Uttarakhand: 41 जिंदगियां कैद, श्रमिक बोले- तुम काम कर भी रहे हो या झूठ बोल रहे हो… पढ़ें रेस्क्यू ऑपरेशन का पूरा अपडेट..

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Uttarkashi Tunnel Rescue. Hillvani News

Uttarkashi Tunnel Rescue. Hillvani News

Uttarakhand Tunnel Accident: दिवाली के दिन उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव में निर्माणाधीन सुरंग धंसने के बाद उसमें करीब 41 मजदूरों के फंसे होने की घटना के आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन एक भी मजदूर को बाहर नहीं निकाला जा सका है। इसकी वजह से इन मजदूरों और परिजनों में मायूसी छायी हुई है। टनल में फंसे श्रमिकों का धैर्य भी जवाब देने लगा है। अंदर फंसे मजदूरों के हौसला टूट रहा है, तो दूसरी तरफ उनके सहकर्मियों और परिजनों का गुस्सा प्रशासन की विफलता पर फूट रहा है। 170 घंटे से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी 41 जिंदगियां टनल के अंदर ही फंसी हुई हैं। हालांकि, उनको बचाने का प्रयास पहले ही दिन से शुरू हो चुका था। जिसके बीच-बीच में पूरा करने की उम्मीद जरूर जगी है। रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर चल रहा है। अभी तक रेस्क्यू टीम को सफलता नहीं मिल पाई है। सभी को यही उम्मीद लगी है की जल्द से जल्द 41 मजदूरों को टनल से बाहर निकाल लिया जाए। सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए सुरंग के दाएं और बाएं से भी सुरंग बनाई जा रही है। ये दोनों निकासी सुरंग भूस्खलन के मलबे के आगे मिलेंगी। जिससे अंदर फंसे मजदूर बाहर आ सकें।

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रेस्क्यू ऑपरेशन में अब रोबोट की ली जाएगी मदद। Uttarakhand Tunnel Accident
आपदा सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में अब रोबोट की मदद ली जाएगी। सुरंग में मशीनों के इस्तेमाल से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मलबा लगातार गिरने से रेस्क्यू में बाधा आ रही है। वहीं आज उत्तरकाशी घटना स्थल पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है, “पिछले 7-8 दिनों से हम पीड़ितों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालना उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार की प्राथमिकता है। बताया कि उन्होंने यहां काम करने वाले संबंधित अधिकारियों के साथ घंटे भर बैठक की है। हम छह वैकल्पिक विकल्पों पर काम कर रहे हैं और भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियां यहां काम कर रही हैं। पीएमओ से भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सुरंग विशेषज्ञों और बीआरओ अधिकारियों को भी बुलाया गया है। हमारे पहली प्राथमिकता फंसे हुए पीड़ितों को भोजन, दवा और ऑक्सीजन उपलब्ध कराना है।

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सुरंग के अंदर की स्थिति अच्छी नहीं। Uttarakhand Tunnel Accident
सुरंग में काम करने वाले लोडर ऑपरेटर मृत्युंजय कुमार ने बताया कि सुरंग के अंदर की स्थिति अच्छी नहीं है। बताया कि एक सप्ताह का समय हो गया है। लेकिन अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए खास काम नहीं हुआ है। बताया कि वह झूठ बोल बोलकर उन्हें यह कहते हैं कि मशीन लगी हुई है, तुम्हें जल्द बाहर निकाल दिया जाएगा। लेकिन उनका हौसला टूट रहा है। वह कहते हैं कि सूखा खाने पर वह कब तक जीयेंगे। तुम काम कर भी रहे हो या झूठ बोल रहे हो। बताया कि उन्हें भी स्थिति का अंदाजा है, इसलिए वह कितना झूठ बोल सकते हैं। कहा कि मेट मशीन आए तो कुछ हो सकता है।
विदेशी विशेषज्ञों की मदद से जुटेंगी छह टीमें। Uttarakhand Tunnel Accident
सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब पहाड़ के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग होगी। वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए चार स्थानों की पहचान की गई है, वहां तक पहुंचने के लिए ट्रैक बनाने का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को सौंपा गया है। विदेशी विशेषज्ञों की मदद से पांच विकल्पों पर केंद्र और राज्य की छह टीमों ने आज रविवार से काम शुरू कर दिया है।

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पहला दिन: टनल में वापस आता रहा मलबा। Uttarakhand Tunnel Accident
रविवार सुबह दिवाली वाले दिन 6 बजे उत्तरकाशी के सिलक्यारा में टनल में मलबा आ गया। इससे सुरंग के अंदर काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए। इनको निकालने का रेस्क्यू रविवार सुबह 8 बजे से शुरू हो गया। पूरा दिन मलबे को रेस्क्यू टीम निकालती रही। उस दिन सफलता नहीं मिल पाई। जितना मलबा निकाला जा रहा था उतना ही वापिस टनल में आ जा रहा था।
दूसरा दिन: टनल में फंसे मजदूरों से हुई बात। Uttarakhand Tunnel Accident
सोमवार को टनल में फंसे मजदूरों से वॉकी-टॉकी के जरिए संपर्क हुआ। इससे अधिकारियों ने राहत की सांस ली। वॉकी-टॉकी से हुई बातचीत में टनल में फंसे मजदूरों ने बताया कि वह सही सलामत हैं। अधिकारियों ने भी उनको आश्वासन दिया कि जल्द ही आपको बाहर निकाल लिया जाएगा। पाइप के जरिए मजदूरों को खाने-पीने की चीजें भेजी जाती रहीं। घटना के दूसरे दिन सभी रेस्क्यू टीमें फिर से मलबा हटाने का प्रयास करती रहीं। इस बार भी टीमें मलबे को हटाने में फिर से नाकाम हो गईं। दूसरे दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी घटनास्थल पर पहुंचे। घटनास्थल पर उत्तराखंड के आपदा सचिव रंजीत सिन्हा पहुंचे। वहां जुटे SDRF, NDRF और NHIDL के अधिकारियों के साथ बैठक कर अर्थ ऑगर मशीन से मलबा साफ कर नई सुरंग बनाने का निर्देश दिया। इसके बाद अर्थ आगर मशीन से काम शुरू कर दिया जाता है।

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तीसरा दिन: अर्थ ऑगर मशीन नहीं कर पाई काम। Uttarakhand Tunnel Accident
हादसे के तीसरे दिन अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिल कर माइल स्टील पाइप से सुरंग के मलबे में दूसरी सुरंग बनाने का काम शुरू कर किया गया। लेकिन अर्थ ऑगर मशीन भी अपना काम नहीं कर पाई। इससे रेस्क्यू टीम के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई। इसके बाद एक नया प्लान तैयार किया गया।
चौथा दिन: मंगाई गई अमेरिकन अर्थ ऑगर मशीन। Uttarakhand Tunnel Accident
हादसे के चौथे दिन आधुनिक तकनीक से बनी अमेरिकन अर्थ ऑगर मशीन को वायुसेना के तीन विमानों हरक्यूलिस की सहायता से चिल्यालीसैंड हवाई पट्टी पर मंगवाया गया। हवाई पट्टी से इस अमेरिकन अर्थ ऑगर मशीन को घटनास्थल पर ले जाकर इंस्टालेशन का काम शुरू किया गया। इसको वहां से टनल तक ले जाने में पूरा दिन निकल गया। फिर एक उम्मीद और जगती है कि अब ये रेस्क्यू जल्द ही पूरा हो जाएगा।
पांचवा दिन: साथी मजदूरों का फूटा गुस्सा। Uttarakhand Tunnel Accident
हादसे के पांच दिन बीत जाने के बाद अंदर फंसे मजदूरों के साथ-साथ परिजन भी परेशान होने लगते हैं। इसी दिन मजदूरों के साथियों का गुस्सा फूट जाता है। मजदूरों के साथी टनल पर पुलिस और अधिकारियों के साथ धक्का-मुक्की करते हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी को लेकर लापारवाही का आरोप लगाते हैं। उसके बाद बमुश्किल उनको समझाया जाता है। जल्द ही साथी मजदूरों को बाहर निकालने का आश्वासन दिया जाता है। इसी दिन केंद्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह और पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड अशोक कुमार घटनास्थल पर पहुंचते हैं। रेस्क्यू कार्य का जायजा लेते हैं। अशोक कुमार ने कहा कि अभी दो दिन का समय इस ऑपरेशन को पूरा करने में लग सकता है।

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छठा दिन: असफल हुई अमेरिकन अर्थ ऑगर मशीन। Uttarakhand Tunnel Accident
घटना के छह दिन बाद भी एक आस बनी रहती है कि अमेरिकन अर्थ आगर मशीन से रेस्क्यू पूरा हो जाएगा, लेकिन अचानक से मशीन में कम्पन शुरू हो जाता है। इसके बाद शुक्रवार शाम को ड्रिल का काम रुक जाता है। उसके बाद वहां मौजूद टीमों की टेंशन बढ़ जाती है। इसके बाद एक नया प्लान बनाया जाता है। जब अमेरिकन अर्थ आगर मशीन अपना काम बंद कर देती है, तो उसके बाद एक और मशीन को इंदौर से एयरलिफ्ट करवाया जाता है। जो शक्रवार को हवाई पट्टी पर पहुंच जाती है।
सातवां दिन: कंपनी के अधिकारियों से हुई बहसबाजी। Uttarakhand Tunnel Accident
टनल हादसे का समय लगातार बढ़ता जा रहा था। एक बार फिर साथी मजदूरों ने नवयूगा कंपनी जो टनल बनाने का काम कर रही थी। उसके एमडी का घेराव किया। सभी साथी मजदूरों ने खूब हंगामा किया। कंपनी के अधिकारियों ने जल्द ही उनके साथी मजदूरों को बाहर निकालने की बात कही।

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पीएमओ ने बनाया मास्टर प्लान। Uttarakhand Tunnel Accident
उत्तरकाशी के टनल हादसे को 7 दिन हो चले थे लेकिन अभी तक 41 मजदूर मौत और जिंदगी से जंग लड़ रहे है। तभी एक और आस जगती है। पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारी भास्कर खुलबे ने बताया कि सभी एक्सपर्ट्स की एक ही राय है कि बजाय एक रास्ते से रेस्क्यू करने के दूसरे रास्तों से भी रेस्क्यू का काम शुरू किया जाए। इसपर सभी एक्सपर्ट्स के साथ वहां काम कर रही अलग-अलग टीमों की रजामंदी हो गई। उन्होंने बताया कि सिलक्यारा की तरफ से पहले दिन से ही रेस्क्यू चल रहा है। अब बड़कोट की तरफ से रेस्क्यू की शुरुवात हो रही है। साथ ही वर्टिकल तरीके से भी रेस्क्यू किया जाएगा। उसके साथ साथ दो तरफ से परपेंडीकुलर का तरीका भी इसमें जोड़ रहे हैं। इनमें से कुछ पर काम होना शुरू हो गया है। इनमें एक प्लान पहले ही एक्जीक्यूट था और दूसरे को भी एक्जीक्यूट कर लिया गया है। हादसे के आठवें दिन यानी आज रविवार को अभी तक 41 जिंदगियां मौत और जिंदगी से जंग लड़ रही हैं। कब इनको बाहर निकाला जाएगा। ये कहना किसी भी अधिकारी के लिए मुश्किल हो रहा है।

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