श्रीनगर : बेस चिकित्सालय पहुंच रहें मम्प्स के मरीज, बच्चों सहित बड़े लोगों में भी देखी जा रही बीमारी..
Mumps patients reaching base hospital : वीर चंद्र सिंह गढ़वाली आयुर्विज्ञान शोध संस्थान के टीचिंग बेस चिकित्सालय और उपजिला संयुक्त चिकित्सालय श्रीनगर में मम्प्स से पीड़ित बच्चे प्रतिदिन इलाज के लिए पहुंच रहें है। मम्प्स जिसे गलसुआ व आम तौर पर हप्पू भी कहा जाता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुताबिक यह एक तरह का वायरल संक्रमण है, जो बुखार के साथ शुरू होता है और फिर कान के आसपास के दोनों क्षेत्रों में दर्दनाक सूजन की वजह बनता है। बेस चिकित्सालय सहित उपजिला चिकित्सालय में रोजाना 3 से 4 मरीज पहुंचे रहे हैं।ज्यादातार इस बीमारी का प्रभाव बच्चों में देखने को मिल रहा है।
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रोजाना तीन से अधिक आ रहे मम्स मरीज | Mumps patients reaching base hospital
उपजिला चिकित्सालय के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. गोविंद पुजारी ने बताया कि सर्दियों में मम्प्स (गलसुआ) के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। उनके पास रोजाना तीन से अधिक मरीज मम्स के आ रहे हैं। जिनमें बच्चे शामिल हैं। दिसम्बर माह में रोजना 20 से 22 मरीज इलाज के लिए पहुंचते थे। लेकिन अभी भी बच्चों को ठंड से बचाने की आवश्यकता है। (Base hospital Srinagar) बेस चिकित्सालय की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ तृप्ती श्रीवास्तव ने बताया कि बेस चिकित्सालय में दो से तीन मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। जिन्हें मम्स से गले में सूजन आ जाती है, जिस कारण मरीज को भोजन करने, पानी पीने आदि में दिक्कत होती है। अक्सर सर्दियों के मौसम में यह बीमारी होती है। अधिकतर बच्चों में यह बीमारी देखने को मिलती है। कहा कि इस बीमारी से घबराने की कतई जरूरत नहीं है।
मरीज को गले में सूजन होने पर तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए। साथ ही दवा लेकर आराम करना चाहिए। कहा कि अमूमन सात से आठ दिनों में यह बीमारी ठीक हो जाती है। उन्होने बताया कि मम्प्स से संक्रमित बच्चे को आइसोलेशन में रखा जाता है, जिससे अन्य बच्चों में बीमारी न फैले। कहा कि बदलते मौसम में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बेस चिकित्सालय के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ डा. रविंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि ओपीडी में एक दो मरीज गलसुआ के पहुंच रहें है। जिसमें ज्यातर युवा और बुजुर्ग हैं।
मम्प्स से कैसे करें बचाव | Mumps patients reaching base hospital
बेस चिकित्सालय की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ तृप्ती श्रीवास्तव ने बताया कि अगर किसी बच्चे को मंप्स है, तो उसे कोरोना की ही तरह आइसोलेशन में रखें। घर के सभी हिस्सों को कीटाणु से बचाने के लिए सैनिटाइज करें। मास्क पहनें और अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं। अपने चेहरे, नाक और आंखों को बार-बार छूने से बचें।
मम्प्स के लिए टीकाकरण भी प्रभावी तरीका
बेस चिकित्सालय की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ तृप्ती श्रीवास्तव ने बताया कि इन्फेक्शन से बचने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है।लेकिन इसकी एमएमआर वैक्सीन प्राइवेट में ही लग रही है।कहा कि सरकारी चिकित्सालय में वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है। दवाइयों के सहारे भी मम्प्स की बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
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