Uttarakhand: सतर्क रहे! घरों तक पहुंच रहे भालू, वन विभाग ने जारी किए निर्देश। क्या हाइबर्नेशन है इसकी वजह?
Bear turns ferocious in Uttarakhand. Hillvani
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में इन दिनों लगातार भालू के आतंक से ग्रामीण लगातार घायल हो रहे हैं। भालू का हमला अधिकांश पर्वतीय अंचलों वाले क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। लेकिन धीरे-धीरे भालू अब गांव के आसपास एवं ग्रामीण अंचल के बाजारों के आसपास भी दिखाई देने लगे हैं। भालू के ग्रामीणों पर हमले का सिलसिला लगातार जारी है। जो अब तक कई ग्रामीणों को घायल कर चुका हैं, इसमें कुछ की मौत हो चुकी है, ऐसे में जबकि भालू ग्रामीणों के घरों तक पहुंच रहे हैं। मानव-भालू संघर्ष की रोकथाम के लिए विभाग का कहना है कि ग्रामीण सुबह शाम जंगल जाने से बचें। भालू का हाइबर्नेशन क्या होता है आगे पढ़ें….
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः बहू के साथ घास काट रही थी सास, तभी गुलदार ने किया हमला। दर्दनाक मौत..
लोगों को किया जाए जागरूक
प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव रंजन कुमार मिश्र ने जारी निर्देश में कहा, पिछले कुछ दिनों से राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों से मानव-भालू संघर्ष की घटनाएं सामने आई है। सर्दियों में भालू हाइबर्नेशन में होते हैं। इसके अलावा भोजन की कमी, जलवायु परिवर्तन, कूडे का समुचित प्रबंधन न होने आदि वजहों से उनके व्यवहार में बदलाव भी संभावित है। मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए लोगों जागरूक किया जाए। ग्रामीण समूह में चलें, किसी भी तरह के कचरे को घर के आस-पास व इधर-उधर न फेंके। आबादी क्षेत्रों के आसपास प्रकाश की उचित व्यवस्था करें। घरों के आस-पास झाड़ियों की सफाई करें। वहीं, विभाग के अधिकारी भालू की सक्रियता वाले क्षेत्रों की पहचान करें।
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड में खूंखार हुआ भालू.. डरा रहे आंकड़े, चौंकाने वाली मानी जा रही वजह..
वन क्षेत्रों में फलदार पौधे लगाएं
यदि कहीं से किसी तरह की घटना की सूचना मिलती है तो घटना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें। क्षेत्र को सुरक्षित करें और भीड़ को दूर रखें। जबकि दीर्घकालिक उपाय के तौर पर भालू को प्राकृतवास में ही आहार उपलब्ध हो इसके लिए वन क्षेत्रों में ओक, काफल, जंगल बेरी आदि पौधे लगाएं। अधिक भालू घनत्व वाले क्षेत्रों में उसके आवास स्थलों का संरक्षण किया जाए। वन कर्मियों के क्षमता विकास के लिए समय-समय पर फील्ड स्टाफ के नियमित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए। जिसमें भालू के व्यवहार एवं नवीन बचाव तकनीकों के संबंध में जानकारी दी जाए। इसके अलावा क्षेत्र एवं ऋतु आधारित मानव-भालू संघर्ष प्रबंध योजना तैयार की जाए।
यह भी पढ़ेंः Human Wildlife Conflict: उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे जंगली जानवरों के हमले..
भालू का हाइबर्नेशन क्या होता है
भालू का हाइबर्नेशन एक प्रकार की गहरी नींद है जिसमें भालू सर्दियों के दौरान शारीरिक क्रियाओं को धीमा करके ऊर्जा बचाते हैं, जब भोजन की कमी होती है। यह उन्हें बिना खाए-पिए और बहुत कम पानी पिए, महीनों तक जीवित रहने में मदद करता है। इस प्रक्रिया में, भालू अपने शरीर से जमा चर्बी का उपयोग करते हैं और अपनी सांस लेने और हृदय गति को कम कर देते हैं। हाइबर्नेशन से पहले, भालू बहुत ज्यादा खाते हैं और अपने शरीर में चर्बी जमा करते हैं। वे सर्दियों के लिए एक गुफा, खोखले तने, या जमीन में खोदकर एक मांद (सुरक्षित जगह) बनाते हैं। हाइबर्नेशन के दौरान, भालू की चयापचय क्रिया (metabolism) धीमी हो जाती है, जिससे वे ऊर्जा बचा पाते हैं। वे शायद ही कभी पेशाब या शौच करते हैं और बहुत कम जागते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से सो जाना नहीं है। यह उन्हें भोजन की कमी और कठोर सर्दियों से बचने में मदद करता है। मादा भालू हाइबर्नेशन के दौरान अपने बच्चों को सुरक्षित और गर्म वातावरण में पाल-पोस भी सकती हैं।
यह भी पढ़ेंः क्या आप जानते हैं? Aadhaar Card में कितनी बार बदल सकते हैं नाम सहित यह जानकारी?
हाइबर्नेशन न होने के नुकसान
भालू के हाइबर्नेशन (शीतनिद्रा) न कर पाने के कई नुकसान हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है भूख से मरना, क्योंकि सर्दियों में पर्याप्त भोजन नहीं मिलता। हाइबर्नेशन न करने पर भालू को भोजन की तलाश में लगातार सक्रिय रहना पड़ता है, जिससे ऊर्जा का भारी नुकसान होता है और उसे अत्यधिक तनाव, कुपोषण और कठोर सर्दियों का सामना करना पड़ता है। इससे उनके जीवित रहने का जोखिम भी बढ़ जाता है। हाइबर्नेशन की कमी से भालू भोजन की तलाश में सक्रिय रहने के कारण इंसानों के करीब आ जाते हैं, जिससे मानव-भालू संघर्ष बढ़ सकता है। इससे फसलों और पशुओं को नुकसान हो सकता है, जो किसानों में शत्रुता पैदा करता है और मानव सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। क्योकि भूखे और तनावग्रस्त भालू अधिक आक्रामक हो जाते हैं। जिससे मानव-भालू की मुठभेड़ें बढ़ जाती हैं। कुछ मामलों में, भालू शिकारी बन सकते हैं और इंसानों पर हमला कर सकते हैं।
यह भी पढ़ेंः Agniveer Jobs: उत्तराखंड के युवाओं के लिए अग्निवीर बनने का सुनहरा मौका, पढ़ें पूरी जानकारी..
