प्रधानी 10वीं पास विधायकी चलेगी अंगूठाछाप, कानून बनाने वाले अपने लिए कानून बनाना भूल गए..

0

उत्तराखंड: उत्तराखंड का सियासी समर बहुत दूर नहीं है। इसके लिए सेनाएं सजने लगी हैं। विधानसभा चुनाव के रण में उतरने के लिए चिर प्रतिद्वंद्वी भाजपा और कांग्रेस एक बार फिर आमने-सामने हैं। सबसे बड़ी बात यह भी है कि इस बार उत्तराखंड के रण में आम आदमी पार्टी भी बिगुल बजा चुकी है और हर बार की तरह उत्तराखंड क्रांति दल भी रण फतेह करने की आस लगाए बैठी है। प्रदेश में अभी तक दो प्रमुख दलों का चुनावी इतिहास राज्य में दो-दो चुनाव जीतने का है। सत्तारोधी रुझान की हवा पर सवार होकर दलों ने चुनावी वैतरणी पार की और प्रदेश में सरकार बनाई। लेकिन 2002 को छोड़कर 2007 और 2012 में भाजपा और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। दोनों दलों ने जोड़तोड़ से सरकार बनाई। अलबत्ता, 2017 में भाजपा ने प्रचंड बहुमत का रिकाॅर्ड बनाया और सत्ता पर काबिज हुई। एक बार फिर भाजपा 2022 के चुनावी संग्राम में अब तक का सबसे अनूठा रिकार्ड बनाने को बेताब दिखाई दे रही है।

यह भी पढ़ें: अगले 2 दिन बर्फबारी की संभावना, सर्द हवा से बढ़ी ठिठुरन। जानें आने वाले दिनों में कैसा रहेगा मौसम..

प्रदेश में सत्ता में कांग्रेस के बाद भाजपा और भाजपा के बाद कांग्रेस के मिथक इस बार तोड़ देना चाहती है। इसलिए उसने ‘अबकी बार साठ पार’ का लक्ष्य बनाया है। कांग्रेस एक फिर केंद्र और राज्य के सत्तारोधी रुझान के दम पर चुनावी नैया पार करने की सोच रही है। महंगाई, बेरोजगारी, पलायन, गैरसैंण, देवस्थानम बोर्ड और भू कानून कांग्रेस के मुख्य चुनावी हथियार हैं। इन दोनों प्रमुख पार्टियों के साथ घोषणाओं की कदम ताल करती आम आदमी पार्टी भी 2022 में सत्ता के सपने देख रही है तो उत्तराखंड क्रांति दल भी सत्ता स्वप्न देखने की फिर कोशिश कर रही है। सत्ता किसको मिलेगी ये तो चुनाव के बाद देखा जाएगा। पर आज हम बात कर रहे हैं प्रदेश के राजनेताओं की शिक्षा की क्योंकि इसे विडंबना ही कहेंगे कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव में 10वीं पास की अनिवार्यता है, लेकिन विधायक अंगूठाछाप भी चलेगा। सभी सियासी दलों के पास विधायक पद के दावेदारों के लिए एक ही पैमाना है उम्मीदवार जिताऊ होना चाहिए।

यह भी पढ़ें: सुरक्षाबलों की बस पर आतंकी हमला, 2 जवान शहीद 12 ज़ख्मी। प्रधानमंत्रीने मांगी जानकारी..

कानून बनाने वालों ने अपनी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के लिए कोई कानून नहीं बनाया
फिलहाल दूसरों के लिए कानून बनाने वालों ने अपनी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के लिए कोई कानून नहीं बनाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में जीतकर सदन तक आने वाले विधायकों की शैक्षिक योग्यता का रिकॉर्ड इस बात को बयां कर रहा है कि भाजपा-कांग्रेस हो या अन्य दल, शैक्षिक योग्यता किसी की प्राथमिकता नहीं रही। 2017 के विधानसभा चुनाव में जीते हुए उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता का विश्लेषण करें तो तस्वीर काफी हद तक साफ होती है। उनके नामांकन के दावों के आधार पर स्पष्ट है कि पिछली विधानसभा में दो विधायक आठवीं पास, आठ विधायक 10वीं पास और पांच विधायक 12वीं पास पहुंचे थे। हालांकि स्वर्गवासी हो चुके विधायकों सहित 24 विधायक ग्रेजुएट, पांच विधायक प्रोफेशनल ग्रेजुएशन, 17 विधायकों के पास पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री थी। तीन विधायक ऐसे भी हैं, जो कि डॉक्टरेट यानी पीएचडी की अर्हता रखते हैं। इन चुने गए प्रत्याशियों में भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही ऐसे नेता हैं जो कि 12वीं या इससे कम की योग्यता रखते हैं। 

यह भी पढ़ें: दर्दनाक हादसा: बेक़ाबू कार ने बाइक को मारी टक्कर, दो की मौत। परिवार में मचा कोहराम..

पंचायत चुनाव लड़ने वालों के लिए है कानून
अगर प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ने वाले सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता को देखा जाए तो यहां न्यूनतम 10वीं पास की अनिवार्यता है। पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 से यह बदलाव लागू किया गया था। यहां सामान्य श्रेणी की महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 8वीं पास रखी गई है। ओबीसी को शैक्षिक योग्यता के मामले में सामान्य श्रेणी के साथ ही रखा गया है।

नेता अनुभवी और जिताऊ हैं तो चलेगा 
प्रधान बनने के लिए 10वीं पास की अनिवार्यता हो लेकिन विधायक बनने के लिए कोई शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं रही है। फिर चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस या फिर अन्य कोई भी दल। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दो विधायक 10वीं पास, दो विधायक 12वीं पास थे। भाजपा के दो विधायक आठवीं पास, सात विधायक 10वीं पास और तीन विधायक 12वीं पास थे। साफ है कि राजनीतिक दलों के टिकट देने का पैमाना प्रत्याशी की शैक्षिक योग्यता से इतर अनुभव और जिताऊ होना है।

यह भी पढ़ें: पंचतत्व में विलीन हुए विधायक हरबंस कपूर, नम आंखों से लोगों ने दी अश्रुपूर्ण विदाई..

क्यों जरूरी है जनप्रतिनिधि का पढ़ा-लिखा होना
आमतौर पर उत्तराखंड में यह आरोप लगते रहे हैं कि नौकरशाही हावी है, बेलगाम है। वह जनप्रतिनिधियों को अपने हिसाब से गाइड करते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर जन प्रतिनिधियों को नियम-कानूनों का बेहतर ज्ञान होगा तो नौकरशाही उन्हें गुमराह नहीं कर सकती। लिहाजा, यह माना जाता है कि जनप्रतिनिधि अगर पढ़ा लिखा हो तो बेहतर हो सकता है। 

दो विधायक हैं 8वीं पास
कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत और राजपुर विधायक खजानदास।
आठ विधायक 10वीं पास
कपकोट विधायक बलवंत सिंह, धारचूला विधायक हरीश सिंह, पिरान कलियर विधायक फुरकान अहमद, लोहाघाट विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा, थराली विधायक मगन लाल शाह, मसूरी विधायक गणेश जोशी, कर्णप्रयाग विधायक सुरेंद्र सिंह।
पांच विधायक हैं 12वीं पास
पौडी विधायक मुकेश सिंह कौली, जसपुर विधायक आदेश सिंह, बीएचईएल रानीपुर विधायक आदेश चौहान, जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, घनशाली विधायक शक्ति लाल शाह।

यह भी पढ़ें: 21 साल बाद भारत को मिला यह खिताब, हरनाज कौर संधू बनीं यह ताज जीतने वाली तीसरी भारतीय..

ग्रेजुएशन पास 22 विधायक हैं
चंपावत विधायक कैलाश चंद्र, द्वाराहाट विधायक महेश सिंह नेगी, रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ, खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन, गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय, भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा, बागेश्वर विधायक चंदन राम दास, रानीखेत विधायक करन माहरा, अल्मोड़ा विधायक रघुनाथ सिंह चौहान, सहसपुर विधायक सहदेव सिंह पुंडीर, झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल, गंगोलीहाट विधायक मीना गंगोला, लक्सर विधायक संजय गुप्ता, लैंसडोन विधायक दिलीप सिंह रावत, लालकुआं विधायक नवीन चंद्र दुम्का, यमकेश्वर विधायक ऋतु खंडूरी भूषण, रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह, धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली, हरिद्वार विधायक मदन कौशिक, मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन, किच्छा विधायक राजेश शुक्ला।
ग्रेजुएशन प्रोफेशनल कोर्स धारक पांच विधायक
देहरादून कैंट विधायक स्व. हरबंस कपूर, चकराता विधायक प्रीतम सिंह, सितारगंज विधायक सौरभ बहुगुणा, यमुनोत्री विधायक केदार सिंह, खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी।

पोस्ट ग्रेजुएट 17 विधायक
नरेंद्रनगर विधायक सुबोध उनियाल, सोमेश्वर विधायक रेखा आर्य, विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान, बदरीनाथ विधायक महेंद्र प्रसाद, टिहरी विधायक धन सिंह नेगी, देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी, हरिद्वार ग्रामीण विधायक यतीश्वरानंद, प्रतापनगर विधायक विजय सिंह पंवार, डोईवाला विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत, भगवानपुर विधायक ममता राकेश, रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट, केदारनाथ विधायक मनोज रावत, रुद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल, ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद अग्रवाल, डीडीहाट विधायक विशन सिंह, ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर।
पीएचडी धारक विधायक
नानकमत्ता विधायक प्रेम सिंह, कोटद्वार विधायक डॉ. हरक सिंह रावत और श्रीनगर विधायक डॉ. धन सिंह रावत।वहीं (चौबट्टाखाल विधायक सतपाल महाराज की शैक्षिक योग्यता की जानकारी नहीं)

नोट- यह ख़बर मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बनाई गई है।..

Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

हिलवाणी में आपका स्वागत है |

X