आज है शनिश्चरी अमावस्या, करें ये उपाय। शनि होंगे मेहरबान, मान सम्मान और धन में होगी वृद्धि…

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Hillvani-Jay-Shani-Dev

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वैशाख माह की अमावस्या तिथि आज 30 अप्रैल दिन शनिवार को है। शनिश्चरी अमावस्या कृष्ण पक्ष की उस अमावस्या को कहते है जो शनिवार के दिन पड़ती है। हिंदू धर्म में शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व व प्रभाव होता है। जिन जातकों पर शनि की महादशा हो उनके लिए यह शनिश्चरी अमावस्या अति लाभदायक होगी। मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर शनि की महादशा के प्रभाव से बचा जा सकता है। यदि आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं साथ ही अपने पितरों को खुश करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए कुछ उपायों को करें। इन उपायों को करने से शनि देव और पितर दोनों प्रसन्न होते हैं। उनकी प्रसन्नता से मान सम्मान, सुख-समृद्धि, धन-वैभव आदि की प्राप्ति होती है।
शनि का दुर्लभ संयोग– ज्योतिषविदों के मुताबिक, शनि के राशि परिवर्तन के बाद 30 अप्रैल को शनैश्चरी अमावस्या के साथ चैत्र का महीना समाप्त होगा। संयोगवश इसी दिन आंशिक सूर्य ग्रहण लग रहा है। पिता-पुत्र का ऐसा दुर्लभ संयोग पिछले 100 वर्षों में नहीं बना है।

शनिचरी अमावस्या को किये जाने वाले जरूरी उपाय
1- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिश्चरी अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से अति लाभदायी फल प्राप्त होता है और धन की वृद्धि होती है।
2- शनिश्चरी अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और वे मान सम्मान व धन वैभव की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।
3-पितृ दोष से मुक्ति के लिए आप शनिश्चरी अमावस्या के दिन अक्षत और दूध की खीर बनाएं। इसके बाद इस गोबर के जलते हुए उपले पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाएं। इसे सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
4- पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
5- शनिश्चरी अमावस्या के दिन स्नान के बाद गरीब और जरूरत मंद लोगों को दान देना उत्तम फलदायी होता है।

शनिचरी अमावस्या शुभ मुहूर्त
शनिचरी अमावस्या शुरुआती तिथि  29 अप्रैल को देर रात 12:57 मिनट।
शनिचरी अमावस्या समापन तिथि  30 अप्रैल दिन शनिवार देर रात 1:57 मिनट।
शनिचरी अमावस्या 30 अप्रैल को होगी।
शनिचरी अमावस्या के दिन प्रीति योग  30 अप्रैल को दोपहर बाद 3:20 मिनट तक।
शनिचरी अमावस्या के दिन अश्विनी नक्षत्र  30 अप्रैल को रात 8:13 मिनट तक।

शनि अमावस्या 2022 पूजा मुहूर्

आज शनि अमावस्या के दिन प्रात:काल से ही प्रीति योग बना है, जो 03:20 बजे तक रहेगा। उसके बाद से आयुष्मान योग लग जाएगा। सुबह से ही आश्विनी नक्षत्र भी है। ये योग और नक्षत्र दोनों ही मांगलिक कार्यों के लिए शुभ हैं। ऐसे में आप चाहें तो शनि अमावस्या पर सुबह स्नान के बाद शनि देव की पूजा कर सकते हैं। शनि अमावस्या के दिन का शुभ समय यानी अभिजित मुहूर्त 11:52 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक है। इस दिन आपको कोई शुभ कार्य करना है, तो इस मुहूर्त में कर सकते है, इस दौरान प्रीति योग भी रहेगा। शनि अमावस्या वाले दिन राहुकाल सुबह 9 बजे से सुबह 10:39 बजे तक है। इस दौरान आपको पूजा या अन्य शुभ मांगलिक कार्यों को करने से परहेज करना चाहिए।

शनि अमावस्या पूजा विधि
स्नान आदि के बाद शनि देव के मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा अर्चना करें। इस दौरान शनि देव को अक्षत्, काला तिल, नीले फूल, सरसों का तेल, शमी का पत्ता आदि अर्पित करें। उस समय शनि मंत्र का उच्चारण करते रहें। इसके पश्चात शनि चालीसा, शनि स्तोत्र आदि का पाठ करें। फिर तेल के तिल का दीपक जलाएं और उससे शनि देव की आरती करें। शनि देव की पूजा करते समय ध्यान रखें कि उनकी आंखों को न देखें. कहा जाता है कि जिस पर शनि की दृष्टि पड़ती है, उसका कठिन समय शुरु हो जाता है।यह श्राप उनको उनकी पत्नी ने दिया था।

शनि पूजा का महत्व
शनि देव की पूजा करने से साढ़ेसाती, ढैय्या, शनि दोष से राहत मिलती है। नौकरी, बिजेनस में तरक्की मिलती है। जिन पर शनि देव की कृपा होती है, उनके सभी कार्य सफल होते हैं। कोर्ट कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है।

साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के उपाय साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें। इसके साथ ही सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे शनिदेव अति प्रसन्न होंगे। शनिश्चरी अमावस्या के दिन भगवान हनुमान जी की पूजा करने से भी शनि दोष से छुटकारा मिलता है। इसलिए इस दिन पूजा करने के साथ बजरंगबली को चमेली का तेल में सिंदूर मिलाकर लेप लगाएं। इससे लाभ मिलेगा। शनिश्चरी अमावस्या के दिन हनुमान जी को लाल रंग का सिंदूर और लाल लंगोट अर्पित करें। इससे साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम हो जाएगा। शनिश्चरी अमावस्या के दिन सुबह के समय पीपल की जड़ में जल अर्पित करें और शाम को सरसों का तेल का दीपक जलाएं। इससे भी साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम होगा। साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम करने के लिए इस दिन शनि मंदिर जाकर शनिदेव की पूजा करें। इसके साथ ही शनि चालीसा और शनि स्त्रोत का पाठ करें। शनि अमावस्या के दिन लोहे के बर्तनों के अलावा काले जूते और छाते का दान करें। इसके साथ ही जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। इससे लाभ मिलेगा। 

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