उखीमठः भूस्खलन होने से खतरे की जद में आए दर्जनों घर, कई मकानों पर पड़ी दरारें..
ऊखीमठः कालीमठ घाटी में विगत दिनों हुई आफत की बारिश से जगह – जगह भूस्खलन होने से दर्जनों परिवार खतरे की जद में हैं। अधिकांश मकानों पर दरारें पड़ने से भविष्य में बड़ी घटना घटित होने की सम्भावना बनी हुई है। अधिकांश मकानों में दरारें पड़ने का मुख्य कारण कालीमठ घाटी में बहनें वाली काली गंगा के किनारे हो रहें भूधसाव माना जा रहा है, भविष्य में यदि काली गंगा के किनारे हो रहे भूधसाव का ट्रीटमेंट नहीं किया जाता है तो भविष्य में कई दर्जनों ग्रामीणों पर प्रकृति का कहर बरस सकता है। तहसील प्रशासन द्वारा सभी भूस्खलन प्रभावित गांवों का निरीक्षण कर भूस्खलन प्रभावित स्थानों का ट्रीटमेंट करने के लिए सम्बन्धित विभागों को अवगत कराया गया है। जानकारी देते हुए प्रधान कविल्ठा अरविन्द सिंह राणा ने कविल्ठा गाँव के निचले हिस्से में हुए भूस्खलन के कारण तीन मकानों में भारी दरारें पड़ने से उन्हे दूसरे के घरों में रात्रि गुजारने पड रही है जबकि 18 ग्रामीणों के घरों व गौशालाओं में दरारें पड़ने से खतरा बना हुआ है। उन्होंने बताया कि काली गंगा के किनारे हुए भूस्खलन से काश्तकारों की कृषि भूमि सहित पैदल सम्पर्क मार्गों को भी भारी क्षति हुई है।
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सामाजिक कार्यकर्ता बलवन्त सिंह रावत ने बताया कि मूसलाधार बारिश के कारण कविल्ठा गाँव के विभिन्न स्थानों पर हुए भूस्खलन से भविष्य के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है तथा यदि काली गंगा के नदी में हो रहे भूधसाव का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो भविष्य में दर्जनों परिवारों पर प्रकृति का कहर बरस सकता है। प्रधान कोटमा आशा सती ने बताया कि कोटमा गाँव के निचले व ऊपरी हिस्से में विगत दिनों हुए भूस्खलन से लगभग तीन दर्जन परिवारों को खतरा बना हुआ है। पूर्व प्रधान लक्ष्मण सिंह सत्कारी ने बताया कि खोन्नू गाँव के निचले हिस्से में हुए भूस्खलन से 10 मकान व 20 गौशालाओं को खतरा बना हुआ है तथा भविष्य में 52 परिवार खतरे की जद में आ सकतें हैं। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड जल विधुत निगम द्वारा वर्ष 2008 में काली गंगा प्रथम जल विधुत परियोजना का कार्य शुरू करते समय खोन्नू गाँव के निचले हिस्से में काली गंगा के किनारे सुरक्षा दीवालों का निर्माण करने का आश्वासन ग्रामीणों को दिया गया था मगर आज तक सुरक्षा दीवालों का निर्माण न होने से काली गंगा के किनारे लगातार भूधसाव हो रहा है।
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