गंगोत्री के अलावा इस सीट से भी जुड़ा है मिथक, जो जीता उसकी बनी सरकार..

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Hillvani-Election-2022-Uttarakhand

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उत्तराखंड़ः 2022 का रण अब दूर नहीं हैं, सभी राजनीतिक पार्टी 2022 फतेह करने के लिए जोर शोर से तैयारियां कर रही हैं। तो साथ में राजनीतिक पार्टियों में दलबदल का खेल भी जारी है। कभी कांग्रेस भाजपा पर तो कभी भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। इन दो पार्टियों के साथ कदमताल करती दिख रही हैं आम आदमी पार्टी और उत्तराखंड़ क्रांति दल… आज हम आपको बता रहें है एक और ऐसी विधानसभा सीट के बारे में जो उत्तराखंड़ सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अभी तक हम सभी यही जानते हैं कि गंगोत्री सीट के साथ ही यह मिथक जुड़ा हुआ है जहां से सरकार बनने के द्वार खुलते हैं पर एक और सीट भी है जिसपर गंगोत्री की तरह ही राज्य गठन के बाद यह मिथक जुड़ गया है। हम बात कर रहें हैं बदरीनाथ सीट की.. इस सीट पर राज्य गठन के बाद जिस भी दल का विधायक जीता, राज्य में उसी दल की सरकार चुनकर आई है।

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आपको बता दें कि बदरीनाथ विधानसभा सीट परिसीमन के कारण वर्ष 1998 में अस्तित्व में आई। इससे पहले बदरी-केदार विधानसभा सीट थी, जिसमें रुद्रप्रयाग जनपद की केदारघाटी मौजूदा समय में केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र भी शामिल थी। वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद बदरीनाथ सीट अस्तित्व में आई। फिर 2009 में परिसीमन के चलते नंदप्रयाग सीट का विलय भी बदरीनाथ में हुआ। नंदप्रयाग सीट का आधा हिस्सा बदरीनाथ से जुड़ा, जिसके बाद दशोली, पोखरी और जोशीमठ विकास खंड इस सीट में शामिल हुए। गंगोत्री की तरह ही राज्य गठन के बाद इस सीट पर भी यह मिथक जुड़ गया है कि बदरीनाथ सीट से जिस भी दल का विधायक जीता, राज्य में उसी दल की सरकार चुनकर आती है। इस सीट पर जनता ने भाजपा और कांग्रेस को बारी-बारी से मौका दिया है।

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उत्तराखंड़ राज्य गठन के बाद जब प्रदेश में पहले विधानसभा चुनाव हुए तो बदरीनाथ सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी अनसूया प्रसाद मैखुरी ने चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। उस समय कांग्रेस की नारायण दत्त तिवारी वाली सरकार बनी। 2007 में बदरीनाथ सीट पर भाजपा के प्रत्याशी व पूर्व विधायक केदार सिंह फोनिया फिर एक बार फिर जीत कर आए और भाजपा की सरकार बनी। वहीं 2012 फिर कांग्रेस के राजेंद्र सिंह भंडारी ये सीट जीत कर आए। 2017 में फिर इस सीट पर कब्जा जमाया भाजपा के महेंद्र प्रसाद भट्ट ने और सरकार बनी भाजपा की। अब यह देखना है कि राज्य गठन के बाद मिथक से जुड़ती यह सीट आगे भी अपना मिथक कायम रखती है। इस सीट पर यह भी कहा जाता है कि जिस पर भी भगवान बदरीनाथ का आश्रीवाद होता है वही जीतता है।

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बदरीनाथ सीट पर अब तक के विधायक
राज्य बनने से पहले– केदार सिंह फोनिया (भाजपा)-1991, 1993- (उपचुनाव), 1996..
राज्य बनने के बाद
अनसूया प्रसाद मैखुरी – 2002- कांग्रेस
केदार सिंह फोनिया- 2007- भाजपा
राजेंद्र सिंह भंडारी- 2012- कांग्रेस
महेंद्र प्रसाद भट्ट- 2017- भाजपा
कुल मतदाता- 102128
पुरुष-52626
महिला-49499
अन्य-तीन

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