विधि-विधान के साथ खुले बदरीनाथ धाम के कपाट, ‘जय बदरी विशाल’ के जयकारे से गूंजा धाम..

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The doors of Badrinath Dham opened with rituals

The doors of Badrinath Dham opened with rituals : विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट आज यानी 12 मई को सुबह 6 बजे पूरे विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। रिमझिम बारिश के बीच कपाट खुले तो भक्तों का उत्साह, उमंग और आस्था चरम पर दिखी। कपाट खुलते ही धाम जय बदरी विशाल के जयकारों से गूंज उठा।

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आर्मी बैंड एवं ढोल नगाड़ों की मधुर धुन श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। | The doors of Badrinath Dham opened with rituals

वहीं आर्मी बैंड एवं ढोल नगाड़ों की मधुर धुन और स्थानीय महिलाओं के पारंपरिक संगीत और नृत्य के साथ भगवान बदरी विशाल की स्तुति ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कपाट खुलने के मौके पर करीब 10 हजार श्रद्धालु धाम पहुंचे। बता दे शाम तक बदरीनाथ में अखंड ज्योति के दर्शन के लिए करीब 20 हजार तीर्थयात्रियों के पहुंचने की उम्मीद है।बदरीनाथ धाम से पहले 10 मई को यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए थे।

वहीं, अब बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारोंधामों की यात्रा शुरू हो गई है। श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश के सहयोग से आस्था पथ से लेकर धाम को ऑर्किड और गेंदे के 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। धाम में स्थित प्राचीन मठ-मंदिर भी सजाए गए हैं।

6 बजे- श्रद्धालुओं के लिए खुले बदरीनाथ धाम के कपाट | The doors of Badrinath Dham opened with rituals

प्रात: चार बजे- बदरीविशाल के दक्षिण द्वार से भगवान कुबेर का प्रवेश।

सुबह : पांच से साढ़े पांच बजे- विशिष्ट व्यक्तियों का गेट नंबर तीन से मंदिर में प्रवेश।

प्रात: 5.40 बजे- रावलजी, धर्माधिकारी व वेदपाठियों का उद्धवजी के साथ मंदिर में प्रवेश।

प्रात: 5.45 बजे – रावल और धर्माधिकारी द्वारा द्वार पूजन।

सुबह 6 बजे- श्रद्धालुओं के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट खुले।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया, जिला प्रशासन ने इस बार बदरीनाथ धाम को पॉलिथिन मुक्त रखने का निर्णय लिया गया है। धाम और पड़ावों में होटल और अन्य व्यावसायियों को पॉलिथीन का उपयोग न करने की सख्त हिदायत दी गई है। मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही तप्तकुंड, नारद कुंड, शेषनेत्र झील, नीलकंठ शिखर, उर्वशी मंदिर ब्रह्म कपाल, माता मूर्ति मंदिर व देश के प्रथम गांव माणा, भीमपुल, वसुधारा जलप्रपात एवं अन्य ऐतिहासिक व दार्शनिक स्थलों पर भी श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं।

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