जागर संरक्षण दिवस: 17 सिंतबर को 17 विभूतियों को दिया जाएगा राज्य वाद्य यंत्र सम्मान..
उत्तराखंड अपनी अनूठी लोककला और संस्कृति के लिए जाना जाता है। राज्य की कुछ लोक विधाओं ने तो देश और दुनिया में अपनी खास पहचान भी बना ली है। इसी दिशा में सामाजिक संस्था “डांडी-कांठी क्लब” लगातार लोककला और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को बढ़ावा देने में जुटी है। मध्य हिमालयी संस्कृति के सरोकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए समर्पित सामाजिक संस्था “डांडी-कांठी क्लब” विगतवर्षो की भांति इस वर्ष भी 17 सिंतबर को “जागर संरक्षण दिवस” मनाने जा रहा है। जिसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से अलग-अलग विधाओं में 12 पारंगत श्रेष्ठ विभूतियों एवं 5 ढ़ोलियों सहित कुल 17 विभूतियों को “राज्य वाद्य यंत्र सम्मान-2022” से सम्मानित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रदेश के साहित्यविद, संस्कृति प्रेमी, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधिगण एवं प्रदेश की लोक संस्कृति के ध्वजवाहक भारी संख्या में शामिल होगें।
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सामाजिक संस्था “डांडी-कांठी क्लब” द्वारा समय-समय पर अपनी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए खेल प्रतियोगितायें, लोक महोत्सव एवम् विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संस्कृति को संजोये रखने के लिए कार्य करता आ रहा है। उत्तराखण्ड के प्रकांड ढोल सागर, देवसार, पैंसारा, थाती योग के महान जान गुरुओं का सम्मान सहित पांचवी बार उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में अद्वितीय अनुष्ठान के साथ “जागर संरक्षण दिवस’ मनाया जा रहा है। इसके साथ-साथ विभिन्न देशों में इसी दिन क्लब की पहल पर उक्त “जागर संरक्षण दिवस” मनाया जा रहा है जिसकी छोटी / बडी झलकियां भी इस कार्यक्रम में “इलैक्ट्रानिक मीडिया के डिजिटल माध्यम से दिखाई जायेगी ताकि “जागर संरक्षण दिवस” का विस्तार विश्व पटल पर और उत्तराखंड एवम् अन्य देशों में जागर संरक्षण एवम् ढोल विद्या पर शोधकर्ता छात्रों को इसका लाभ मिल सके।
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जागर संरक्षण दिवस 17 सितम्बर जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर शुरू किया गया था जो कि पांचवी बार मनाया जा रहा है। इस अवसर पर उत्तराखंड संस्कृति के ध्वज वाहकों द्वारा सांस्कृति प्रस्तुतियां भी दी जायेगी। क्लब परिवार इसी परिपेक्ष में अपनी लोक संस्कृति के संरक्षण एवम् संवर्द्धन के लिए कृत संकल्परत है। “डांडी-कांठी क्लब” के अध्यक्ष विजय भूषण उनियाल ने कहा कि जागर संरक्षण दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि जागरों, पवाडों, लोकगीतों, लोकवाद्यों के साथ साथ पहाड़ की बिलुप्त होती विधाओं के संरक्षण किया जाए। वहीं प्रेसवार्ता में क्लब अध्यक्ष विजय भूषण उनियाल, सचिव कृष्णानन्द भट्ट, मण्डल अध्यक्ष प्रकाश बडोनी, नगर निगम पार्षद नरेश रावत, सलाहाकार चन्द्रदत्त सुयाल, मीडिया प्रभारी ललित मोहन लखेडा, मंच संचालक दिनेश शर्मा, सरोप रावत, विनोद असवाल, नवनीत सेठी, गब्बर राणा, नीरज उनियाल, विरेन्द्र रमोला आदि गणमान्य सदस्य उपस्थिति थे।
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