क्या होती है मांगल? केदारघाटी में मांगल और खुदेड गीतों का मेला शुरू..

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रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में मांगल गीतों की भूलती परंपरा को फिर से जीवित करने की परंपरा शुरू हो रही है। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने मांगल गीतों का प्रशिक्षण शुरू किया है। 24 दिसंबर से गांवों में मांगल मेले का आयोजन शुरू हो गया। पहले दिन ऊखीमठ, मनसूना, भणज, दुर्गाधार, बसुकेसार में महिलाओं ने मांगल और खुदेड गीत प्रतियोगिता में बढचढ कर भाग लिया। यह आयोजन अभी ग्राम स्तर पर आयोजित किया जा रहा है और फिर पूरी विधानसभा स्तर पर चंद्रापुरी में बड़ा आयोजन किया जाएगा।

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क्या होती है मांगल ?
मांगल गीत एक ऐसी लोकगीत श्रृंखला है जो शादी के पावन पर्व पर गाई जाती है। पहले पहाडों में जब तक मांगल गीत ना हो विवाह कार्यक्रम की शुरुआत नहीं होती थी। लड़की या लड़के के हल्दी हाथ हो या फिर बारात का स्वागत…. जयमाला, फेरे और विदाई होने तक मांगल गीतों का अनवरत सिलसिला जारी रहता था लेकिन वक्त के साथ साथ मांगल गीतों का प्रचलन कम होता जा रहा है। कुमाऊ और गढ़वाल दोनों जगह मांगल गीतों की परम्परा रही है।

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वैसे मांगल गीतों को फिर से प्रचलित करने में लोक गायिका रेखा धस्माना उनियाल, डॉ. माधुरी बड़थ्वाल और लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने काफी प्रयास किये। मनोज रावत इस मुहिम को ग्राम स्तर पर ले जा रहे है। इस मांगल गीत और खुदेड मेलों में मांगल गीतों के हर गॉंव में 7 महिलाओं का एक ग्रुप बनाया गया है। इसके साथ ही खुदेड गीत की भी प्रतियोगिता शुरू की जा रही है जो एकल है। सभी ग्रामीण स्तर पर विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। इस आयोजन से ना सिर्फ महिलाएँ मांगल को सीख रही है बल्कि पूरे इलाके में इसका प्रचार प्रसार भी होगा।

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