ब्रेन में ट्यूमर होने के 9 बड़े संकेत, सतर्क रहें। अनदेखी पड़ सकती है भारी..

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ब्रेन ट्यूमर घातक हो सकता है अगर समय रहते इसके संकेतों को न समझा जाए। ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत होने पर व्यक्ति में कुछ लक्षण नजर आते हैं, लेकिन इसे सामान्य समझने की गलती हो जाती है। कई मरीजों में ब्रेन ट्यूमर के लक्षण बहुत पहले से नजर आने लगते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये लक्षण किसी अन्य बीमारी के कारण भी हो सकते हैं। इसलिए ब्रेन ट्यूमर को समझना और उसके लक्षणों को जानना बेहद जरूरी है।
क्या है ब्रेन ट्यूमर?
मस्तिष्क शरीर का सबसे महत्वपूर्ण व नाजुक हिस्सा है। एक सामान्य व्यक्ति में करीब 100,000,000,000 ब्रेन सेल्स होते हैं लेकिन कोशिकाओं का नियंत्रण बिगड़ने से ये सेल्स नष्ट होने लगते हैं। इससे ब्रेन सही से काम नहीं कर पाता और अनियं‍त्रि‍त कोशिकाएं तेजी से फैलने लगती है, जो धीरे-धीरे कैंसर बन जाती हैं या सामान्य कोशिकाएं असामान्य रूप से विकसित होकर गुच्छे का रूप ले लेती हैं तो उसे ट्यूमर कहते हैं। ट्यूमर कैंसर से ग्रसित व बिना कैंसर वाला हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर के अधिकतर मामलों में तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली गंभीर रूप से प्रभावित होती है।
प्रमुख जांचें: बायोप्सी, इमेजिंग टेस्ट, न्यूरोलाजिकल टेस्ट, कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सीटी) और पोजीट्रान इमिशन टोमोग्राफी (पीईटी)

ब्रेन ट्यूमर के ये हैं संकेत
तेज और लगातार सिर दर्द- बार-बार सिरदर्द, सिरदर्द का धीरे-धीरे गंभीर हो जाना भी इसका संकेत है। असहनीय दर्द की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
याद्दाश्त या सोच में बदलाव- ट्यूमर किसी व्यक्ति के व्यवहार या व्यक्तित्व में बड़े बदलाव का कारण बन सकते है। ट्यूमर वाले लोगों में चीजों को याद रखने में परेशानी होती है और वे हमेशा उलझन महसूस करते हैं।
उल्टी या मतली आना- पेट में बेचैनी या बीमार महसूस करना, खासकर अगर वे लक्षण लगातार हैं, तो यह ट्यूमर का संकेत हो सकता है। तेज दर्द और इसके साथ उल्टी आना भी ब्रेन ट्यूमर का शुरुआती लक्षण हैं।

सुन्न होना- शरीर या चेहरे के एक हिस्से में सुन्न महसूस होता है। विशेष रूप से अगर एक ट्यूमर मस्तिष्क के स्टेम पर बनता है। यह वह स्थान है, जहां मस्तिष्क रीढ़ की हड्डी से जुड़ता है।
दृष्टि बदल जाती है- धुंधली दृष्टि, दोहरी दृष्टि और दृष्टि की हानि, सभी ट्यूमर से जुड़े हैं। चीजों को देखने पर धब्बे या आकार भी देख सकते हैं। रंगों को पहचानने में परेशानी हो सकती है। यह ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत है।
 दौरे पड़ना- किसी भी तरह का ट्यूमर हो, दौरे अक्सर समस्या के शुरुआती लक्षणों में से एक होते हैं। ट्यूमर से जलन मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को बेकाबू करते हैं और असामान्य हलचलें महसूस होती है। ट्यूमर की तरह, दौरे कई रूप लेते हैं। ब्रेन ट्यूमर होने पर मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो सकती है। ये ऐंठन बेहोशी की हालत तक भी पहुंचा सकती है।

संतुलन खोना- अगर व्यक्ति खुद चाभियों को उठाने से लड़खड़ाता है। चलते हुए कदम छूट जाते हैं या संतुलन के साथ संघर्ष करना पड़ रहा है, भुजाओं, पैरों या हाथों में अकड़न हो, तो इस तरह की परेशानी ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकती है। बोलने, निगलने या चेहरे के भावों को नियंत्रित करने में समस्याएं हैं तो यह बड़ी समस्या है।
वजन बढ़ना: वजन एकाएक बढ़ जाए तो ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकता है। इसके अलावा गले में अकड़न हो तो आपको सावधान रहना चाहिए।
त्वचा का रंग बदलना: 30 सेकेंड्स के लिए सांस ना आना और त्वचा का रंग ग्रे, सफेद, ब्लू, पर्पल और ग्रीन शेड्स में बदलना जैसे संकेतों को भी हल्के में ना लें। तुरंत अपने डॉक्टर से चेकअप करवाएं।

उपचार: ट्यूमर का उपचार इस पर निर्भर करता है कि उसका ग्रेड क्या है और मस्तिष्क के किस भाग में है। इसी के आधार पर सर्जरी की जाती है। यदि ट्यूमर कैंसरग्रस्त है तो उपचार में रेडिएशनथेरेपी, कीमोथेरेपी, टारगेट ड्रग थेरेपी आदि का प्रयोग भी किया जाता है।
माइक्रो एंडोस्कोपिक सर्जरी: पहले ब्रेन ट्यूमर को एक घातक बीमारी माना जाता था, लेकिन अत्याधुनिक तकनीकों ने इसके उपचार को न केवल आसान बना दिया है, बल्कि स्वस्थ होने का प्रतिशत भी बढ़ा है। माइक्रो एंडोस्कोपिक सर्जरी (एमईएस) पारंपरिक सर्जरी की तुलना में बहुत सुरक्षित व कारगर है।

सावधानी है जरूरी
– तंबाकू का सेवन न करें
– अल्कोहल व मटन-चिकन के सेवन से बचें
– अपनी फिटनेस का ध्यान रखें, वजन न बढ़ने दें
– रोजाना 30-40 मिनट योग और एक्सरसाइज करें
– पत्तेदार सब्जियों को भोजन में अवश्य शामिल करें
– अत्यधिक वसा युक्त खाद्य पदार्थ, ड्रिंक्स व जंक फूड्स से परहेज करें

उपचार के बाद की प्रक्रिया: अगर उपचार के बाद दैनिक गतिविधियां करने और बोलने में समस्या हो रही हो तो फीजियो थेरेपी, स्पीच थेरेपी और आक्युपेशनल थेरेपी की सहायता लेनी पड़ती है। अगर ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के उस भाग में भी विकसित हुआ था, जहां से बोलने, सोचने और देखने की क्षमता नियंत्रित होती है तो सर्जरी के बाद भी ये गतिविधियां सामान्य रूप से एक सीमा तक ठीक हो पाती हैं। ऐसे मरीजों को स्पीच थेरेपी दिलाई जाती है। जिन लोगों में मांसपेशियों की अक्षमता बनी रहती है, उन्हें फीजियो थेरेपी के सेशन दिए जाते हैं। कुछ मामलों में मरीज की सामान्य दैनिक गतिविधियों को फिर से प्राप्त करने के लिए आक्युपेशनल थेरेपी का सहारा लेना पड़ता है।

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