लोकतांत्रिक संस्थाओं पर लगातार बढ़ रहे हमले : प्रशांत भूषण..

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Constantly increasing attacks on democratic institutions Prashant Bhushan

Constantly increasing attacks on democratic institutions – Prashant Bhushan : सुप्रीम कोर्ट के सुप्रसिद्ध वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने कहा है कि मौजूदा दौर में संविधान और संवैध्धनिक संस्थाओं पर हमले तेज हो गये हैं। इस तरह के हमलों की चपेट में हमारी सभ्यता भी है। इन हमलों से जो तबाही होगी, उसका दंश हम सभी को झेलना होगा। उन्होंने कहा कि चौतरफा निराशा के माहौल में उम्मीद की किरणें भी हैं, हमें अपनी लड़ाई वहीं से शुरू करनी होगी।

प्रशांत भूषण देहरादून नगर निगम ऑडिटोरियम में राज्यभर के सामाजिक संगठनों की ओर से आयोजित ‘जीतेगा भारत, हारेगी नफरत’ राज्य सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। यह सम्मेलन जीतेगा इंडिया, बनेगा भारत अभियान की ओर से आयोजित किया गया था। सम्मेलन में जनता का घोषणा पत्र भी जारी किया गया। विभिन्न विपक्षी दलों ने घोषणा पत्र में अपनी सहमति दी।

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मौजूदा सरकार लगभग हर संवैधानिक संस्था को कमजोर करने में जुटी हुई है – प्रशांत भूषण | Constantly increasing attacks on democratic institutions : Prashant Bhushan

प्रशांत भूषण ने कहा कि मौजूदा सरकार लगभग हर संवैधानिक संस्था को कमजोर करने में जुटी हुई है। इनमें न्यायपालिका भी शामिल है और चुनाव आयोग भी। कैग पर भी सरकारी दबाव है तो अन्य उन सभी संस्थाओं पर भी जिन्हें सरकारी नियंत्रण से बाहर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार इन संस्थाओं को अपनी तरह से चला रही है। ईवीएम के बारे में उन्होंने कहा कि ईवीएम पर लगातार शक जताया जा रहा है। हालांकि ईवीएम में किसी तरह की कोई गड़बड़ी की जाती है या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन, मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि लोगों का शक दूर किया जाना चाहिए।

प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है। विरोध की आवाज आंदोलनों की तरफ से आये या विपक्ष से, पत्रकारों की तरफ से आये या स्वतंत्र चिन्तकों की तरफ से, उसे दबाया जा रहा है। ऐसे लोगों पर गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज कर उन्हें जेल में भेजा रहा है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पर सबसे ज्यादा उम्मीद होती है, लेकिन हाल के वर्षों में न्यायपालिका ने कई महत्वपूर्ण फैसले सरकार के पक्ष में दिये हैं।

सैकड़ों संगठन हैं, जो इस संविधान बचाने की लड़ाई को आगे बढ़ा रहे – प्रशांत भूषण| Constantly increasing attacks on democratic institutions: Prashant Bhushan

प्रशांत भूषण ने कहा कि चौतरफा निराशा के माहौल में उम्मीद की किरणें भी हैं। इन किरणों को पकड़कर हमें अपनी लड़ाई शुरू करें तो संविधान को बचाया जा सकता है। हमें सभी स्वतंत्र आवाजों को एकजुट करना होगा। मुख्य धारा का मीडिया बेशक सरकार के पक्ष में हो, लेकिन आज निष्पक्ष वैकल्पिक मीडिया तैयार हो गया है, जो मुख्य धारा की मीडिया से ज्यादा मजबूत हो चुका है। सैकड़ों संगठन हैं, जो इस संविधान बचाने की लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं। हम सभी को एकजुट होना होगा। सोशल मीडिया नेटवर्क को मजबूत बनाना है। ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क कर उन्हें मौजूदा खतरों के प्रति आगाह करना होगा।

इप्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. रवि चोपड़ा ने कर्नाटक चुनाव के बारे में अपने अनभव बताये। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में सैकड़ों संगठन एकजुट हुए। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी पहुंच बनाई, लगातार लोगों से संपर्क बढ़ाया। मतदाता सूची पर नजर रखी और अपनी तरफ के जिन लोगों के नाम सूची से हटा दिये गये थे, उन्हें सूची में दर्ज करवाया। पार्टी के हटकर इन संगठनों ने चुनाव प्रचार किया। इसके साथ ही चुनाव से पहले और चुनाव के बाद बूथ मैनेजमेंट पर ध्यान दिया। नतीजा यह रहा कि कर्नाटक में तमाम प्रयासों के बाद भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। डॉ. चोपड़ा ने आगाह किया कि यदि फिर से केंद्र में बीजेपी सरकार आती है तो संविधान का बदलना तय है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास वैकल्पिक संविधान तैयार है। तीसरी बार सत्ता में आते ही वे विरोध की आवाजों की चिन्ता किये बिना संविधान को बदल देंगे।

जनसंगठनों ने दिखाई एकजुटता, जनता का घोषणापत्र जारी किया गया | Constantly increasing attacks on democratic institutions: Prashant Bhushan

राज्य सम्मेलन में सामाजिक संगठनों की ओर से जनता का घोषणा पत्र भी जारी किया गया। इस घोषणा पत्र में चुनाव प्रणाली में सुधार, आर्थिक समानता, प्रत्येक परिवार को घर, भू-बंदोबस्त, भू-कानून, वन प्रबंधन, जल प्रबंधन, बढ़ती बेरोजगारी, पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार, महिला अपराध, गैरसैंण राजधानी जैसे विभिन्न मुद्दों को शामिल किया गया है। इस घोषणा पत्र में आम राय लेने के बाद प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों के से घोषणा पत्र पर सहमति दी गई। कांग्रेस की ओर से गरिमा दौसानी, सपा की ओर से डॉ. एसएन सचान, सीपीआई की ओर से समर भंडारी, सीपीएम की ओर से सुरेन्द्र सिंह सजवाण, सीपीआई एमएल की ओर से इंद्रेश मैखुरी ने घोषणा पत्र पर सहमति दी।

सम्मेलन की शुरुआत सतीश धौलाखंड, त्रिलोचन भट्ट, हिमांशु चौहान, नितिन मलेठा के जनगीत के साथ हुई। कमला पंत ने सम्मेलन की उद्देश्य बताते हुए उत्तराखंड की विभिन्न समस्याओं को सामने रखा। कार्यक्रम का संचालन अजय जोशी ने किया।

सम्मेलन में उमा भट्ट, निर्मला बिष्ट, बीजू नेगी, राजीवलोचल शाह, पूरन बर्थवाल, गीता गैरोला, सरदार परमजीत सिंह कक्कड़, कनिका, पीयूष, अतुल सती, शिवानी पांडे, प्रकाश रावत, नीलेश राठी, जीत सनवाल, जयकृत कंडवाल, जगदीश कुकरेती, रजिया बेग, नसीमा, आरिफ खान, अकाश भारती, बॉबी पंवार, सचिन थपलियाल, गजेन्द्र बहुगुणा, पद्मा गुप्ता, जान्हवी तिवारी, जितेन्द्र भारती, अंबुज शर्मा, अजय शर्मा, केशवानन्द तिवारी, मौलाना मो. आरिफ, मीर हसन, पास्टर जसविन्दर, प्रेम बहुखंडी, नाहिद, विजय भट्ट, त्रिलोक सजवाण, शंभु प्रसाद मंमगाईं, राकेश अग्रवाल, अनंत आकाश, इंदु नौडियाल, हेमलता नेगी, सीमा नेगी कपूर रावत, उमाशंकर बिष्ट सहित सैकड़ों की संख्या में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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