उत्तराखंडः हफ्तेभर और झेलना होगा बिजली संकट, जानें मांग-सप्लाई..
उत्तराखंडः प्रदेशवासियों को भीषण गर्मी से बेहाल हैं वहीं लगातार तापमान का पारा ओर बढ़ता जा रहा है। वहीं मैदान से लेकर पहाड़ों में गर्म हवाएं चल रही हैं। जिस कारण लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इस भीषण गर्मी के साथ उत्तराखंड में लोगों को अभी भी एक हफ्ते बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद यूपीसीएल ने 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम किया लेकिन यह प्रदेश की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए नाकाफी है। प्रदेश को फिलवक्त 100 मेगावाट बिजली की जरूरत है। ऊर्जा प्रदेश कहे जाने वाले उत्तराखंड में पैदा होने वाली ज्यादातर बिजली बाहर चली जाती है। वहीं प्रदेश में बिजली की सालाना मांग 2468 मेगावाट है। विभिन्न परियोजनाओं से यहां 5211 मेगावाट बिजली पैदा होती है लेकिन राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली ही मिलती है।
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यूपीसीएल का कहना है कि सात दिन में बिजली कटौती की समस्या को खत्म कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि प्रदेश में लगातार हो रही बिजली कटौती पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के बाद यूपीसीएल ने भी कोशिशें तेज कर दी हैं। यूपीसीएल ने ऊर्जा मंत्रालय से बातचीत कर देर रात बोंगाईगांव पावर प्लांट असम से 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम किया। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने दावा किया कि सप्ताहभर में बिजली कटौती को और नियंत्रित कर दिया जाएगा। गर्मी, उद्योगों की खपत की वजह से बिजली की डिमांड भी 45 मिलियन यूनिट का आंकड़ा छू रही है। उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में चार से छह घंटे कटौती हो रही है।
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यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि उद्योगों में बिजली की खपत अचानक बढ़ गई है। सामान्य से करीब 20 प्रतिशत अधिक बिजली खपत हो रही है। वहीं अप्रैल माह में तापमान बढ़ोतरी की वजह से भी खपत में पांच से दस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि पिछले साल इन दिनों बाजार में बिजली करीब 3.75 रुपये प्रति यूनिट थी जो कि आज 11 से 12 रुपये तक खरीदनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 2468 मेगावाट की सालाना डिमांड है, जिसके सापेक्ष पैदा होने वाली 5211 मेगावाट बिजली में से राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली मिलती है।
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भार 443 प्रतिशत, उत्पादन 35 प्रतिशत बढ़ा
यूपीसीएल के मुताबिक, वर्ष 2001 में 8.3 लाख बिजली उपभोक्ता थे, जिनकी संख्या इस साल मार्च में 27.28 लाख पर पहुंच गई। उपभोक्ताओं की संख्या में 229 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। प्रदेश में 2001 में बिजली का भार 1466 मेगावाट था जो कि मार्च तक बढ़कर 7967 यानी 443 प्रतिशत बढ़ोतरी पर आ गया। इसके सापेक्ष, यूजेवीएनएल 2001 में 998 मेगावाट बिजली देता था जो कि अब 1356 मेगावाट तक आ गया है। यानी बिजली का उत्पादन केवल 35 फीसदी ही बढ़ा है।
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