उत्तराखंड: यहां महसूस किए गए भूकंप के झटके, भारत-नेपाल सीमा था केंद्र.
पिथौरागढ़: भूकंप के झटकों से एक बार फिर उत्तराखंड की धरती डोल गई। सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में देर रात 12:39 पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। अधिकांश लोगों के नींद में होने से इसका आभास नहीं हुआ। जिला मुख्यालय सहित मुनस्यारी और धारचूला में भी भूकंप महसूस किया गया। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार भूकंप से क्षति की सूचना कहीं से प्राप्त नहीं हुई है। भूकंप का केंद्र भारत-नेपाल सीमा थी।
भूकंप की तीव्रता 4.1रिक्टर स्केल थी
मिली जानकारी के अनुसार भूकंप का केंद्र पिथौरागढ़ में था। इसकी गहरी 10 किमी थी और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.1 मापी गई। भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड राज्य बेहद संवेदनशील है। राज्य का अधिकतर क्षेत्र जोन चार और पांच में आता है। वहीं उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर में अक्सर हल्के भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।
भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है उत्तराखंड
भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड संवेदनशील है। बागेश्वर जिला भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है। इसी साल 12 फरवरी को भी उत्तराखंड के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
इस माह पहले भी भूकंप के झटकों से डोली थी उत्तराखंड की धरती
इससे पहले विगत पांच दिसंबर को भी उत्तराखंड की धरती भूकंप के झटकों से डोली थी। तब उत्तरकाशी और टिहरी जिले में देर रात भूकंप का झटके महसूस किए गए थे। जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमान पर 3.8 रही थी। 24 सितंबर को भी पिथौरागढ़ में भूकंप का झटका महसूस किया गया था। जिसकी तीव्रता भी 3.8 थी। यह भूकंप पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी, मदकोट, नाचनी, बंगापानी, डीडीहाट, कनालीछीना सहित विभिन्न हिस्सों में महसूस किया गया था।
ग्लेशियरों के लिए भी खतरा है भूकंप
हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों के लिए भी छोटे भूकंप खतरा बन सकते हैं। ढाई से तीन रिक्टर स्केल तक भूकंप आना आम बात है। इतनी कम तीव्रता के भूकंप महसूस नहीं होते हैं, लेकिन ये ग्लेशियरों में कंपन पैदा कर उनको कमजोर बनाते हैं, जिससे ग्लेशियर धीरे-धीरे कमजोर पड़ जाते हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की दशा में ग्लेशियरों के टूटने की आशंका ज्यादा रहती है।
इसलिए आते हैं इस क्षेत्र में भूकंप
वैसे भी हिमालयी क्षेत्र में इंडो-यूरेशियन प्लेट की टकराहट के चलते जमीन के भीतर से ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। जिस कारण भूकंप आना स्वाभाविक है। पिछले रेकार्ड देखें तो करीब नौ झटके सालभर में महसूस किए जा सकते हैं। भूकंप राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच में आया है और इससे स्पष्ट भी होता है कि भूगर्भ में तनाव की स्थिति लगातार बनी है। पिछले रिकॉर्ड भी देखें तो अति संवेदनशील जिलों में ही सबसे अधिक भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं।


 
                       
                       
                       
                       
                       
                       
                      