उत्तराखंड में जल्द दस्तक दे सकता है XE वैरिएंट, संक्रमण दर है ज्यादा। बच्चों के लिए है खतरनाक..

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Corona's XE variant may knock soon in Uttarakhand Hillvani News

Corona's XE variant may knock soon in Uttarakhand Hillvani News

देश में कोरोना का खतरा कम हो ही रहा था कि दुनिया में मिलने वाले कोरोना के नए वैरिएंट XE ने चिंता फिर बढ़ा दी हैं। WHO ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा था कि नया म्यूटेंट वैरिएंट XE ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट BA.2 से करीब 10 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक हो सकता है। नए वैरिएंट मिलने के कारण स्वास्थ एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि अगर नया वैरिएंट फैला तो यह भारत में चौथी लहर का कारण बन सकता है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि नया वैरिएंट भारत आता भी है तो ये बहुत बड़ा खतरा साबित नहीं होगा। कोरोना के ओमिक्रॉन BA.2 से भी 10 प्रतिशत अधिक संक्रामक माना जा रहा नया XE वैरिएंट भारत में भी दस्तक दे चुका है।

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ओमिक्रॉन के मुकाबले ज्यादा घातक
उत्तराखंड में भी ओमिक्रॉन के वैरिएंट XE के मामले तेजी से सामने आ सकते हैं। XE वैरिएंट के संक्रमण की दर ओमिक्रॉन से ज्यादा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने जून से जुलाई के बीच संक्रमण के चरम काल में पहुंचने की आशंका जताई है। ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट XE भी अब देश में दस्तक दे चुका है। यह ओमिक्रॉन का ही सबम्यूटेंट है। यही कारण है कि इसकी संक्रमण दर ओमिक्रॉन से ज्यादा है। देशभर में एक्सई वैरिएंट के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ेंगे। मई के पहले से दूसरे सप्ताह के बीच उत्तराखंड में XE वैरिएंट के मामले सामने आ सकते हैं। संक्रमण की दर को देखते हुए जून से जुलाई के बीच इसके चरम पर पहुंचने की आशंका है। हालांकि, ओमिक्रॉन की तरह ही एक्सई वैरिएंट के गंभीर परिणाम सामने आने की संभावना बेहद कम है।

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टीकाकरण से लोगों की हर्ड इम्यूनिटी बनी
उत्तराखंड समेत पूरे देश में तेजी से कोरोनारोधी टीकाकरण होने से लोगों में हर्ड इम्यूनिटी भी बनी है। इसलिए अधिकांश लोगों में संक्रमित होने के बाद सर्दी जुकाम जैसे लक्षण ही नजर आएंगे, लेकिन गंभीर रूप से बीमार और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को संक्रमण होने का खतरा बना रहेगा। इसलिए गंभीर बीमारों, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए को भी कोरोना सुरक्षा नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है।

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क्या है XE वैरिएंट?
विशेषज्ञों के मुताबिक XE वैरिएंट ओमिक्रॉन के बीए.1 और बीए.2 का मिश्रित रूप या हाइब्रिड ऑफ टू सबलीनिएज है। इसकी संक्रमण दर ओमिक्रॉन के मुकाबले दोगुनी है। नए वैरिएंट को लेकर शोध कार्य चल रहे हैं। वहीं XE वैरिएंट में नाक बहने, छींकने और गले में खराश जैसे लक्षण होते हैं, जो वायरस के मूल स्ट्रेन के विपरीत होते हैं, क्योंकि मूल स्ट्रेन में आमतौर पर रोगी को बुखार और खांसी की शिकायत रहती है और साथ ही उसे किसी चीज का स्वाद नहीं आता और कोई गंध भी नहीं आती है।

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XE वैरिएंट से बच्चों को खतरा
XE वैरिएंट को लेकर दुनियाभर से आ रही रिपोर्ट्स बताती हैं कि वयस्कों के साथ XE वैरिएंट का खतरा बच्चों में भी अधिक देखा जा रहा है। हालांकि राहत की बात यह है कि बच्चों में ज्यादातर मामले हल्के लक्षणों वाले ही रिपोर्ट किए जा रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना वायरस, शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है, ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता जरूरी है। अब तक बच्चों का टीकाकरण न हो पाना बड़ी चिंता का विषय है। विदेशों में XE वैरिएंट के जो संक्रमण के मामले सामने आए हैं उनमें 20 प्रतिशत संक्रमित बच्चे हैं। बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए उनको मास्क पहनने, शारीरिक दूरी और सैनिटाइजेशन जैसे सुरक्षा नियमों को लेकर जागरूक करना बहुत जरूरी है।

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बच्चों में ये लक्षण सामने आए हैं?
XE वैरिएंट से बच्चों में संक्रमण को लेकर आई रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ज्यादातर बच्चों में हल्के लक्षण ही हैं जो आसानी से ठीक हो जा रहे हैं। अब तक रिपोर्ट किए गए सामान्य लक्षणों में बुखार, नाक बहना, खांसी, शरीर में सामान्य दर्द, उल्टी, दस्त, पेट में दर्द जैसी समस्याएं देखी जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि गंभीर लक्षण सिर्फ उन्हीं बच्चों में देखे जा रहे हैं जो पहले से ही अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हैं। बच्चों में लक्षणों को लेकर माता-पिता के लगातार ध्यान देते रहना चाहिए।

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कोमोरबिडिटी वाले बच्चों का टीकाकरण बहुत जरूरी
देश में कोविड-19 के बढ़ते मामले, विशेषकर बच्चों में संक्रमण के जोखिम को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोमोरबिडिटी वाले बच्चों के लिए जल्द से जल्द टीकाकरण पर जोर दिया है। जिस तरह से नए वैरिएंट्स की संक्रामता दर देखी जा रही है, उससे बच्चों में संक्रमण का खतरा हो सकता है। इस बात को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं हैं कि देश में XE वैरिएंट से बच्चों में संक्रामकता की दर कैसी है, हालांकि हमें पहले से ही इसको लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता है।

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बचाव के लिए यह करें

  • मास्क लगाएं
  • भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें
  • बाहर से आने के बाद हाथों को अच्छी तरह धोएं।
  • कार्यक्षेत्र में रहते हुए लगातार हाथों को सैनिटाइज करें।
  • निर्धारित आयुवर्ग और समय के अनुसार कोविड वैक्सीन की पहली दूसरी डोज और एहतियाती डोज लगवाएं।

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