दिव्यांग उद्यमी सुधीर पुण्डीर के हौसले को सलाम, सभी के लिए हैं प्रेरणास्रोत के प्रत्यक्ष उदाहरण..
देहरादून/विकासनगर: दुनिया में सिर्फ एक ही विकलांगता है और वह है नकारात्मक सोच। इस बात को सच साबित कर न सिर्फ अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं कुछ लोग। वैसे तो शारीरिक तौर से किसी भी तरह की कमी को शारीरिक दिव्यांगता का नाम दिया जा सकता हैं। यह आम तौर पर दो तरह की होती है पहला जन्मजात और दूसरा किसी दुर्घटना आदि की वजह से पर दिव्यांगता जीवन को लाचार बना सकती है। लेकिन कहते हैं न “पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है।” देवभूमि उत्तराखंड केएक शख्स नेइन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए सिद्ध कर दिया है कि यदि हौसला हो तो दिव्यांगता भी आगे बढने में आड़े नहीं आती। इस शख्स नेअपनी शारीरिक अक्षमता को कमजोरी नहीं बनने दिया। सच ही कहा गया है कि अगर इंसान के हौसले बुलंद हो तो वह किसी भी मंजिल को पा सकता है। ऐसे ही एक दिव्यांग के संघर्ष की दास्तां से हम आपको रूबरू करा रहे हैं।
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आइए आज आपसे परिचय कराते हैं देहरादून जनपद के पछवादून क्षेत्र के अंतर्गत तहसील-विकासनगर के एक छोटे से गांव पृथ्वीपुर में जन्में दिव्यांग उद्यमी सुधीर पुण्डीर से… जो अपनी मेहनत, लग्न एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के बलबूते दिव्यांगता को हराकर विकास की नई परिभाषा लिख रहे हैं। जैसा कि सर्वविदित है कि कोई भी व्यक्ति अथक प्रयास, संघर्ष एवं कड़ी मेहनत के बाद ही सफलता के आयाम पर पहुंचता है ऐसे ही घोर संघर्ष की कहानी जुड़ी है सुधीर पुण्डीर के जीवन से। डेढ़ वर्ष की अल्पायु में ही मेडिकल स्टॉफ की लापरवाही के कारण सुधीर जी पोलियो रूपी दैत्य के कोप का भाजन हो गए थे। पोलियो ग्रस्त होने के कारण उनको अपने दोनों पैर गंवाने पड़े।
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किशोरावस्था से ही सुधीर पुण्डीर की वाणिज्यिक कार्य में रुचि होने के कारण उन्होंने एकाउंटिंग के क्षेत्र में महारथ हासिल की है। विगत कई वर्षों तक 100 से अधिक छोटे-बड़े व्यवसाईयों के लिए एकाउंटिंग कार्य किया। उक्त के साथ-साथ स्वयं के अन्य विभिन्न कार्यों (जिनमें प्रमुख रूप से पशुचारे, खाद-बीज-दवाई का कार्य, सब्जी का कार्य, विकासनगर तहसील में कम्प्यूटर सम्बंधित कार्यों का संचालन, कोकाकोला फ़ूड एंड बैवरेज कम्पनी का विकासनगर में संचालन आदि शामिल हैं ) में हाथ आजमाया। कृषि पृष्ठभूमि होने के कारण एवं कृषि सम्बंधित व्यवसाय में रुचि होने के कारण वर्ष 2020 में एमएसएमई (MSME) के अंतर्गत उत्तराखंड खादी ग्रामोद्योग के सौजन्य से एक स्कीम के तहत सरसों तेल फैक्ट्री स्थापित करने हेतु पत्नी पुष्पा चौहान के नाम से आवेदन किया। इस उद्यम को धरातल पर उतारने हेतु मार्ग में आने वाली विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी बाधाओं का डटकर सामना किया। जिसमें कोरोनाकाल जैसा भयावह समय भी शामिल है।
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अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं अथक प्रयासों से एवं समस्त सरकारी औपचारिकताओं के अंबार से पार पाते हुए 17 जुलाई 2021 को पोषक ऑयल मिल के नाम से सरसों तेल के उद्यम को प्रारम्भ किया। अनेक क्षेत्रों के अपने विभिन्न अनुभवों के साथ एवं अपनी विलक्षण प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए विगत 5 माह के अल्प समय में ही पोषक ऑयल मिल समग्र पछवादून क्षेत्र में एक भरोसेमंद एवं विश्वसनीय ब्रांड बन गया है। ‘शुद्धता की पहचान’ जैसा कि उनके पोषक ब्रांड की टैगलाइन भी है, वास्तव में उन्होंने उसको सार्थक किया है। दिव्यांग होने के बावजूद एक सामान्य शारीरिक रूप से स्वस्थ मनुष्य से कहीं अधिक ऊर्जावान एवं प्रतिभाशाली हैं सुधीर जी, एक दिव्यांग व्यक्ति के इस जुनून एवं जज्बे को मेरा कोटि-कोटि नमन। सुधीर जी पूरे देश-प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत एवं प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।