उत्तराखंड दरोगा भर्ती 2015 में भी धांधली का शक, विजिलेंस करेगी जांच। STF को मिले साक्ष्य..

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Uttarakhand Inspector Recruitment 2015. Hillvani News

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उत्तराखंड से आज की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है कि राज्य में 2015 में हुई पुलिस दरोगा भर्ती परीक्षा भी विवादों के घेरे में आ घिरी है। उत्तराखंड में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की दो परीक्षाओं में पेपर लीक की जांच के बीच अब वर्ष 2015 में हुई दरोगा भर्ती भी शक के दायरे में आ गई है। इस भर्ती में भी कुछ लोगों के गलत तरीके से पास होने की आशंका जताई गई है। ऐसे में पुलिस मुख्यालय ने शासन से विजिलेंस जांच की सिफारिश की थी। गृह विभाग ने इस मामले में कार्मिक विभाग से विजिलेंस जांच के लिए कहा है। सूत्रों द्वारा प्रस्ताव भेजे जाने की पुष्टि की गई है। हालांकि शुक्रवार को देर शाम तक विजिलेंस के पास आदेश की कॉपी नहीं पहुंची थी। बताया जा रहा है कि जल्द ही विजिलेंस इस मामले की जांच शुरू कर सकती है।

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पंतनगर विश्व विद्यालय द्वारा कराई गई थी दरोगा भर्ती की परीक्षा
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद तीसरी बार वर्ष 2015 में दरोगा की सीधी भर्ती हुई थी। आपको बताते चले की 339 अभ्यर्थी परीक्षा देकर दरोगा बने थे। दरअसल यूकेएसएससी पेपर लीक मामले में की जा रही जांच में एसटीएफ द्वारा कल पंतनगर विश्व विद्यालय के रिटायर्ड ऑफिसर दिनेश चंद जोशी को गिरफ्तार किया गया था। दरोगा भर्ती की परीक्षा भी पंतनगर विश्व विद्यालय द्वारा ही कराई गई थी, तमाम चल रही चर्चाएं व शिकायतों के आधार पर पुलिस मुख्यालय ने जांच कराने संबंधी प्रस्ताव भेज दिया है। साथ ही आपको बता दें कि शुरुआत में इस भर्ती के रिजल्ट में आरक्षण का पेच फंसा था। लिहाजा दो बार रिजल्ट जारी किया गया था। अब इसमें धांधली की बात सामने आ रही है।

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एसटीएफ को मिले साक्ष्य
वर्तमान में चल रही उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा की जांच में एसटीएफ को दरोगा भर्ती में भी धांधली के साक्ष्य मिले थे। अंदेशा जताया जा रहा था कि कुछ लोग इसमें गलत तरीके से पास हुए हैं या तो उन्होंने नकल की है या फिर उनकी अर्हता में कुछ गड़बड़ी की गई है। चूंकि यह परीक्षा पुलिस विभाग की है। ऐसे में पुलिस मुख्यालय के अंतर्गत आने वाली कोई एजेंसी इसकी जांच नहीं कर सकती थी। लिहाजा पुलिस मुख्यालय ने विजिलेंस जांच की सिफारिश की है। बताया जा रहा है कि मुख्यालय की सिफारिश पर गृह विभाग ने इसे कार्मिक विभाग को भेज दिया है। बताया जा रहा है कि वहां से विजिलेंस जांच के आदेश हो चुके हैं। हालांकि विजिलेंस डायरेक्टर अमित सिन्हा का कहना है कि अभी विजिलेंस को आदेश की कॉपी नहीं मिली है।

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