उत्तराखंडः जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की कवायद एक बार फिर हुई तेज, हो रहा तीसरा सर्वे..
जौलीग्रांट एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की कवायद एक बार फिर तेज हो गई है। जिस कारण अब मकानों, भवनों आदि की गणना और मूल्याकंन का कार्य शुरू कर दिया गया है। दो विभागों की टीम पिछले कई दिनों से एयरपोर्ट और भानियावाला, दुर्गा चौक के बीच मकानों, दुकानों, होटलों आदि की गणना और मूल्यांकन के कार्य में लगी हुई है। लोक निर्माण विभाग द्वारा चोर पुलिया एयरपोर्ट बांउड्री से लेकर दुर्गा चौक के बीच भवनों, मकानों व होटलों आदि की गणना का कार्य और मूल्यांकन का कार्य किया जा रहा है। जबकि तहसील डोईवाला द्वारा जमीनों का सर्वे आदि का कार्य किया जा रहा है। इससे पहले इसी अक्टूबर के शुरू में जो सर्वे किया गया था वो सिर्फ तहसील कर्मियों द्वारा किया गया था। लेकिन अब दूसरे चरण में तहसील और लोनिवी द्वारा ज्वाइंट सर्वे किया जा रहा है। इस ज्वाइंट सर्वे के अनुसार एयरपोर्ट को चोरपुलिया में एयरपोर्ट बाउंड्री से 900 मीटर दुर्गा चौक की तरफ ले जाया जा रहा है। वहीं यदि चौडाई की बात करें तो एयरपोर्ट को चोरपुलिया की तरफ से साढे तीन सौ मीटर चौड़ाई में बनाया जाएगा। जिसमें हाईवे से 75 प्रतिशत चौडाई में अठुरवाला की तरफ और 25 प्रतिशत जौलीग्रांट की तरफ बनाए जाने को सर्वे किया जा रहा है। दुर्गा चौक की तरफ 900 मीटर लंबाई और 350 मीटर चौडाई में 409 बिघा जमीन (31.5 हे.) जमीन का सर्वे किया जा रहा है। जो अब नए सर्वे के अनुसार एयरपोर्ट को दी जाने की कवायद की जा रही है।
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लोक निर्माण विभाग द्वारा मकानों, भवनों, होटलों और दूसरे व्यापारिक प्रतिष्ठानों का सर्वे और मूल्याकन व तहसील द्वारा जमीनों का सर्वे व मूल्याकंन कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी और उस रिपोर्ट के बाद फिर अगले चरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस नए सर्वे के अनुसार एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई 2700 मीटर से बढकर 3650 मीटर हो जाएगी। जिस पर अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें आसानी से उतर और उड़ान भर पाएंगी। अठुरवाला निवासी गजेंद्र रावत ने कहा कि अठुरवाला और जौलीग्रांट वालों के साथ मजाक किया जा रहा है। उन्हे एक बार 80 के दशक में टिहरी से अठुरवाला बसाया गया था। उसके बाद दर्जनों परिवारों को 2006-07 में एयरपोर्ट विस्तारीकरण में दूसरी जगह बसाया गया। और अब स्थानीय निवासियों को तीसरी बार विस्थापित किया जा रहा है। ये उनकी तीसरी पीढी को विस्थापन का दंश झेलने पर मजबूर किया जा रहा है। सभासद राजेश भट्ट ने कहा कि 2006-07 में एयरपोर्ट विस्तारीकरण में अठुरवाला और जौलीग्रांट के पांच रास्तों को बंद कर दिया गया था। इसलिए इस बार विस्तारीकरण में पहले गांववालों के रास्तों के लिए जमीनें अधिग्रहण की जानी चाहिए।
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रास्ते होंगे बंद सैकड़ों लोगों का रोजगार होगा प्रभावित
यदि इस बार एयरपोर्ट का विस्तारीकरण होता है और एयरपोर्ट को दुर्गा चौक की तरफ ले जाया जाता है तो इससे न सिर्फ कई गांवों की रास्ते बंद हो जाएंगे। बल्कि सैकड़ों दुकानदारों, होटल संचालकों और दूसरे व्यापारिक प्रतिष्ठानों को चलाने वालों पर रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगेगा। पूरी डोईवाला विधानसभा में जौलीग्रांट जैसा नया और भव्य मार्केट कोई दूसरा नहीं है। जो विस्तारीकरण से उजड़ जाएगा।
मिलेगी नई पहचान लेकिन रात भर होगा फ्लाइटों का शोरगुल
जौलीग्रांट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने के बाद के दो पहलू हैं। इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जौलीग्रांट और डोईवाला को पूरी दुनिया में नई पहचान मिलेगी। विदेश में बैठा पैसेंजर भी वहां के एयरपोर्ट डिस्प्ले बोर्ड पर देहरादून एयरपोर्ट की फ्लाइटों के समय को देखेगा और कई रूपों में क्षेत्र का विकास होगा। लेकिन दूसरा पहलू ये है कि वर्तमान में जौलीग्रांट एयरपोर्ट सुबह छह बजे से लेकर रात लगभग नौ बजे तक खुला रहता है और इसी दौरान इस एयरपोर्ट पर कार्मिशियल और दूसरी प्राईवेट फ्लाइटों का मूवमेंट रहता है। इस बीच लोग आराम से सोते हैं। लेकिन जब जौलीग्रांट एयरपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय हो जाएगा। तब इस एयरपोर्ट पर चौबीसों घंटे फ्लाइटें चलेंगी। और लोग फ्लाइटों के शोरगूल से पूरी रात परेशान रहेंगे। प्रदूषण से क्षेत्र के पर्यावरण व बारिश पर भी असर पड़ सकता है।
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बिरला ने रखी थी नींव उत्तराखंड सरकार ने आगे बढाया
जौलीग्रांट एयरपोर्ट की नींव 70 के दशक में देश के विख्यात उद्योगपति बिरला द्वारा रखी गई थी। जिसे जंगल काटकर बनाया गया था। उस वक्त बिरला का जहाज ही यहां कभी-कभार आता था। बाद में इस एयरपोर्ट को उन्होंने सरकार को दे दिया था और 80 में इस एयरपोर्ट पर कामर्शियल फ्लाइटें शुरू हुई। जो हफ्ते में एक या दो दिन ही यहां आती थी। 2006-07 में सरकार ने जमीनें अधिग्रहण कर इस एयरपोर्ट का विस्तार किया। और किंगफिशर ने सबसे पहले यहां नियमित उड़ानें शुरू की थी।
इंटरनेशल एयरपोर्ट को हो रहा तीसरा सर्वे
इंटरनेशल एयरपोर्ट के लिए यह तीसरा सर्वे किया जा रहा है। एयरपोर्ट विस्तारीकरण का जो पहला मैप बनाया गया था। उसमें एयरपोर्ट को चौड़ा कर अठुरवाला की तरफ बढाया जाना प्रस्तावित था। उसके बाद जो दूसरा मैप बनाया गया उसमें एयरपोर्ट टर्मिनल के पास थानों वन रेंज की करीब 243 एकड जमीन लेनी प्रस्तावित थी। जिसकी नाप-जोख और पेड़ों की गणना आदि भी हो चुकी थी।
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