राजनीति: हरीश रावत से मिले पंजाब के मुख्यमंत्री और सिद्धू, बाबा केदार के भी किए दर्शन..

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देहरादून: पंजाब कांग्रेस का झगड़ा कब शांत होगा, ये किसी को पता नहीं, लेकिन सबकुछ ठीक करने की कोशिशें अब भी जारी हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच अनबन फिर सिर उठा रही है, लेकिन दोनों नेताओं ने मंगलवार को केदारनाथ मंदिर का एक साथ दौरा किया। दोनों नेताओं के साथ पंजाब के प्रभारी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश चौधरी भी उत्तराखंड के केदारनाथ धाम गए। खबरों के मुताबिक सीएम चन्नी, सिद्धू और हरीश चौधरी ने मंगलवार की सुबह केदारनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन किया।

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पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी और विधानसभा स्पीकर राणा केपी सिंह ने देहरादून में वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत से भी मुलाकात की। बता दें कि हरीश रावत ही हरीश चौधरी से पहले पंजाब के प्रभारी थे। वहीं मीडिया से बातचीत में सिद्धू ने कहा, ‘कर्तव्य पथ से बड़ा कोई धर्म पथ नहीं है। गरीबों को भोजन और आनंद फैलाना ही धर्म है। ये महादेव का संदेश है। मैं यहां उनका आशीर्वाद लेने आया हूं। ताकि मैं अपना हित पंजाब के हित में समाहित कर सकूं और पंजाब और पंजाबी जीतें। हम आज केदारनाथ धाम जाएंगे।’

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वहीं प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आराध्य बाबा केदार पहुंचने को लेकर अभी सियासत गर्मा गई है। वहीं कांग्रेस के नेता भी भोले बाबा के दर पर पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के दौर से पहले इन नेताओं के केदारनाथ दर्शन को राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दीपावली के एक दिन बाद यानी पांच नवंबर को केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। मोदी के दौरे को भी राष्ट्रीय स्तर पर संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा भी इस दौरान 12 ज्योतिर्लिंगों और शिवालयों में जलाभिषेक की तैयारी कर चुकी है।

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वहीं प्रदेश स्तर पर कांग्रेस पांच नवंबर को सभी जिलों के 12-12 प्रमुख शिवालयों में जलाभिषेक करने की घोषणा कर चुकी है। पंजाब के नेताओं के केदार दौरे की रणनीति के पीछे पूर्व प्रभारी हरीश रावत की रणनीति मानी जा रही है। कांग्रेस की इस यात्रा के माध्यम से एक तीर से कई निशाने साधने की मंशा है। साथ ही पीएम मोदी के दाैरे से पहले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ही राज्यों पंजाब और उत्तराखंड के मतदाताओं को भी संदेश देने की कोशिश की जा रही है।

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