पुराने वाहन बेचने-खरीदने के बदले नियम, यहां पंजीकरण अनिवार्य। नहीं तो हो जाएंगे ब्लैक लिस्ट..
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने बीते साल एक रिपोर्ट तैयार करने के बाद, अब देश के बढ़ते यूज्ड कार और बाइक के बाजार के लिए एक रेगुलेटरी इकोसिस्टम बनाने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट 1989 में बदलाव किया है। जिसके तहत कई ऐसे नियम बनाए गए हैं जिससे अधिकृत और अनाधिकृत पुराने वाहन डीलर्स की पहचान हो सकेगी। नए नियमों के अनुसार एक डीलर की प्रामाणिकता तय करने के लिए पहले से रजिस्टर्ड वाहन डीलरों के लिए एक नया अथारिटी सर्टिफिकेट जारी किया गया है। इन वाहनों के मालिक और डीलर के बीच खरीद या बिक्री के लिए आरटीओ को सूचित करने की एक नई प्रक्रिया से गुजरना होगा। डीलरों को अब वाहन के RC, फिटनेस सर्टिफिकेट, डुप्लीकेट आरसी, एनओसी और वाहन के मालिकाना हक को ट्रांसफर करने के लिए ऑथराइज किया जाएगा। इसके आलावा डीलरों को अब वाहन के इलेक्ट्रॉनिक ट्रिप मीटर का एक रजिस्टर बनाकर रखना होगा।
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वहीं उत्तराखंड परिवहन विभाग ने पुराने वाहनों (दुपहिया, कार या अन्य वाहनों) की खरीद व बिक्री करने वाले कारोबारियों का आरटीओ कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। प्राधिकार प्रमाण-पत्र हासिल किए बिना कारोबारी पुराने वाहनों का व्यापार नहीं कर सकेंगे। दिसंबर-2022 में केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसचूना के बाद यह नियम एक अप्रैल से लागू किया जाना था, लेकिन उत्तराखंड के वाहन डीलरों ने पंजीकरण नहीं कराया। अब आरटीओ (प्रशासन) सुनील शर्मा ने सभी वाहन डीलर को अंतिम चेतावनी देते हुए एक माह का समय पंजीकरण कराने को दिया है। एक सितंबर से अभियान चलाकर वाहन डीलर के विरुद्ध न केवल कार्रवाई की जाएगी, बल्कि उसके परिसर में खड़े सभी पुराने वाहनों के नंबर आरटीओ कार्यालय के साफ्टवेयर में ब्लैक-लिस्ट कर दिए जाएंगे।
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बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से 22 दिसंबर-2022 को इसकी अधिसूचना जारी की गई थी। जिसमें राज्यों को इसे अपने स्तर पर लागू करने को कहा गया था। उत्तराखंड परिवहन मुख्यालय ने भी 30 दिसंबर को सभी आरटीओ को पत्र भेजकर इसका अनुपालन कराने के आदेश दिए थे, लेकिन यह नियम निर्धारित समय सीमा पर लागू नहीं हो पाया। अब मुख्यालय के आदेश पर देहरादून आरटीओ सुनील शर्मा ने देहरादून शहर समेत दून संभाग के सभी शहर ऋषिकेश, विकासनगर, हरिद्वार, रुड़की, टिहरी व उत्तरकाशी के एआरटीओ को इसका अनुपालन कराने के आदेश दिए हैं। इस नियम के अंतर्गत में पंजीकृत वाहन स्वामी एवं वाहन डीलर के मध्य वाहन की डिलीवरी की सूचना देने की प्रक्रिया समेत डीलर की जिम्मेदारियों को विस्तृत तौर पर स्पष्ट किया गया है।
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बता दें कि, दून शहर, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश एवं विकासनगर आदि शहरों में पुरानी बाइक-स्कूटी व कार का बाजार पांव जमा चुका है। मुख्य सड़क से लेकर गलियों तक कार बाजार सज रहे हैं। पुराने वाहनों की खरीद व बिक्री करने वाले आनलाइन बाजार भी मौजूद हैं। अधिसूचना के मुताबिक, अब वाहन डीलरों को अपने कब्जे वाले वाहनों के पंजीयन प्रमाण-पत्र का नवीकरण कराने, फिटनेस प्रमाण-पत्र के नवीकरण, डुप्लीकेट पंजीयन प्रमाण-पत्र बनाने, एनओसी व स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए आवेदन के अधिकार दिए गए हैं। वाहन स्वामी को संबंधित डीलर को वाहन देने के बाद फार्म-29 (ग) जिसमें वाहन स्वामी व डीलर के हस्ताक्षर होंगे, को यह फार्म पोर्टल के माध्यम से वाहन पंजीयन अधिकारी को भेजना होगा। वाहन लेने और बेचने के बाद डीलर को इसकी जानकारी परिवहन विभाग को देनी होगी।
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कैसे मिलेगा प्राधिकार प्रमाण-पत्र
आरटीओ ने बताया कि वाहन डीलर को प्राधिकार प्रमाण-पत्र लेने के लिए परिवहन विभाग से जुड़े वाहन पोर्टल पर प्रारूप-29 (क) में आवेदन करना होगा। इसमें डीलर को अपना नाम, पता, कारोबार का स्थान, मोबाइल नंबर, पैन नंबर, जीएसटी नंबर व ईमेल-आइडी उपलब्ध करानी होगी। इसमें 25 हजार रुपये शुल्क आनलाइन जमा होगा। आरटीओ कार्यालय में इसके लिए परिवहन कर अधिकारी प्रज्ञा पंत को नोडल अधिकारी बनाया गया है। कक्ष संख्या-21 में इससे जुड़े कार्य किए जाएंगे।
फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम
प्राधिकार प्रमाण-पत्र से पंजीकृत वाहनों के डीलरों एवं मध्यस्थों की पहचान करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा ऐसे वाहनों की खरीद-बिक्री में धोखाधड़ी की आशंका भी कम होगी। शुक्रवार को आरटीओ शर्मा ने करीब दो दर्जन वाहन डीलरों के साथ आरटीओ कार्यालय में बैठक भी की और नए नियम की जानकारी दी।
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