Health Tips: क्या है निमोनिया? बच्चों के लिए है बेहद खतरनाक। जानें लक्षण, कारण, बचाव और इलाज..
स्वास्थ्य सलाह: सर्दियों के आगमन के साथ ही बड़ों के साथ शिशुओं में निमोनिया से पीड़ित होने की संभावना भी बढ़ने लगी है। निमोनिया छींकने या खांसने से फैलने वाला संक्रामक रोग है। निमोनिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 12 नवंबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड निमोनिया डे मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध बताते हैं कि निमोनिया से ग्रसित होने का खतरा पांच साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा है। दुनिया भर में होने वाले बच्चों की मौतों में 15 प्रतिशत केवल निमोनिया की वजह से होती हैं। यह रोग शिशुओं के मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है, जिसका कारण कुपोषण और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता भी है।
सर्दी बढ़ने के साथ खांसी, सर्दी, बुखार और छाती में संक्रमण के कारण निमोनिया जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। कई बार निमोनिया बढ जाने पर मौत तक हो जाती हैं। बेशक ये ज्यादा घातक न हो लेकिन इसके लक्षणों को समय रहते जान लेना चाहिए, जिससे आप समय रहते सतर्क रह सकें। यह रोग बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भरकर उसमें सूजन पैदा हो जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। वहीं बच्चों के साथ बड़ों को सर्दी में निमोनिया होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, जो जानलेवा भी हो सकता है।
टीकाकरण से किया जा सकता है खतरा खत्म
इस गंभीर रोग को टीकाकरण द्वारा पूरी तरह से रोका जा सकता है। इसलिए अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क उपलब्ध पीसीवी का टीका जरूर लगवाएं। पीसीवी या न्यूमोकाकल कान्जुगगेट वैक्सीनेशन का टीका शिशु को दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। यह टीका न सिर्फ निमोनिया, बल्कि सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से भी शिशुओं को बचाता है।
लक्षण को पहचान कर हो जाएं सतर्क
कोरोना का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। ऊपर से सर्दी भी बढ़ रही है। ऐसे में आपके और आपके शिशुओं को कई तरह के शीतजनित रोग हो सकते हैं। ध्यान रखें और यदि कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी, उल्टी, दस्त सांस लेने में दिक्कत, गाढ़े भूरे बलगम के साथ तीव्र खांसी या खांसी में खून, भूख न लगना, कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ये निमोनिया के संकेत हैं, जिसमें जरा सी भी लापरवाही आपके और आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकती है।
पोषण और सफाई पर दें ध्यान
निमोनिया एक संक्रामक रोग है। इसलिए भीड़-भाड़ और धूल-मिट्टीवाले स्थानों से बच्चों को दूर रखें। जरूरत पड़ने पर मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करवाएं। समय-समय पर बच्चे के हाथ धुलवाएं। उन्हें प्रदूषण से बचाएं। ताकि सांस संबंधी समस्या न रहे। रोग-प्रतिरोधक क्षमता होने से बीमारी से लड़ना आसान होता है। इसलिए छह माह तक के शिशुओं को पूर्ण रूप से स्तनपान और उससे बड़े शिशुओं को पर्याप्त पोषण दें।
निमोनिया के लक्षण
कई दिनों तक बुखार रहना, कफ वाली खांसी, सीने में दर्द, तेज धड़कन, खांसी के साथ खून आना, सांस लेने में दिक्कत, पसलियों का तेज चलना, बच्चे के अंदर बैचेनी होना, खाना-पीना कम करना, बच्चों की सांसे बहुत तेजी से चलना, छाती पर भरना, छाती में गड्ढ़े पड़ना, शरीर पर लाल दाने होना, पेशाब कम करना व बार-बार तेज बुखार होना।
बचाव के उपाय
1- बच्चों को सुबह-शाम गर्म कपड़े पहनाएं।
2- बच्चों को सुबह-शाम नंगे पैर न चलने दें।
3- निमोनिया-फ्लू से बचाव को टीके लगवाएं।
4- दिक्कत होने पर डॉक्टर से ही उपचार लें।
5- खांसी जुकाम के मरीजों से दूर रखना।
6- मां के खांसी-जुकाम होने पर मास्क लगाकर बच्चे को दूध पिलाएं
7- बच्चों को तरल पदार्थ ज्यादा से ज्याद दें।
निमोनिया से निजात पाने के घरेलू उपाय
लहसुन: निमोनिया में लहसुन काफी कारगर हो सकता है। इसकी तासीर गर्म होने के साथ इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने के लिए एक कप दूध में 4 कप पानी डालें और इसमें 5-6 लहसुन की कली डालकर उबाल लें। उबलने के बाद जब यह एक चौथाई बचे तो गैस बंद कर दें। दिन में दो बार इसका सेवन करना फायदेमंद होगा।
हल्दी: एंटी बैक्टीरियल, एंटी बायोटिक गुणों से भरपूर हल्दी निमोनिया के समय सांसों की होने वाली तकलीफ को दूर करने में फायदेमंद है। इसके साथ ही यह कफ को कम करने में मदद करती है। दिन में 2 बार गर्म दूध में हल्दी पाउडर डालकर सेवन करें।
तुलसी: निमोनिया से राहत पाने के लिए तुलसी के पत्तों के रस को थोड़े से काली मिर्च पाउडर में मिलाकर खा लें। दिन में कम से कम 3-4 बार ऐसा करें।
गाजर: निमोनिया से राहत दिलाने में गाजर का जूस काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए रोजाना गाजर के जूस का सेवन करें।
गर्मागर्म सूप पिएं: मौसम के हिसाब से ताज़ा सब्ज़ियों से बना सूप न सिर्फ आपको पोषण देगा बल्कि इंफेक्शन से लड़ने के लिए ये ज़रूरी फ्लूयड की ज़रूरत भी पूरी करेगा। गर्म लिक्विड पीने से शरीर को गर्माहट मिलती है और ज़ुकाम से राहत मिलती है।
अदरक या हल्दी की चाय पिएं: निमोनिया में खांसी काफी होती है, जिससे सीने में दर्द हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि निमोनिया में अगर अदरक या फिर हल्दी की चाय पी जाए, तो लगातार आ रही खांसी में काफी आराम मिलता है। अदरक और हल्दी के के वैसे भी सेहत के लिए काफी लाभ हैं।
शहद भी लाभदायक: शहद में ऐंटिबैक्टिरियल, ऐंटिफंगल और ऐंटिऑक्सिडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो निमोनिया में भी फायदा पहुंचा सकते हैं। निमोनिया में होने वाले कफ और कोल्ड में शहद के सेवन से आराम मिलता है। इसके लिए 1/4 गिलास गर्म पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर हर रोज़ पीने से निमोनिया में आराम मिल सकता है।
पेपरमिंट की चाय: पेपरमिंट ऐंटी-इन्फ्लेमेट्री होता है, जो सीने में मौजूद कंजेशन को कम करने में मदद करता है और साथ पेनकिलर का काम भी करता है। अगर पेपरमिंट की गर्मागर्म चाय पी जाए, तो इससे गले में होने वाली खिचखिच दूर होगी और कफ भी बाहर निकलेगा। जिससे काफी राहत मिलेगी।
कॉफी पिएं: अगर आपको चाय ज़्यादा नहीं पसंद तो आप गर्म कॉफी भी पी सकते हैं। इसे पीने से निमोनिया की वजह से होने वाली सांस से जुड़ी दिक्कत में राहत मिलती है। कॉफी में मौजूद कैफीन से फेफड़ों का कंजेशन ख़त्म होता है और सांस लेने में आसानी होती है।
निमोनिया की जांच और इलाज
निमोनिया की जांच के लिए डॉक्टर अलग अलग विधि का उपयोग करते हैं। तेज बुखार और सर्दी खांसी के हालात देखकर निमोनिया का अंदाज लगाया जा सकता है। इसके अलावा बलगम की जांच, छाती का एक्सरे जैसे तरीकों से डॉक्टर ये अंदाजा लगाते हैं कि पीड़ित कहीं निमोनिया का शिकार तो नहीं। निमोनिया के इलाज के लिए भी कई तरह के वैक्सीन मौजूद हैं। डॉक्टर्स उन्हीं के जरिए निमोनिया का इलाज करते हैं। एंटीबायोटिक्स के जरिए भी निमोनिया पर काबू पाया जा सकता है। ज्यादा खराब स्थिति होने पर डॉक्टर मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की सलाह भी देते हैं।
NOTE- यह खबर शिशुओं के साथ ही बड़े व उम्रदराज लोगों को ध्यान में रख कर बनाई गई है
Disclaimer: HillVani लेख में जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है। इस आर्टिकल में बताई गई विधि, तरीक़ों व दावों की भी पुष्टि नहीं करता है। इनको केवल सुझाव के रूप में लें। इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
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