गौरीकुंड में लापता 20 लोगों की तलाश जारी.. हर तरफ मलबे को खंगाल रहे जवान, नहीं मिल रहा कोई निशान..
रुद्रप्रयाग के गौरीकुंड भूस्खलन हादसे में लापता 20 लोगों का चार दिन बीत जाने के बाद भी कोई सुराग नहीं लग पाया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएएएफ, डीडीआरएफ, वाईएमएफ, पुलिस और होमगार्ड के जवान खाई से लेकर नदी में बिखरे मलबे की एक-एक चीज को खंगाल रहे हैं। अभी तक कुछ भी ऐसा नहीं मिला है, जिससे किसी लापता के बारे में जानकारी मिल सके। वहीं, मलबे में पड़े सीमेंट के टूटे स्लैब और उस पर बाहरी निकली सरिया, टिन की चादरें और अन्य वस्तुओं से रेस्क्यू में जुटे जवानों के घायल होने का खतरा भी बना हुआ है।
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मलबा खाई से लेकर मंदाकिनी नदी के किनारे तक फैला
बता दें कि रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग पर गौरीकुंड डाटपुल के पास तीन जुलाई की रात्रि लगभग 11.30 बजे बारिश के बीच हुए भारी भूस्खलन से तीन दुकानें बह गईं थी। इस हादसे में 23 लोग लापता हुए थे, जिसमें से तीन शव बरामद हो चुके हैं। बाकी 20 लोगों का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। चार दिन से घटनास्थल से लेकर आसपास के क्षेत्र में रेस्क्यू किया जा रहा है। दुकानों का मलबा खाई से लेकर मंदाकिनी नदी के किनारे तक फैला हुआ है। इस मलबे में सिमेंट के टूटे स्लैब है, जिन पर सरिया बाहर निकली हैं। लोहे के टूटे एंगल, टिन की चादर भी हैं, जो रेस्क्यू में बाधा डाल रही हैं। साथ ही इस मलबे से जवानों के लिए खतरा बना हुआ है। इन हालातों में प्रभावित क्षेत्र में मंदाकिनी नदी में गोता लगाकर खोजबीन नहीं हो पा रही है।
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कहा कहां हो रही लापता लोगों की खोज?
डीडीएमओ नंदन सिंह रजवार ने बताया कि चार दिन से मलबे की एक-एक चीज को खंगाला जा चुका है। लेकिन अभी तक लापता लोगों के बारे में कोई भी सुराग नहीं मिल पाया है। सोमवार को गौरीकुंड में बार-बार होती बारिश के कारण सुबह से दिनभर में कई बार रेस्क्यू बाधित होता रहा। डीडीएमओ रजवार ने बताया कि केदारनाथ में बारिश होते ही मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ बहाव भी तेज हो रहा है, जिस कारण खोजबीन अभियान प्रभावित हो रहा है। घटनास्थल से लेकर सोनप्रयाग होते हुए कुंड डैम, रुद्रप्रयाग, धारी देवी तक रेस्क्यू किया जा रहा है। दूसरी तरफ पौड़ी व टिहरी जनपद पुलिस द्वारा भी श्रीनगर से लेकर देवप्रयाग तक कई जगहों पर अलकनंदा नदी में लापता लोगों की खोजबीन के लिए विशेष अभियान चलाया गया। भूस्खलन की चपेट में आने से बही दुकानों की छतें टूटकर मंदाकिनी नदी तक पहुंच गई हैं। इन छतों के नीचे भी कुछ लोगों के दबे होने की आशंका है। इसे देखते हुए हाइड्रा मशीन से टूटी छतें हटाकर खोजबीन की गई, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
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अधिकांश पीड़ित नेपाल से
अधिकांश पीड़ित नेपाल से थे। खराब मौसम और मंदाकिनी के जल स्तर में वृद्धि ने बचाव अभियान को मुश्किल बना दिया है। लगातार खराब मौसम के कारण और अधिक भूस्खलन का खतरा पैदा हो रहा है, अस्थायी कियोस्क और दुकानों के मालिक सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए स्वेच्छा से जगह खाली कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच सड़क के दोनों ओर दुकानों और अन्य स्ट्रक्चर की पहचान करना शुरू कर दिया है जो भूस्खलन से खतरे में पड़ सकती हैं। शुक्रवार को बरामद किए गए तीन शवों की पहचान देवी बहादुर, टेक बहादुर और प्रकाश टम्टा के रूप में की गई है – ये सभी नेपाल के रहने वाले हैं।
लापता लोगों के नाम जारी
अभी भी लापता 20 लोगों में तिलवाड़ा के आशु और प्रियांशु चमोला, बस्ती के रणबीर सिंह, नेपाल निवासी अमर बोहरा, उनकी पत्नी अनीता बोहरा, उनकी नाबालिग बेटियां राधिका और पिंकी और बेटे पृथ्वी, जटिल और वकील शामिल हैं। भरतपुर के खानवा निवासी विनोद, सहारनपुर के नगला बंजारा के मुलायम, उत्सुया चोपड़ा के सुगाराम, बम बोहरा, चंद्र कामी, धर्मराज, नीर बहादुर, उनकी पत्नी सुमित्रा देवी, उनकी बेटी कुमारी निशा और रोहित बिष्ट भी लापता हैं।
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