वर्दी धारियों को भी करना पड़ेगा यातायात नियमों का पालन, कटेंगा चालान, होगी विभागीय कार्रवाई..
Policemen also have to follow traffic rules : वर्दी धारियों को भी अब यातायात नियमों का पालन करना होगा। बिना हेल्मेट और बिना सीट बेल्ट के वाहन चलाने वाले पुलिसकर्मियों के भी अब मोटर वाहन अधिनियम के तहत चालान काटे जाएंगे। वहीं बाद में उनके के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। इस संबंध में डायरेक्टर ट्रैफिक मुख्तार मोहसिन ने सभी पुलिस कप्तानों को आदेश जारी किए हैं।
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डीजीपी अभिनव कुमार ने इस पर नाराजगी की जाहिर | Policemen also have to follow traffic rules
बता दे यातायात निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार डीजीपी अभिनव कुमार ने इस बात पर बेहद नाराजगी जाहिर की थी कि बहुत से पुलिसकर्मी बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चलाते हैं। चौपहिया वाहनों में भी वह सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं। चेकिंग में वर्दी धारियों को रोकने से परहेज किया जाता है।
इसी बात का फायदा उठाकर वर्दी धारी या सादे वस्त्रों में भी पुलिसकर्मी चालान की कार्रवाई से बच निकलते हैं। डीजीपी अभिनव कुमार ने इस बात को पुलिस फोर्स की छवि खराब करने वाला बताया था। इसी के मद्देनजर यातायात निदेशालय ने सभी पुलिस कप्तानों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं।
चालान के साथ-साथ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी | Policemen also have to follow traffic rules
पुलिसकर्मियों का चालान तो कटेगा ही बाद में उनके के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। इसके साथ ही उन्हें लाइन हाजिर से लेकर सस्पेंड तक किया जा सकता है। यातायात निदेशालय उत्तराखंड ने इस संबंध में कार्रवाई तेज करने के निर्देश भी दिए हैं। ताकि, लोगों में पुलिस की छवि को सुधारा जा सके।
यातायात निदेशक मुख्तार मोहसिन ने बताया कि वर्ष 2022 में बिना हेलमेट वाहन चलाने के कारण प्रदेश में 224 लोगों की मृत्यु हुई थी। जबकि, बिना सीट बेल्ट के कारण 43 लोग सड़क हादसों में मारे गए। ऐसी घातक दुर्घटनाओं में सीट बेल्ट और हेलमेट से जान का बचाव हो सकता है। पुलिसकर्मियों के अंदर एक चलन और है। वह है कार के सामने या पीछे टोपी रखकर चलाने का। कार चाहे उनकी खुद की हो या फिर किसी रिश्तेदार की यातायात के नियमों से उनकी यह टोपी ही बचाव कर लेती है। इस तरह से कुछ पुलिसकर्मियों के पारिवारिक सदस्य और रिश्तेदार भी खूब वाहन चलाते सड़कों पर देखे गए हैं। सिर्फ स्थानीय पुलिस ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों के पुलिसकर्मी भी इन कार्रवाई से बचने को टोपी को ही ढाल बनाते हैं।
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