डायबिटीज से जा सकती है आंखों की रोशनी, नाजुक आंखों के लिए ये सावधानियां हैं जरुरी..
डायबिटीज का हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तो यह तो हम जानते ही हैं लेकिन सावधान रहिए क्योंकि डायबिटीज से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। चिकित्सकों का कहना है कि डायबिटीज से शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं, आंखें भी उनमें से एक है। इसलिए डायबिटीज होने पर आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हरिद्वार के प्रमुख नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश सिंह ने बताया कि डायबिटीज के कारण रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली महीननलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। जिससे रेटिना पर वस्तुओं का चित्र सही से या बिल्कुल भी नहीं बन पाता है। इस समस्या को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। अगर सही समय से इसका इलाज न किया जाए तो रोगी अंधेपन का शिकार हो सकता है। 40 से 70 वर्ष आयुवर्ग के लोगों में इसका खतरा ज्यादा रहता है। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में इस बीमारी का पता नहीं चलता। जब आंखें इस बीमारी से 40 फीसदी तक प्रभावित हो जाती हैं, उसके बाद इसका प्रभाव दिखने लगता है।
नाजुक होती हैं आंखों की नलिकाएं
आंखों की रक्त नलिकाएं बहुत ही नाजुक होती हैं, इसलिए मधुमेह रोग से ये जल्द प्रभावित होती हैं। रक्त नलिकाओं के फटने से रिसने वाला रक्त कई बार रेटिना और उसके आसपास इकट्ठा होता रहता है, जिससे आंखों में ब्लाइंड स्पॉट भी बन सकता है।
डायबिटीज के मरीज ध्यान दें कहीं ये लक्षण आप में तो नहीं..
1- आंखों में रुखापन: डायबिटीज़ के ज़्यादातर मरीज आंखों में रुखेपन से परेशान रहते हैं। जिससे उनको आंखों में दर्द, चुभन, भारीपन और आंसू आ सकते हैं। समय पर इलाज़ होना बेहद जरूरी है।
2- आंखों में संक्रमण: ऐसे मरीजों की आंखों में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। जैसे कंजक्टिवाइटिस (लाल आंखें), पलकों और कॉर्निया में इन्फ़ेक्शन हो सकता है। इसलिए ब्लड शुगर कंट्रोल में रखें और आंखों से जुड़ी कोई तकलीफ होने पर डॉक्टरी सलाह लें।
3- मोतियाबिंद: यह डायबिटीज़ में होने वाली सबसे आम बीमारी है। आंखों का लेंस उम्र के साथ धुंधला हो जाता है जिसे मोतियाबिंद या कैटरेक्ट कहते हैं। मोतियाबिंद डायबिटीज़ के मरीज़ों में जल्दी हो सकता है और तेजी से बढ़ता भी है। इसका सीधा असर आंखों की रोशनी पर पड़ता हैै। डायबिटीज़ से जूझने वाले 65 साल से कम उम्र के इंसानों में मोतियाबिंद होने का ख़तरा बाकियों के मुक़ाबले 4 गुना ज़्यादा होता है। मोतियाबिंद होने पर डायबिटीज़ को कंट्रोल करके सर्ज़री की मदद से लेंस ट्रांसप्लांट किया जाता है।
4- ग्लूकोमा: यह आंखों में दबाव से जुड़़ी बीमारी है, जिसके आमतौर पर लक्षण नहीं दिखाई देते। लंबे समय तक बढ़े हुए दबाव की वजह से आंखों की नस यानी ऑप्टिक नर्व पर बुरा असर पड़ता है और देखने में तकलीफ़ होती है। इलाज़ न करने पर मरीज़ हमेशा के लिए आंखों की रोशनी खो सकता है।
5- डायबिटिक रेटिनोपैथी: डायबिटिक रेटिनोपैथी डायबिटीज़ में होने वाली आंखों से जुड़ी सबसे गंभीर बीमारी है। इसमें भी शुरूआती लक्षण नहीं होते मरीज को इसका पता रेटिना टेस्ट से पता चलता है। रेटिनोपैथी बढ़ने पर आंखों की रोशनी कम होने लगती है। हालत बिगड़ने पर रोशनी पूरी तरह से जा सकती है। डायबिटीज के अलावा अगर मरीज ब्लड प्रेशर, थायरॉयड, कोलेस्ट्रॉल, हार्ट या किडनी डिसीज से जूझ रहा है तो खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। डायबिटीज से 20% से 40% मरीजों में रेटिनोपैथी हो सकती है।
6- लगातार चश्मे का नंबर बदलना: मधुमेह के मरीजों में ब्लड शुगर कंट्रोल न होने पर चश्मे का नंबर बदलता रहता है। इसलिए समय-समय पर शुगर की जांच करते रहना चाहिए। बहुत ज्यादा या बहुत कम शुगर लेवल होने पर मरीज़ को अचानक धुंधला दिख सकता है। शुगर लेवल ठीक होने पर रोशनी वापस भी आ सकती है।
7- आंखों में तिरछापन: बढ़ी हुई शुगर के चलते आंखों में भेंगापन आ सकता है जिसमें अचानक से डबल दिखने के साथ पलकें भी बंद हो सकती हैं। कई बार देखने वाली नस में सूजन के कार रोशनी काफी कम हो सकती है।
डायबिटीज के मरीज ऐसे रखें अपनी आंखों का ख्याल
1-साल में एक बार आंखों की जांच कराएं अगर डायबिटिक रेटिनोपैथी की शुरुवात हो चुकी हो तो डॉक्टर की सलाह को नजरअंदाज न करें। साल में एक बार आंखों की जांच जरूर करवाएं। जिन्हें पांच साल से ज्यादा समय से डायबिटीज है उन्हें हर 3 महीने में आंखों की जांच करानी चाहिए।
2- शुगर लेवल कंट्रोल में रखें : ब्लड शुगर को नॉर्मल रेंज में बनाए रखें। एक बार इसका लेवल बढ़ जाने के बाद आंखों के साथ शरीर के कई अंग डैमेज होने लगते हैं। डॉक्टर से दवाइयां, डाइट प्लान, एक्सरसाइज़ और ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने के साथ ब्लड ग्लूकोज़ मॉनिटरिंग के बारे में बात करें। एचबीए1सी लेवल साल में कम से कम 2 बार टेस्ट कराना चाहिए और इसका लक्ष्य 7 प्रतिशत से कम होना चाहिए।
3-एक्सरसाइज करें, डाइट में बदलाव करें : रेग्युलर एक्सरसाइज, बैलेंस डाइट, धूम्रपान और शराब से दूरी बनाकर इस जानलेवा बीमारी से बचा सकते हैं। खाने में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें।
4- समय पर इलाज़ कराएं : डायबिटीज़ और इससे जुड़ी दिक्कतों का समय पर इलाज़ बेहद जरूरी है वरना शरीर के कई अंगों पर इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। इस बात को हमेशा ध्यान रखें।