क्या है ईट राइट इंडिया अभियान? होटल, रेस्टोरेंट और स्कूलों में होगी सख्ती..
उत्तराखंड में होटल, रेस्टोरेंट और स्कूलों में परोसे जा रहे खाने की गुणवत्ता जांचने के लिए औचक निरीक्षण किए जाएंगे। प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार की ओर से खाद्य संरक्षा विभाग के अधिकारियों को इस संबंध निर्देश दिए हैं। प्रभारी सचिव स्वास्थ्य ने शनिवार को डांडा लखौंड स्थित खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन मुख्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने इस दौरान राज्य के होटल, रेस्टोरेंट और स्कूलों में आम लोगों व बच्चों को खिलाए जा रहे खाने की नियमित रूप से जांच कराने के लिए कहा। उन्होंने एफडीए के अधिकारियों को निर्देश दिए कि ईट राईट इंडिया अभियान के तहत रेस्टोरेंट, होटल और स्कूलों में भोजन की जांच की जाए। प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि इसके लिए थर्ड पार्टी ऑडिट कराया जाए। इस दौरान उन्होंने राज्य में दवाओं के परीक्षण के लिए बनाई गई लैब का निरीक्षण किया और कहा कि दवाओं की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए दवाओं की अधिक से अधिक सैंपलिंग कराई जाए। उन्होंने औषधि और खाद्य संरक्षा विभाग में खाली चल रहे पदों को जल्द से जल्द भरने के लिए लोक सेवा आयोग से संपर्क करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में आयोग से बातचीत की जाए। उन्होंने इस दौरान एफडीए के टोल फ्री नम्बर का प्रचार प्रसार करने, ईट राईट इण्डिया अभियान को गति देने के निर्देश दिए। इस अवसर पर अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान, ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह, खाद्य सुरक्षा उपायुक्त गणेश कंडवाल आदि मौजूद रहे।
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क्या है ईट राइट इंडिया अभियान?
1- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की प्रस्तावना में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से भारत में लोगों के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की उम्मीद की जाती है।
2- एफएसएसएआई द्वारा वर्ष 2018 में ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान राष्ट्रव्यापी अभियान का प्रारंभ किया गया। यह अभियान खाद्य सुरक्षा एवं स्वस्थ आहार की नींव पर आधारित है। इस अभियान की दिशा में ‘ईट राइट जैकेट’ और ‘ईट राइट झोला’ के साथ-साथ ‘खाद्य सुरक्षा मित्र (एफएसएम)’ योजना का भी शुभारंभ। भारतीय रेलवे ने यात्रियों को स्वस्थ एवं सही आहार का विकल्प पेश करने के लिए ‘ईट राइट स्टेशन’ अभियान शुरू किया।
3- एफएसएसएआई ने ईट राइट इंडिया अभियान के माध्यम से सभी भारतीयों के लिए सुरक्षित, स्वस्थ और टिकाऊ भोजन सुनिश्चित करने के लिए देश की खाद्य प्रणाली को बदलने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किया है।
4- इस अभियान का ध्येय वाक्य “सही भोजन, बेहतर जीवन” इसके महत्व को दर्शाता है।
5- यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा भोजन लोगों और ग्रह दोनों के लिए अच्छा है, ईट राइट इंडिया कार्यक्रम में विनियामक सुधार, क्षमता निर्माण, सहयोग और सशक्तिकरण के दृष्टिकोण का विवेकपूर्ण सामंजस्य को अपनाया गया है।
6- यह कार्यक्रम सभी हितधारकों सरकार, खाद्य व्यवसायों, नागरिक समाज संगठनों, विशेषज्ञों और पेशेवरों, विकास एजेंसियों और नागरिकों की सामूहिक कार्रवाई का निर्माण करता है।
7- ईट राइट इंडिया अभियान में कृषि, स्वास्थ्य, पर्यावरण और अन्य मंत्रालयों के भोजन-संबंधी जनादेशों को एक साथ लाकर एक एकीकृत दृष्टिकोण को अपनाया गया है।
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ईट राइट इंडिया तीन प्रमुख विषय
ईट राइट इंडिया अभियान सरकार के प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों जैसे कि पोषण अभियान, एनीमिया मुक्त भारत, आयुष्मान भारत योजना और स्वच्छ भारत मिशन आदि के साथ जुड़ा हुआ है। यह अभियान तीन प्रमुख विषयों पर आधारित है- ईट सेफ, ईट हेल्दी, ईट सस्टेनेबल।
1- ईट सेफ(Eat Safe): व्यक्तिगत और आसपास की स्वच्छता सुनिश्चित करना, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में स्वास्थ्यकर प्रथाओं को अपनाना, मिलावट को समाप्त करना, भोजन में विषाक्त और दूषित पदार्थों को कम करना और प्रसंस्करण तथा विनिर्माण प्रक्रियाओं में खाद्य खतरों को नियंत्रित करना।
2- ईट हेल्दी (Eat Healthy): आहार विविधता और संतुलित आहार को बढ़ावा देना, भोजन से विषाक्त औद्योगिक ट्रांस-वसा को समाप्त करना और नमक, चीनी तथा संतृप्त वसा की खपत को कम करना, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों के फूड फ़ोर्टिफिकेशन को बढ़ावा देना।
3- ईट सस्टेनेबल (Eat Sustainable): स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना, भोजन की हानि और भोजन की बर्बादी को रोकना, खाद्य मूल्य श्रृंखला में पानी का संरक्षण, खाद्य उत्पादन और संरक्षण में रसायनों के उपयोग को कम करना, और सुरक्षित तथा टिकाऊ पैकेजिंग के उपयोग को बढ़ावा देना।
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ईट राइट इंडिया अभियान का महत्व
1- भारत में खाद्य जनित बीमारियों जैसे अल्पपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय से संबंधी गैर- संचारी रोग आदि के उच्च बोझ के संदर्भ में सुरक्षित खाद्य पदार्थ और स्वस्थ आहार महत्वपूर्ण हैं।
2- जहां एक ओर 196 मिलियन भारतीय कुपोषित हैं, वहीं 135 मिलियन अधिक वजन या गैर-संचारी रोगों जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और मधुमेह के खतरे में हैं।
3- इसके अलावा 2013 की तुलना में 2030 में खाद्य जनित बीमारियों के मामलों की संख्या 100 मिलियन से बढ़कर 150 – 177 मिलियन हो जाने की उम्मीद है।
4- ऐसे में ईट राइट इंडिया अभियान देश में सभी के लिए निवारक स्वास्थ्य पर एक आंदोलन की आवश्यकता को पूरा करता है।
5- भारत की खाद्य प्रणाली काफी विकसित हुई है। महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, हम अभी भी लगभग 10% कम कैलोरी का उपभोग करते हैं, हमारे आहार में प्रोटीन और लोहे जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है।
6- असुरक्षित खाने की आदतों के कारण हर साल लगभग 5 लाख लोगों की मौत हो जाती है। लेकिन ईट राइट इंडिया जैसे अभियान भविष्य में इस प्रवृत्ति को बदलने की क्षमता रखते हैं।
7- रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा मिली मान्यता से इस कार्यक्रम को वैश्विक पहचान मिली है। इस अभियान के आधार पर अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देश भी अपने यहा खाद्य प्रणालियों इसके समान ही परिवर्तन की कोशिश कर सकते हैं।
8- यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2021 में खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन में सामूहिक ध्यान आकर्षित कर सकता है।
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ईट राइट इंडिया की दिशा में अन्य महत्वपूर्ण प्रयास
1- राज्य खाद्य सुरक्षा इंडेक्स (एसएफएसआई): एफएसएसएआई ने राज्यों द्वारा सुरक्षित खाद्य उपलब्ध कराने के प्रयासों के संदर्भ में राज्य खाद्य सुरक्षा इंडेक्स (एसएफएसआई) विकसित किया है। इस इंडेक्स के माध्यम से खाद्य सुरक्षा के पांच मानदंडों पर राज्यों का प्रदर्शन आंका जाएगा। इन श्रेणियों में शामिल हैं- मानव संसाधन और संस्थागत प्रबंधन, कार्यान्वयन, खाद्य जांच- अवसंरचना और निगरानी, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण तथा उपभोक्ता सशक्तिकरण।
2- अन्य पहल: ‘ईट राइट जैकेट’ और ‘ईट राइट झोला’ के साथ-साथ ‘खाद्य सुरक्षा मित्र (एफएसएम)’ योजना का भी शुभारंभ किया, ताकि खाद्य सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा सके और इसके साथ ही ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान को व्यापक बनाया जा सके।
3-‘खाद्य सुरक्षा मित्र’: ‘खाद्य सुरक्षा मित्र’ योजना छोटे एवं मझोले खाद्य व्यवसायियों के लिए खाद्य सुरक्षा कानूनों का पालन करने और लाइसेंस एवं पंजीकरण, स्वच्छता रेटिंग तथा प्रशिक्षण को सुविधाजनक बनाने के लिए लागू किया गया है।
4- 2022 तक 2 प्रतिशत से कम ट्रांस फैट का लक्ष्य: भारत सरकार ने 2022 तक खाद्य पदार्थों में से ट्रांस फैट को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए एफएसएसएआई ने 2022 तक औद्योगिक खाद्य उत्पादों में ट्रांस फैट की मात्रा चरणबद्ध तरीके से घटाते हुए 2 प्रतिशत से कम तक ले आने का लक्ष्य रखा है।
5- ‘स्वच्छ स्ट्रीट फूड हब’ का प्रमाण पत्र: कई नगरों में तीसरे पक्ष द्वारा जांच और प्रशिक्षण प्रक्रिया के पश्चात ‘स्वच्छ स्ट्रीट फूड हब’ का प्रमाण पत्र दिया गया है।
6- ‘रमन 1.0’ नामक उपकरण: नए युग का हाथ से पकड़ कर और बैट्री से चलने वाले ‘रमन 1.0’ नामक उपकरण का शुभारंभ भी किया। यह उपकरण खाद्य तेलों, वसा और घी में की गई मिलावट का एक मिनट से भी कम समय में पता लगाने में सक्षम है।
7- ‘फूड सेफ्टी मैजिक बॉक्स’: स्कूलों तक खाद्य सुरक्षा का मुद्दा ले जाने के लिए ‘फूड सेफ्टी मैजिक बॉक्स’ नामक नवाचारी समाधान की शुरूआत की है। अपने आप ही खाने में मिलावट की जांच करने वाली इस किट में एक मैनुअल और एक उपकरण लगा है। यह किट स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए भी लाभदायक है।
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ईट राइट इंडिया अभियान से जुड़ी चुनौतियां
1- ईट राइट इंडिया अभियान तीन प्रमुख विषयों पर एकत्रित “फूड सिस्टम्स एप्रोच” (एफएसए) के माध्यम से काम कर रहा है जिससे सभी हितधारकों – उपभोक्ताओं, खाद्य व्यवसायों, सामुदायिक संगठनों, विशेषज्ञों, पेशेवरों, और सरकार इत्यादि की सामूहिक कार्रवाई द्वारा ईट राइट से जुड़े सभी मुद्दों को समग्र रूप से संबोधित किया जा सके। इसके लिए न केवल आपूर्ति-पक्ष पर बल्कि मांग-पक्ष पर व्यापक रूप से हस्तक्षेप करना होगा। इस संदर्भ में ईट राइट इंडिया अभियान के विभिन्न क्रिया-कलापों से जुड़ी चुनौतियों को चार क्षेत्रों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है…
a- मजबूत खाद्य नियामक प्रणाली: खाद्य प्राधिकरण द्वारा देश में मौजूदा खाद्य मानकों को नया बनाने और मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें वैश्विक मानक, विश्वसनीय खाद्य परीक्षण एवं निगरानी प्रणाली के विकास के साथ विभिन्न प्रवर्तन गतिविधियों को स्थापित करना इत्यादि शामिल है। हालांकि इस दिशा में अभी भी कई चुनौतियां विद्यमान है जिसमें खाद्य श्रृंखला से जुड़े निकायों का पंजीकरण / लाइसेंसिंग, कानूनों का प्रवर्तन एवं निगरानी को और ज्यादा व्यापक बनाने की आवश्यकता है।
b- खाद्य व्यवसायों का स्व-अनुपालन और क्षमता निर्माण: आपूर्ति श्रृंखला में विभिन्न चरणों में किसी भी एक चरण में सूक्ष्मजीवों के प्रवेश से खाद्य श्रृंखला दूषित हो सकता है जैसे- कटाई के बाद, भंडारण, प्रसंस्करण इत्यादि के दौरान। इस चुनौती को दूर करने के लिए बड़े और छोटे व्यवसायों के साथ-साथ असंगठित विक्रेताओं को प्रशिक्षण एवं उनके उत्पादों के प्रमाणीकरण इत्यादि व्यवस्था लागू की जा सकती है। इस दिशा में क्षमता निर्माण और एक समन्वित दृष्टिकोण को निर्माण करना एक व्यापक चुनौती है।
c- खाद्य परिवेश में परिवर्तन: देश में बीमारियों के बोझ को कम करने एवं लोगों की उत्पादकता को बढ़ाने हेतु निवारक स्वास्थ्य देखभाल के रूप में सुरक्षित खाद्य पदार्थों का प्रयोग महत्वपूर्ण है। चुकि भोजन प्रत्येक नागरिक के लिए एक बुनियादी जरूरत है इसलिए सभी को सुरक्षित, स्वस्थ, पौष्टिक और टिकाऊ आहार प्रदान करने के लिए देश में ‘खाद्य परिवेश ‘ को बदलना नितांत आवश्यक है।
d- जन आंदोलन: ईट राइट इंडिया को एक जन आंदोलन बनाने और लोगों के सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन लाना काफी आवश्यक है। इसमें जहां एक ओर उच्च वसा, ट्रांस-वसा, नमक और चीनी खाद्य पदार्थों की खपत में कमी के बारे में जागरूकता पैदा करना शामिल है, वहीं दूसरी ओर बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए स्थानीय, मौसमी और फोर्टीफाइड खाद्य पदार्थों की खपत को बढ़ावा देना शामिल है। जब तक लोगों को इन खाद्य पदार्थों के संदर्भ में जागरूकता एवं सहभागिता सुनिश्चित नहीं होगी यह अभियान प्रभावी नहीं हो पाएगा।
2- उपरोक्त चुनौतियों के अलावा कई अन्य कारक भी है जो ईट राइट इंडिया मुहिम को कमजोर करते हैं।इसमें सबसे व्यापक रूप से चुनौती खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को लेकर है। इसमें खाद्य पदार्थों के उत्पादन स्तर से लेकर और विपणन के स्तर तक मिलावट इत्यादि की विकट समस्या है। संक्षिप्त रूप से इनमें निम्न कारकों को रखा जा सकता है-
a- खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करने में सरकार का बल केवल अनाज उपलब्ध करवाने पर रहा है जिसमे पोषण पक्ष को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
b- उपभोक्तावादी संस्कृति के कारण फास्टफूड और जंकफ़ूड का बढता प्रचलन।
c- जहां मिलावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा कानून बनाए जाते हैं वहीं इनके प्रवर्तन की जिम्मेदारी राज्य पर होती है। राज्य के खाद्य निगम, नगर निगम, पुलिस और एफएसएसएआई में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण यह समस्या विकट हो जाती है। इसके साथ ही मानव संसाधन की कमी एक प्रमुख मुद्दा है। खाद्य पदार्थों की जांच हेतु योग्य प्रशिक्षित स्टाफ का ना होना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
d- खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच हेतु व्यापक मात्रा में प्रयोगशाला का अभाव एवं लोगों में जागरूकता कि कमी के कारण भी मिलावट का यह धंधा खूब फलफूल रहा है।
e- खाद्य पदार्थों से जुड़े सर्टिफिकेट केवल ऊपरी स्तर पर कैंटीन, रेस्तरां, होटल, होस्टल और शादी-विवाह तक ही सीमित है लेकिन मिलावटी और असुरक्षित खाद्य सामग्री की आपूर्ति की रोकथाम हेतु तंत्र समुचित नहीं है।
f- दुनिया के अन्य देशों के विपरीत भारत में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के कामकाज के बारे में लोगों का फीडबैक नहीं लिया जाता जिससे किन क्षेत्रों में सुधार करना है। इसका आंकड़ा ही उपलब्ध नहीं हो पाता।
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ईट राइट इंडिया अभियान को सफल बनाने के उपाय
1- संतुलित आहार के सन्दर्भ में जागरूकता फैलाया जाये जिससे फास्टफूड और जंकफ़ूड के बढ़ते प्रचलन पर रोक लगायी जा सके। इसके साथ ही लोगों को मानक प्रमाण चिन्ह (एगमार्क, एफपीओ, आईएसआई, हॉलमार्क) अंकित सामग्री खरीदें को प्रोत्साहित किया जाए।
2- खाद्य पदार्थों की जांच हेतु व्यापक रूप से प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाए एवं इसके संचालन हेतु पर्याप्त मात्रा में प्रशिक्षित स्टाफ की नियुक्ति की जाए। मिलावटी सामान हेतु सख्त कानूनों को लागू करने के साथ-साथ इनका उचित तरीके से प्रवर्तन कराया जाए।
3- आम लोगों से हर साल खाद्य सुरक्षा मानकों और उपलब्ध सामग्रियों पर रायशुमारी की जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए।
4- हर प्रकार के पैकेज्ड खाद्य पदार्थ खाद्य पदार्थों में अनिवार्य रूप से उत्पादन की तिथि, एक्सपायरी डेट, खाद्य पदार्थों के संघठक तत्व, गुणवत्ता इत्यादि का अंकन किया जाए।
5- खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करने में सरकार द्वारा पोषण पक्ष शामिल करते हुए फोर्टीफाइड अनाजों को शामिल किया जाये।
6- जैविक उत्पादों के उत्पादन एवं उपभोग को बढ़ावा दिया जाये।
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