विदेशी कर्ज 31 लाख करोड़ रुपए था। 2023 में भारत पर विदेशी कर्ज बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है।
आम आदमी पर 9 साल में कितना रुपए कर्ज बढ़ा है? International Monetary Fund report
सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इनमें केंद्र और राज्य सरकारों के कर्ज शामिल हैं। भारत की कुल आबादी 142 करोड़ मान लें तो आज के समय में हर भारतीय पर 1.40 लाख रुपए से ज्यादा कर्ज है।

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2004 में भारत सरकार पर कितना कर्ज था और साल-दर-साल ये कैसे बढ़ा है?
2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो भारत सरकार पर कुल कर्ज 17 लाख करोड़ रुपए था। 2014 तक तीन गुना से ज्यादा बढ़कर ये 55 लाख करोड़ रुपए हो गया। इस समय भारत सरकार पर कुल कर्ज 161 लाख करोड़ रुपए है। वहीं 2014 के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने विदेश से कुल 19 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जबकि 2005 से 2013 तक 9 साल में UPA सरकार ने करीब 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज लिया। 2005 में देश पर विदेशी कर्ज 10 लाख करोड़ था, जो 2013 में बढ़कर 31 लाख करोड़ हुआ। यानी, UPA के समय केंद्र सरकार पर 9 साल में 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज बढ़ा।

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किसी देश की सरकार पर किन वजहों से कर्ज बढ़ता है? International Monetary Fund report
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर खर्चा आमदनी से ज्यादा हो तो सरकार को कर्ज लेना ही होता है। सरकार जैसे ही कर्ज लेती है इससे राजस्व घाटा बढ़ता है। इसका मतलब ये हुआ कि सरकार का खर्च राजस्व से होने वाली कमाई से ज्यादा है। आमतौर पर राजस्व घाटा तब ज्यादा होता है जब सरकार कर्ज के पैसे को वहां खर्च करती है, जिससे रिटर्न नहीं आता है। वहीं आपको बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले देशों में जापान जैसे देश शामिल हैं। दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका भी कर्ज लेने के मामले में भारत से आगे है।

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