हौसला: पहाड़ का घमंड किया चकनाचूर, काट डाली 2KM रोड। बने उत्तराखंड के मांझी..

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उत्तरकाशी: जिसने रास्ता रोका, उसे ही काट दिया।मुसीबतें किसके जीवन में नहीं आती? मुसीबतें हमारे जीवन का एक अभिन्न भाग है। कुछ लोग मुसीबतों का सामना नहीं कर पाते। कुछ लोग सामना करते है और थक कर बीच में ही हार मान लेते है। जबकि कुछ लोग कभी हार नहीं मानते और मुसीबतों से तब तक लड़ते रहते है, जबतक वो जीत ना जाएं। आज हम आपको बताएंगे एक ऐसा नाम जो इंसानी जज्‍़बे और जुनून की मिसाल बन गया। जिसने अपने जज्बे और हौसले से जब पहाड़ का सीना चीर दिया और अपने गांव में रोड पहुंचा दी।

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हम बात कर रहे हैं जनपद उत्तरकाशी के गबर सिंह की। जिन्होंने फुवाण गांव के लोगों की पहाड़ जैसी समस्या को अपने बुलंद हौसले से अपने दम पर अकेले ही हल कर दिया। जिसमें गबर सिंह को डेढ़ माह का समय लगा। गबर सिंह ने अकेले ही जेसीबी से दो किलोमीटर पहाड़ को काटकर गांव तक सड़क पहुंचा दी है और गांव वालों के लिए फरिश्ता बन गए। सबसे बड़ी बात यह है कि गबर सिंह ने बगैर किसी सरकारी सहायता के यह कारनामा कर दिखाया है। आपको बता दें कि इससे पहले वहां के लोगों को गांव तक पहुंचने के लिए करीबन दो किलोमीटर की पैदल चढ़ाई चढ़नी पड़ती थी।

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फुवाण गांव में पहली बार कोई वाहन सड़क मार्ग से पहुंचा है, जिसके बाद ग्रामीण खुशी से झूम उठे। गांव के ग्रामीणों ने गबर सिंह को फूल-मालाओं से लाद दिया और कंधों पर उठा लिया। साथ ही ग्रामीणों ने गांव में एक समारोह का आयोजन कर गबर सिंह को सम्मानित भी किया। ग्रामीणों का कहना है कि राज्य गठन के बाद क्षेत्र को चार विधायक मिले हैं, लेकिन किसी ने भी गांव के लोगों से किए वादे को नहीं निभाया। चुनाव निपट जाते हैं और नेता वादा भी भूल जाते हैं। सालों से गांव के ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के छलावे से परेशान थे लेकिन गांव के युवा गबर सिंह रावत जिनकी उम्र 38 साल है उन्होंने गांव तक सड़क पहुंचाने का संकल्प लिया।

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फुवाण गांव के 45 परिवार लंबे समय से गांव को सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे थे। आज तक न तो शासन प्रशासन ने ग्रामीणों की बात सुनी और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने। किसी व्यक्ति के बीमार होने पर लोग उसे घोड़े खच्चर और चारपाई के सहारे सड़क तक पहुंचाते थे। इसी पीड़ा को दूर करने का संकल्प गबर ने लिया था। गबर सिंह ने बगैर किसी सरकारी सहायता के अकेले के दम पर दो किलोमीटर पहाड़ काट डाली। अब छोटे वाहन आसानी से गांव तक पहुंच सकते हैं। जिसके बाद ग्रामीण खुश हैं और गांव में खुशियां मनाई जा रहा है। 

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