राजनीति: क्या है हरदा का डर? हरदा को लगा जोर का झटका, क्या BJP का बनेगा चुनावी हथियार..
देहरादून: उत्तराखंड में आगमी साल यानी 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी पार्टियां जोरों-शोरों से तैयारियों में जुट गई हैं। वहीं बीजेपी और आप आदमी पार्टी अपने पत्ते पहले ही फेंक चुकी है लेकिन कांग्रेस पार्टी अभी भी अपना मुख्यमंत्री फेस सामने नहीं ला पाई है। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि वो उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में किसी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाएगी। यह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए एक बड़ा झटका है। इस समय हरीश रावत चुनाव अभियान समिति के प्रमुख की भूमिका में हैं। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा न बनाना कांग्रेस की अदरूनी लड़ाई को दिखाता है। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इन दिनों डर के साये में भी हैं हरीश रावत को लगता है कि भाजपा सरकार उन्हें गिरफ्तार करा सकती है। अब रावत का यह डर वास्तविक है या फिर सियासी पैंतरा इस पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
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दरअसल बीते एक माह के दौरान पूर्व सीएम हरीश रावत कई मंचों पर खुद के गिरफ्तार होने का डर दिखा चुके हैं। हरीश रावत को लगता है कि सीबीआई एक बार फिर उन्हें अपने रडार में ले सकती है। हरीश रावत का यर जो डर है यूं ही नहीं है। क्योंकि हरीश रावत आज भी स्टिंग मामले में सीबीआई के रडार से बाहर नहीं निकल पाए हैं। एक निजी चैनल ने जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा “सब तो उनके पास ही है। सीबीआई किसके इशारे पर काम करती है, ये सभी को मालूम है।” हरीश रावत के इस डर परभाजपा ने कहा कि “कानून अपना काम करेगा। अगर रावत गलत नही हैं तो उन्हें डरने की भी जरूरत नहीं होनी चाहिए।” भाजपा जानती है कि हरीश रावत राजनीतिक लिहाज से काफी मजबूत हैं। राजनीति का शायद ही कोई पैंतरा, कोई अस्त्र ऐसा होगा, जो हरीश रावत के पास नहीं है। ऐसे में भाजपा उनके गिरफ्तारी के डर को कानूनी रूप से देखती है।
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एक तरफ कांग्रेस उनको प्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में सामने नहीं ला रही है। इसे मुख्यमंत्री रहते हुए पिछले विधानसभा चुनाव में रावत को दो सीटों पर मिली हार और पंजाब में कांग्रेस की बगावत से भी जोड़कर देखा जा रहा है। उत्तराखंड में सरकार चला रही बीजेपी ने पंजाब कांग्रेस में हुई बगावत के लिए हरीश रावत को जिम्मेदार ठहराया था। क्योंकि उस समय हरीश रावत ही पंजाब के प्रभारी थे। साथ ही हरीश रावत का सीडी कांड भाजपा के लिए ऐसा चुनावी अस्त्र है, जिसे सत्ताधारी दल के नेता मौके-मौके पर बाहर निकालते रहते हैं। जिसपर हरीश रावत अपनी तरफ से वक़्त वक़्त पर जवाब देते रहते हैं। अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि राजनीति के माहिर खिलाड़ी हरीश रावत सीबीआई के डर को अपने जेहन से कब तक निकल पाते हैं।
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बीजेपी के हमलों से कैसे बचेगी कांग्रेस?
कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने रविवार को कहा था कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। जीत के बाद सबसे विचार-विमर्श करके मुख्यमंत्री का चयन किया जाएगा। यादव ने कहा था कि बीजेपी के पास एक चेहरा है, लेकिन हमारे पास 10 चेहरे हैं। लेकिन उन्होंने किसी चेहरे का नाम नहीं बाताया। यह इन दिनों कांग्रेस में चली रही लड़ाई का एक नमूना भर है। दरअसल हरीश रावत का अतीत उन पर भारी पड़ रहा है। रावत ने पिछला विधानसभा चुनाव दो सीटों से लड़ा था और दोनों ही सीटों से हार का सामना करना पड़ा था। रावत यह चुनाव ऐसे समय हारे थे, जब वह मुख्यमंत्री थे। इसको लेकर उन्हें पार्टी के अंदर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। आपको बता दें कि हरीश रावत ने कुछ महीने पहले ही यह मांग की थी कि चुनाव में बीजेपी को मजबूती से टक्कर देने के लिए पार्टी को मुख्यमंत्री पद पर एक चेहरा घोषित करना चाहिए। उनका कहना था कि इससे बीजेपी चुनाव को नरेंद्र मोदी बनाम कांग्रेस नहीं कर पाएगी। लेकिन पार्टी ने उनकी यह मांग अनसुनी कर दी है।
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