International Women’s Day 2022: जानें महिला दिवस का इतिहास और इस साल की थीम…
हर साल की तरह इस साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य हमारे समाज में महिलाओं को सशक्त करना और उनकी आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक सहित विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ाने और अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ‘एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता’ है। आज भी कई देशों में लैंगिक समानता को लेकर काफी मतभेद है, कई देशों में आज भी महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं दिए गए हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य दुनियाभर में लैंगिक समानता का संदेश फैलाना है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों और योगदान को चिह्नित करना और एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में काम करना है जो सभी लैंगिक पूर्वाग्रहों, रूढ़ियों, लैंगिक समानता और भेदभाव से मुक्त हो।
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महिला दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सबसे पहले अमेरिका में 1908-09 में मनाया गया था। तब करीब 15000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क सिटी में वोटिंग के अधिकार, काम के घंटे कम करने व बेहतर वेतन की मांग को लेकर आंदोलन किया था। 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने थीम के साथ इसे प्रत्येक वर्ष मनाना शुरू किया गया। इस बार की थीम है “जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो” यानी मजबूत भविष्य के लिए लैंगिक समानता जरूरी है। यह बात सही है कि महिलाएं हर क्षेत्र में परचम लहरा रही है। लेकिन यह भी कटु सत्य है कि आज भी कई जगहों पर उन्हें लैंगिक असमानता, भेदभाव झेलना पड़ता है। कन्या भ्रूण हत्या के मामले आज भी आते हैं। महिला के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में हमारा यह कत्तर्व्य है हम महिलाओं की स्थिति समाज में बेहतर बनाने को लेकर प्रयासरत रहने का संकल्प लें।
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देश के कई भागों में अपने अधिकारों को लिए जागरूक नहीं महिलाएं
आज भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर का सम्मान नहीं मिलता। कई मामलों और क्षेत्रों में ‘यह तो औरत है’ कह कर पीछे धकेल दिया जाता है या आगे नहीं बढ़ने दिया जाता। समाज में महिलाओं को सम्मान और सुरक्षित वातावरण देने के लिए भारतीय संविधान में कुछ अधिकार दिए गए हैं। कई महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में पता नहीं होता, जिसके चलते उन्हें कई बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जो उन्हें कानूनी तौर पर नहीं करना चाहिए। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान देश में महिला उत्पीड़न की खबरें भी सामने आई थी। लॉकडाउन के समय दुनिया भर के देशों से घरेलू हिंसा के बढ़े हुए मामलों की खबरें हम सभी सुनते और पढ़ते रहे और ये सिलसिला अभी भी जारी है। अधिकांश महिलाओं ने घर के काम और देखभाल की जिम्मेदारियां बढ़ जाने का उल्लेख किया। एक तरफ घर में संघर्ष रहा, दूसरी तरफ बाहर भी नौकरी के अवसर कम कर दिए गए।
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महिलाओं के योगदान के लिए भी जाना जाता है यह दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विश्व भर में एक उद्देश्य यह भी रहता है कि इस दिन महिलाओं के द्वारा किए गए विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए उनको याद भी किया जाए। उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को प्रत्येक आठ मार्च को सम्मानित भी करने की परंपरा रही है। भारत में भी महिलाओं की दशा पहले से बहुत बेहतर हुई है आज हमारे देश में हर बड़े क्षेत्रों में महिलाओं का योगदान भी कम नहीं है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा महिलाओं को लेकर समाज के लोगों को जागरूक करने, महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उन्हें प्रेरित करने के लिए यह दिवस बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
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