दिल्ली-NCR के रिजेक्टेड वाहनों का प्रदेश बना उत्तराखंड… पहाड़ों में फिट यहां की अनफिट गाड़ियां..

0
rejected vehicles. Hillvani News

rejected vehicles. Hillvani News

Uttarakhand becomes state of rejected vehicles: उत्तराखंड इन दिनों राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के रिजेक्टेड वाहनों का प्रदेश बनता जा रहा है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, आगरा, सोनीपत, मेरठ आदि शहरों में वाहनों की अधिकतम आयु-सीमा दस वर्ष होने के कारण ट्रांसपोर्टर सस्ते दाम में पुराने वाहन खरीदकर यहां पंजीकृत करा रहे हैं। मामला एकदम साफ है कि जो गाड़ी प्रदूषण के मानक पर एनसीआर के लिए अनफिट है, वह उत्तराखंड के सभी शहरों में आरटीओ में नया पंजीकरण कराकर फिटनेस का प्रमाण-पत्र लेकर यहां बेधड़क दौड़ रही हैं। अकेले देहरादून के आरटीओ कार्यालय में ही रोजाना एनसीआर से लाई गई 15 से 20 गाड़ियां पंजीकृत हो रहीं। दिल्ली व एनसीआर में प्रदूषण को लेकर मानक सख्त होने के कारण वहां दस वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का संचालन प्रतिबंधित है। यह प्रतिबंध डीजल चालित सभी वाहनों के लिए है, जबकि पेट्रोल वाहनों के लिए केवल उसी शर्त में प्रतिबंध है, जब वह वाहन दिल्ली व एनसीआर में पंजीकृत हो। ऐसे में महंगी कीमत वाली गाड़ियां भी दस वर्ष की जद में आकर दिल्ली व एनसीआर में संचालित नहीं हो पा रही।

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः 3 महिलाओं को मारने वाला आदमखोर पकड़ा गया, पूरी रात चला ऑपरेशन…

ऐसे में उत्तराखंड के लोग और पुराने वाहनों का कारोबार करने वाले ट्रांसपोर्टर दिल्ली और एनसीआर में आयु-सीमा पूरी कर चुके वाहनों को यहां लाकर दोबारा पंजीयन करा रहे हैं। उत्तराखंड में व्यावसायिक वाहनों के लिए अधिकतम आयु सीमा 15 वर्ष है, जबकि निजी वाहनों के लिए 25 वर्ष। संभागीय परिवहन कार्यालय देहरादून के रिकार्ड के अनुसार रोजाना 15 से 20 गाड़ियां दिल्ली व एनसीआर से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लाकर यहां पंजीकृत कराई जा रही हैं। हरिद्वार, रुड़की, ऊधम सिंह नगर, काशीपुर व रुद्रपुर में भी यही स्थिति बताई जा रही। आडी, बीएमडब्ल्यू, एसयूवी की भरमार दिल्ली व एनसीआर में आयु-सीमा पूरी होने के कारण उत्तराखंड में दोबारा पंजीकृत कराई जा रही गाड़ियों में सर्वाधिक संख्या आडी, बीएमडब्ल्यू, फार्च्यूनर, एसयूवी आदि गाड़ियों की हैं। वहां से सस्ती कीमत पर गाड़ियों को खरीदकर यहां पंजीयन शुल्क चुकाकर पंजीकृत कराया जा रहा।

यह भी पढ़ेंः Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में शीतलहर का प्रकोप, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट..

पांच-छह साल पहले बाहरी राज्यों से गाड़ी लाकर उत्तराखंड में उन्हें दोबारा पंजीकृत कराने के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए राज्य सरकार ने यहां पंजीयन शुल्क में वृद्धि कर दी थी। अब दस लाख से ऊपर कीमत की गाड़ी पर वाहन के एक्स-शोरूम मूल्य का 10 प्रतिशत पंजीयन शुल्क लगता है, जबकि पांच लाख से दस लाख कीमत तक की गाड़ी से आठ प्रतिशत पंजीयन शुल्क लिया जाता है। इसके बावजूद एनसीआर से पुरानी गाड़ी लाने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई। उत्तराखंड में व्यावसायिक वाहन के संचालन के लिए अधिकतम आयु-सीमा 15 वर्ष है जबकि निजी वाहन के लिए 25 वर्ष है। निजी वाहन की आयु 15 वर्ष पूरी होने के बाद उसे दो बार पांच-पांच वर्ष के लिए फिटनेस प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है। मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार दूसरे राज्य से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेकर आई 15 वर्ष से कम पुरानी गाड़ी को यहां दोबारा पंजीकरण कराने से रोका नहीं जा सकता। हालांकि, यहां पंजीकरण से पूर्व गाड़ी की तकनीकी व भौतिक जांच के साथ ही उसका आपराधिक रिकार्ड भी पता लगाया जाता है। पूरी जांच के बाद ही गाड़ी को यहां पंजीकृत किया जाता है।

यह भी पढ़ेंः UPCL उत्तराखंड के गरीब जनजातीय परिवारों को देगा निशुल्क बिजली कनेक्शन..

Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

हिलवाणी में आपका स्वागत है |

X