चिंताजनक: कुछ सालों से सोशल मीडिया में फैलती अफवाह, सिरफिरों के हाथों का बनता उस्तरा..
मार्क ज़ुकरबर्ग ने जब फेसबुक बनाया और व्हाट्सऐप को खरीदा तब उनके दिमाग में दूर-दूर तक ये बात नहीं आई होगी कि एक दिन इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कुछ लोग लोगों के दिमाग के साथ खेलेंने, लोगों के अंदर नफरत और बदले की भावना को बढ़ावा देंने, सच का नहीं झूठ का ज्यादा सहारा लेने के लिए करेंगे। ज़ुकरबर्ग ने तो इस प्लेटफॉर्म को दोस्ती को समर्पित करते हुए बनाया था। जहां लोग अपने बिछड़े दोस्तों को ढूंढ सकते थे तो नए दोस्त भी बना सकते थे। मगर अब परिदृश्य बदल चुका है। दोस्ती और जान-पहचान गौण हो चुकी है, अब फेसबुक से लेकर व्हाट्सऐप कूटनीति और राजनीति का अखाड़ा बन गया है। वैसे राजनीति तक तो फिर भी सही है लेकिन पिछले 5-6 साल में सोशल मीडिया से जिस तरह अफवाहों को फैलाया जा रहा है वो बहुत ही चिंताजनक है।
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फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया की सुविधाओं से हम अपने दोस्तों, रिश्तेदारों परिजनों और बचपन के बिछड़े साथियों से जुड़ने का एक सबसे अच्छा माध्यम है। हम जितनी आसानी से इसके जरिए संदेश पहुंचा सकते हैं उतनी आसानी से किसी को चिट्ठी नहीं पहुंचा सकते। यह एक ऐसा मंच है जहां लोग अपने विचार दूसरों तक पहुंचाते हैं समाज शास्त्रियों का मानना है कि जैसे लोग अपना सामाजिक दायरा बढ़ाते हैं उनके नजरिए में बदलाव आता है और वह दूसरों को समझना शुरू कर देते हैं। लेकिन सोशल मीडिया इस कथन के बिल्कुल विपरीत है सोशल मीडिया ने हमेशा ही राजनीतिक नफरत को बढ़ावा दिया है! हमेशा से ही लोगों के दिमाग के साथ खेला जाता है! इसके जरिए जब किसी व्यक्ति को यह पता चलता है कि उसका परिजन दोस्त रिश्तेदार खुश है तो यह बात सुनने वाले व्यक्ति को अच्छी नहीं लगती! यहां पर दूसरे को समझने वाला कथन बिल्कुल गलत साबित होता है! यह तो बिल्कुल साफ है कि सोशल मीडिया लोगों के अंदर नफरत और बदले की भावना को बढ़ावा देता है! यह देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो रहा है!
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सोशल मीडिया का सकारात्मक पहलू
2014 के आम चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने जमकर सोशल मीडिया का उपयोग कर आमजन को चुनाव के जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। इस आम चुनाव में सोशल मीडिया के उपयोग से वोटिंग प्रतिशत बढ़ा, साथ ही साथ युवाओं में चुनाव के प्रति जागरूकता बढ़ी। सोशल मीडिया के माध्यम से ही ‘निर्भया’ को न्याय दिलाने के लिए विशाल संख्या में युवा सड़कों पर आ गए जिससे सरकार दबाव में आकर एक नया एवं ज्यादा प्रभावशाली कानून बनाने पर मजबूर हो गई। लोकप्रियता के प्रसार में सोशल मीडिया एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है, जहां व्यक्ति स्वयं को अथवा अपने किसी उत्पाद को ज्यादा लोकप्रिय बना सकता है। आज फिल्मों के ट्रेलर, टीवी प्रोग्राम का प्रसारण भी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है। वीडियो तथा ऑडियो चैट भी सोशल मीडिया के माध्यम से सुगम हो पाई है जिनमें फेसबुक, व्हॉट्सऐप, इंस्टाग्राम कुछ प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं।
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सोशल मीडिया का नकारात्मक पहलू
सोशल मीडिया जहां सकारात्मक भूमिका अदा करता है वहीं कुछ लोग इसका गलत उपयोग भी करते हैं। सोशल मीडिया का गलत तरीके से उपयोग कर ऐसे लोग दुर्भावनाएं फैलाकर लोगों को बांटने की कोशिश करते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक और नकारात्मक जानकारी साझा की जाती है जिससे कि जनमानस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कई बार तो बात इतनी बढ़ जाती है कि सरकार सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल करने पर सख्त हो जाती है और हमने देखा है कि सरकार को जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध तक लगाना पड़ता है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में हुए किसान आंदोलन में भी सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया ताकि असामाजिक तत्व किसान आंदोलन की आड़ में किसी बड़ी घटना को अंजाम न दे पाएं। जिस प्रकार एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, ठीक उसी प्रकार सोशल मीडिया के भी दो पक्ष हैं।
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दैनिक जीवन में सोशल मीडिया का प्रभाव
1- यह बहुत तेज गति से होने वाला संचार का माध्यम है।
2- यह जानकारी को एक ही जगह इकट्ठा करता है।
3- सरलता से समाचार प्रदान करता है।
4- सभी वर्गों के लिए है, जैसे कि शिक्षित वर्ग हो या अशिक्षित वर्ग।
5- यहां किसी प्रकार से कोई भी व्यक्ति किसी भी कंटेंट का मालिक नहीं होता है।
6- फोटो, वीडियो, सूचना, डॉक्यूमेंटस आदि को आसानी से शेयर किया जा सकता है।
सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव
1- यह बहुत सारी जानकारी प्रदान करता है जिनमें से बहुत सी जानकारी भ्रामक भी होती है।
2- जानकारी को किसी भी प्रकार से तोड़-मरोड़कर पेश किया जा सकता है।
3- किसी भी जानकारी का स्वरूप बदलकर वह उकसावे वाली बनाई जा सकती है जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता।
4- यहां कंटेंट का कोई मालिक न होने से मूल स्रोत का अभाव होना।
5- प्राइवेसी पूर्णत: भंग हो जाती है।
6- फोटो या वीडियो की एडिटिंग करके भ्रम फैला सकते हैं जिनके द्वारा कभी-कभी दंगे जैसी आशंका भी उत्पन्न हो जाती है।
6- सायबर अपराध सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है।