चुनाव कभी पर्यटन के मुद्दे पर नहीं हुआ, इस बार का वोट उसे जो बदल दे पर्यटन की तस्वीर..

0

लेख- संदीप गुसाईं, फाउंडर रूरल टेल्स
विकास एक सतत प्रक्रिया है। एक ग्राम प्रधान से लेकर क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, विधायक और सांसद सभी की जिम्मेदारी है अपने अपने इलाको में बुनियादी सुविधाओं को ठीक करने की। अगर विधायक और सांसद चाहे तो विकास के साथ अपने क्षेत्र और समाज के सामने कुछ अभिनय पहल भी कर सकते है। पिछले 20 सालों में प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की 10-10 साल राज किया। इन दस सालों में दोनों पार्टियों का मुख्य एजेंडा खनन, शराब की नीतियां बनाने को लेकर ही था। जब शराब पर प्रतिबंध लगा 2017 में तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई लेकिन जब उत्तराखंड हाई कोर्ट ने प्रदेश में बुग्यालों पर नाईट स्टे प्रतिबंध लगाया तो राज्य सरकार उस निर्णय के खिलाफ नहीं गई। पिछले 5 साल में कोरोना और कई अन्य फैसलों से पर्यटन कारोबार बुरी तरफ चौपट हो गया।

https://youtu.be/SqU2X6lGk0Y

उत्तराखंड और हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां एक जैसी है। लेकिन पूरे हिमाचल में पर्यटन संस्थागत है और बड़ी संख्या में देश विदेश से पर्यटक आते है। आज दोनों पार्टियों की जुबान पर केवल चार धाम यात्रा का जिक्र है जबकि उससे ज्यादा पर्यटन मोरी से लेकर मुन्स्यारी तक छिपा हुआ है।आजकल भी जोलीग्रांट एयरपोर्ट पर दायरा, केदारकांठा, तुंगनाथ, औली जैसे बेहतरीन पर्यटक स्थलों के लिए नवंबर से मार्च अप्रैल तक पर्यटक आते है। यानी एयरलाइंस भी सैलानियों से चल रही है। हमने कभी ये नहीं सोचा कि पर्यटन प्रदेश होगा तो अर्थव्यस्था मजबूत होगी और हमारे संशाधन बेहतर होंगे। हर साल कर्ज के बोझ तले उत्तराखंड दब रहा है।सरकार पिछले कई सालों से इस तरफ कोई ध्यान नहीं देती।

उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़ और पौड़ी जैसे जिलों में हजारों गाँव है और सैकडों ट्रैक है और इन्हें आगे बढ़ाने में विधायक भी प्रमुख रोल निभा सकता है लेकिन होता बिल्कुल उल्टा है।विधायक ना तो इस तरफ ध्यान देते है और ना ही सांसद। अगर अपने 5 सालों में एक भी ट्रैक, पर्यटन स्थल किसी होम स्टे को विधायक प्रमोट कर दे तो शायद भविष्य में वह क्षेत्र कईयों को रोजगार की सुविधा दे सकता। पिछले 2 साल में मैं प्रदेश के हर इलाके में गया। आखिर क्या बात है कि विधायकों को मिलने वाली विधायक निधि से ऐसे ट्रैक या गांवों को प्रमोट नहीं किया गया। मोरी, पुरोला, नौगांव, घनसाली, प्रतापनगर, कीर्तिनगर, उखीमठ, जोशीमठ, देवाल, कपकोट जैसे और भी कई ब्लॉक है। मुझे केवल केदारनाथ विधायक मनोज रावत में ही वह सोच दिखी जो उन्होंने अपनी विधायक निधि का कुछ हिस्सा ट्रैकिंग और विलेज टूरिज्म को बढ़ावा देने में किया…

जबकि पुरोला से राजकुमार, बद्रीनाथ से महेंद्र भट्ट, थराली से मुन्नी देवी शाह, चौबट्टाखाल से सतपाल महाराज, लैंसडौन से दिलीप रावत, चकराता से प्रीतम सिंह, भीमताल से राम सिंह कैड़ा, नैनिताल से संजीव आर्य, धारचूला से हरीश धामी और रानीखेत से करन माहरा की कोई भी ऐसी सोच या अभिनव पहल जिससे उनके इलाके में पर्यटको आकर्षित किया जा सकता था। मुझे याद नही और अगर गांवों के मंदिरों का सौंदर्यीकरण ही विधायक निधि खर्च करना है तो वो सभी विधायक कर रहे है।विधायक और सांसदों की अपनी फैन फॉलोइंग होती है वो खुद अपने स्तर से प्रमोट कर सकते है। सरकार पर्यटन स्थलों में आधारभूत ढांचा तो बना रही है लेकिन तब भी पर्यटक आ नहीं आते इसका उदाहरण है पौड़ी में थीम पार्क।

आज की दुनिया में पर्यटक नई जगहों को देखना चाहते है वो गांवो में रहना चाहते है वो ट्रैक करना चाहते है उन्हें पहाड़ अच्छे लगते है। उन्हें भीड़ भाड़ वाले पर्यटन स्थल नहीं चाहिए और इसके लिए उनके विधायक और सांसद रोल मॉडल हो सकते है लेकिन है नहीं। नैनीताल से सांसद और केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट को ली ले लीजिए पिछले 3 सालों में इस दिशा में कोई सोच दिखाई हो। विकास की रफ्तार को बढ़ावा देने के लिए ग्राम प्रधान से लेकर और सांसद जब सभी का पहला लक्ष्य पर्यटन होगा तभी हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। वरना हमारी खनन, शराब क्षेत्र पर निर्भरता और बढ़ेगी।राज्य आर्थिक दृष्टि से कमजोर होता रहेगा। कुछ लोग अमीर होते रहेंगे और पहाड़ की जनता धीरे धीरे कर्ज के बोझ तले दबती जाएगी। जब पर्यटक आएंगे तो पहाडों में खेती और बागवानी को भी बढ़ावा मिलेगा। जब राज्य में पर्यटक आएंगे तो राजस्व बढ़ेगा। सरकार उसी से सड़के, पुल, बिजली के खंभे, संचार, स्कूल और बेहतर स्वास्थ्य का ढांचा बना सकती है। बस यूं समझ लीजिए कि अगले 5 साल प्रदेश में पर्यटकों के लिए प्रधान से लेकर सांसद को प्रयास करना होगा और 14 फरवरी को ऐसे विधायकों को विधानसभा में भेजना है जिनकी सोच पर्यटन बढ़ाने की हो खुद अपना रिसोर्ट और बड़े बड़े होटल बनाने की नहीं।

Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

हिलवाणी में आपका स्वागत है |

X