2 अक्टूबर उत्तराखंड बंद का ऐलान, राज्यभर के कई संगठनों सहित छात्र और विपक्षी दल भी होंगे शामिल..
राज्यभर के तमाम जन संगठनों, व्यापार संघों और कई विपक्षी दलों ने 2 अक्टूबर को उत्तराखंड बंद का ऐलान किया है। यह बंद अंकिता भंडारी हत्याकांड और अल्मोड़ा के दलित जगदीश चंद्र की हत्या को लेकर किया जा रहा है। देहरादून के शहीद स्थल पर आयोजित बैठक में फैसला किया गया कि महिलाओं की अगुवाई में राज्य के तमाम मुद्दों को लेकर आंदोलन को आगे बढ़ाया जाए। इसमें युवाओं को मुख्य रूप से शामिल किया जाए। अन्य लोग आंदोलन में सहयोग करें। बैठक में तय किया गया कि पहली अक्टूबर की शाम 7 बजे हर घर में दीया जलाकर अंकिता और जगदीश चंद्र को श्रद्धांजलि देंगे। जहां संभव हो वहां लोग सामूहिक रूप से दीये जलाएंगे। इससे पहले शाम 6 बजे देहरादून में गांधी पार्क से मशाल जुलूस निकाला जाएगा। यह मशाल जुलूस पलटन बाजार सहित सभी प्रमुख बाजारों में व्यापारियों और आम लोगों से बंद में शामिल होने का अनुरोध करेगा। राज्य भर के अन्य शहरों में भी जन संगठनों से दीया जलाने और मशाल जुलूस निकालने का अनुरोध किया गया है।
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बैठक के बाद बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जन संगठनों और विपक्षी दलों के नेताओं कहा कि 2 अक्टूबर के बंद को व्यापारी संगठनों, टैक्सी यूनियनों और विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के छात्र संगठनों ने भी समर्थन दिया है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उत्तराखंड महिला मंच के अध्यक्ष कमला पंत ने कहा कि इस आंदोलन में युवा संगठन बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। अंकिता के मसले को लेकर बेरोजगार संघ जैसे संगठन ने फिलहाल नौकरियों में घोटाले की अपनी लड़ाई को छोड़कर इस आंदोलन में शामिल होने की घोषणा की है। सीपीआई एमएल के इंद्रेश मैखुरी ने अंकिता मर्डर केस की न्यायिक जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है। उन्होंने पुलिस के इस दावे को झूठा करार दिया कि अंकिता के परिवार को पोस्टमार्टम की कॉपी दे दी गई है। इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलाने से भी यह बात साफ हो गई है कि पुलिस ने साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया था। उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के प्रदीप कुकरेती ने राज्य भर के लोगों से 2 अक्टूबर के बंद में शामिल होने की अपील की।
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बेरोजगार संघ के बॉबी पंवार ने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में लगातार लीपापोती करने का प्रयास कर रहे हैं। गढ़वाल सभा के कैलाश तिवारी ने कहा कि राज्य भर में इस बंद को सफल बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं भारत ज्ञान विज्ञान समिति की उमा भट्ट, यूकेडी के मोहित डिमरी, लुशुन टोडरिया, प्रमिला रावत, एसएफआई के नितिन मलेठा आदि शामिल थे। 2 अक्टूबर के बंद को अखिल गढ़वाल सभा, युवा शक्ति संगठन, एसएफआई, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, राज्य आंदोलनकारी मंच, जन संवाद समिति, पूर्वांचल परिषद, राजकीय पेंशनर संगठन, सरस्वती विहार समिति, जन हस्तक्षेप, चेतना आंदोलन, वनाधिकार आंदोलन, उत्तराखंड महिला मंच, धाद, संवेदना साहित्यिक मंच, व्यापार मंडल, उत्तराखंड बेरोजगार संघ सहित 30 से ज्यादा संगठनों और उत्तराखंड क्रांति दल, कांग्रेस, सीपीएम, सीपीएम एमएल, आम आदमी पार्टी आदि राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों ने भी समर्थन दिया।
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