महामारी के दौरन हुआ था फूल मालाओं से स्वागत, अब अधिकारियों ने दी उनकों गाय भैंस चराने की सलाह..

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रुद्रप्रयाग: कोरोना महामारी के नाजुक दौर में जिन स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना वॉरियर्स कह कर उनकी जय जयकार की जा रही थी और इन कोरोना वॉरियर्स का फूल मालाओं से सम्मान किया जा रहा था। लेकिन अब जब कोरोना का प्रकोप खत्म हो गया है तो इन वॉरियर्स को नौकरी से निकाल दिया गया है। जब नौकरी से निकाले जाने का सवाल अधिकारियों से किया गया तो अधिकारी उन्हे गाय-भैंस पालने और चराने की सलाह दे रहे हैं। अधिकारियों की इस तरह की गैर जिम्मेदाराना बयानबाजियों से कर्मचारियों में भारी आक्रोश पनप गया है। इस तरह की बयानबाजी रुद्रप्रयाग जनपद के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। कोरोना महामारी के समय ड्यूटी में तैनात कर्मचारी कोटेश्वर स्थित माधवाश्रम अस्पताल में धरने पर बैठे हुए हैं। यहां वे अपने हालातों को बयां करते हुए उनके मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।

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कोरोना काल में दो साल दी ड्यूटी- कोरोना महामारी में दो साल तक ड्यूटी देने वाले पैरा मेडिकल स्टाफ को स्वास्थ्य विभाग ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है। इन सभी ने सरकार से पुनः नौकरी पर बहाल करने की मांग की है। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से मई 2020 में कोरोना लहर को देखते हुए पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती की गई थी। सबसे बड़ी बात की यह उस समय हुआ जब भविष्य में चौथी लहर की संभावना जताई जा रही है।

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कोरोना कम हुआ तो नौकरी से निकाला- कोरोना महामारी के दौरान जनपद के 42 बेरोजगारों को संविदा के तौर पर रोजगार दिया गया था। इन स्वास्थ्य कर्मियों से रात-दिन एक कर काम करवाया गया और इन स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भी अपनी जान की परवाह किये बगैर पूरी निष्ठा के साथ कार्य किया। लेकिन अब सरकार ने इन्हें ही बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में यह स्वास्थ्य कर्मचारी आक्रोशित हैं।

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यह सभी कर्मचारी सरकार से फिर से नौकरी बहाली की मांग कर रहे हैं। धरने पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना काल में उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना काम किया। उस नाजुक दौर में हमने सरकार के कदम से कदम मिलाकर काम किया। लेकिन अब हालात सामान्य होने पर सरकार हमारा साथ छोड़ रही है। उन्होंने कहा वे कोर्स करके आये हैं जिस कोर्स को उन्होंने किया है, उसी के अनुसार ही रोजगार करना चाहते हैं। मगर कुछ अधिकारी उनसे कह रहे हैं कि वे इतने कम मेहनताने में कैसे काम कर पायेंगे। उन्हें गाय-भैंस चराने की सलाह दी जा रही है।

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स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि अधिकारियों के इस रवैये से वे काफी काफी निराशा हैं। और कहते हैं कि कोरोना के समय उन्होंने भूखे और प्यासे रहते हुए कार्य किया। यहां तक कि टिन शेड में रहकर रातें काटीं। अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर गाय-भैंस पालने की बात कही जा रही है, जो उनकी भावनाओं को आहत करने वाली बात है। अधिकारियों की इस तरह की गैर जिम्मेदाराना बयानबाजियों से कर्मचारियों में आक्रोश पनप गया है। उन्होंने कहा कोरोना में अच्छा कार्य करने पर कोरोना वॉरियर्स कहकर सम्मान किया गया। फूल-मालाओं से स्वागत किया गया और अब उन्हें निकलने के बाद बाहर का रास्ता दिखाया जाना यह उचित नहीं है।

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