रुद्रप्रयाग और चमोली की झोली फिर खाली। बार बार अनदेखी आखिर क्यों?
देहरादून: धामी मंत्रिमंडल में इस बार भी रुद्रप्रयाग और चमोली जनपद को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला। वहीं दोनों जनपदों के लोगों को उम्मीद थी कि इस बार रुद्रप्रयाग और चमोली को मंत्रिमंडल में जगह मिल पाएगी, लेकिन लोगों को मायूसी ही मिली। दोनों जनपदों के लोगों को सबसे ज्यादा कयास रुद्रप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से प्रचंड बहुमत से जीते भाजपा विधायक भरत सिंह चौधरी के मंत्री बनने के लगाए जा रहे थे। जिसको लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा चल रही थी कि लगातार दो बार प्रचंड मतों से जीते भरत सिंह चौधरी को मंत्रीमंडल में जगह मिले। लेकिन मुख्यमंत्री धामी के मंत्रिमंडल की टीम बनी तो इस बार भी दोनों जिलों को कोई स्थान नहीं मिला।
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प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थी कि धामी सरकार के मंत्रिमंडल में रुद्रप्रयाग को प्रतिनिधित्व मिल सकता है। लेकिन धामी सरकार में भी फिर रुद्रप्रयाग चमोली जिले को मंत्रिमंडल में महत्व नहीं मिला। पिछले कार्यकाल में भी प्रचंड बहुमत के बावजूद भी भाजपा सरकार द्वारा चमोली और रुद्रप्रयाग की उपेक्षा की गई थी। इस बार भी रुद्रप्रयाग चमोली की 5 विधानसभा वासियों को निराश किया गया है। 2024 में लोक सभा के चुनाव भी होने हैं। अगर बात रुद्रप्रयाग सीट से पिछले विधायकों की करें तो भाजपा से मातबर सिंह कंडारी और कांग्रेस के हरक सिंह रावत सरकार में मंत्रीमंडल में शामिल रहे हैं लेकिन पिछले बार भी और इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रचंड मतों से जीतकर विधानसभा पहुंचे भरत सिंह चौधरी के साथ ही क्षेत्र की अनदेखी की गई है।
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चमोली व रुद्रप्रयाग को प्रतिनिधित्व देने के लिहाज से रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी सर्वमान्य विकल्प हैं…
1- दोनों जिलों से भरत सिंह चौधरी ही सर्वाधिक मतों से जीत कर आये हैं।
2- पिछले चुनाव के साथ इस बार के चुनाव में भी भरत सिंह चौधरी पूरे प्रदेश में सर्वाधिक अन्तर से जीतने वाले विधायक हैं
3- सबसे अहम बात यह है कि उत्तर प्रदेश के जमाने में भी भरत सिंह चौधरी विधानसभा का चुनाव लड़कर 18000 मत प्रात कर चुके हैं। तब चमोली व पौड़ी व वर्तमान जिला रुद्रप्रयाग को मिलाकर कर्णप्रयाग विधानसभा होती थी। जिसका अहम हिस्सा थैलीसैण ब्लॉक, पाबौ, पोखड़ा, बिरोंखाल, कर्णप्रयाग ब्लॉक, गैरसैंण ब्लॉक व थराली ब्लॉक होता था।
4- कई बार सदन के भीतर मुख्यमंत्री सहित नेता प्रतिपक्ष व सरकार के वरिष्ठ मंत्री भी भरत सिंह चौधरी की कार्यशैली व दूरदर्शिता की प्रशंसा कर चुके हैं।
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5- भरत सिंह चौधरी कर्णप्रयाग विधानसभा से भी चुनाव लड़ चुके हैं।
6- भरत सिंह चौधरी के पास न सिर्फ 2 बार की जीत का बल्कि 5 बार की हार का भी ब्यापक अनुभव है।
7- यह भी ध्यान रहे कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी रुद्रप्रयाग विधानसभा में भी भाजपा प्रत्याशी को 39000 मत व मंत्री होने के बावजूद भी कांग्रेस के प्रत्याशी को मात्र 12000 मत मिले थे।
8- इस विधानसभा चुनाव में भी भरत सिंह चौधरी 10 हजार के मार्जन से जीते और चमोली-रुद्रप्रयाग में सबसे ज्यादा अंतर से जीतने वाले प्रत्याशी बने।
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क्या हैं धामी टीम में कास्ट फैक्टर्स?
धामी को मिलाकर उत्तराखंड की नयी कैबिनेट के 9 में से तीन मंत्री ब्राह्मण हैं, तीन ठाकुर, दो दलित और एक वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखने वाला चेहरा है। भाजपा ने चतुराई से जातिगत समीकरणों को साधा है। ठाकुर और ब्राह्मण, दोनों सवर्ण समुदायों को बराबर प्रतिनिधित्व दिया गया है, जबकि दलित समुदाय को भी खुश किया गया है। पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे प्रेमचंद अग्रवाल को इस बार मंत्री बनाकर वैश्य समाज को प्रतिनिधित्व दिया गया।
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कुमाऊं और गढ़वाल में कैसा रहा संतुलन?
दलित समुदाय से आने वाले दोनों मंत्री रेखा आर्या और चंदन राम दास का ताल्लुक कुमाऊं से है। कुमाऊं से ही धामी आते हैं, जो ठाकुर नेता हैं जबकि अन्य दो ठाकुर नेताओं सतपाल महाराज व धनसिंह रावत का ताल्लुक गढ़वाल से है। दो ब्राह्मण चेहरे गणेश जोशी और सुबोध उनियाल गढ़वाल अंचल से विधायक हैं, तो सितारगंज विधायक सौरभ कुमाऊं के ब्राह्मण चेहरे के तौर पर कैबिनेट में शामिल हैं। वहीं कोटद्वार से जीतकर विधानसभा पहुंची ऋतु खंडूरी को विधानसभा अध्यक्ष का पद दिया गया है।