Ayushman Bharat yojana : उत्तराखंड के पांच पर्वतीय जिलों में एक भी निजी अस्पताल आयुष्मान के लिए पंजीकृत नही..
Ayushman Bharat yojana : उत्तराखंड के 5 जिलों के निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं मिल रहा है। इन जिलों के कई निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के तहत पंजीकरण नहीं कराया है। जिसके कारण मरीजो को इलाज और उपचार के लिए देहरादून, ऋषिकेश और दिल्ली की ओर रुख करना पड़ता है।
उत्तराखंड की जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं। राज्य के खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का बड़ा अभाव है। जहां कई राजकीय चिकित्सालयों में पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं है। जबकि प्रदेश के कई पर्तवीय जिले ऐसे हैं जहां आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज ही नहीं हो रहा है।
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पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पतालों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ कमी | Ayushman Bharat yojana
प्रदेश के पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करना सरकार के लिए शुरू से ही एक बड़ी चुनौती रही है। क्योंकि शुरू से ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पहाड़ चढ़ने से कतराते रहे हैं, जिसके चलते पर्वतीय क्षेत्रों पर हमेशा ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी होती रही है। कई जगहों पर पैरामेडिकल स्टाफ है तो डॉक्टर्स नहीं है। कई जगहों पर कहीं डॉक्टर हैं तो पैरामेडिकल स्टाफ नहीं है। इसके अलावा कई राजकीय चिकित्सालय ऐसे भी हैं। जहां एक्स-रे मशीन तो है लेकिन एक्स-रे टेक्नीशियन नहीं है।
पर्वतीय क्षेत्रों से इलाज के देहरादून का रुख कर रहे मरीज | Ayushman Bharat yojana
यही कारण है कि पर्वतीय क्षेत्रों में मरीज को निजी अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है। लेकिन कई ऐसे भी है जिनके पास निजी अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए पैसे नहीं होते हैं। वो देहरादून की तरफ रुख करते हैं। ताकि देहरादून स्थित जिला अस्पताल या दून मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज करा सके। इसके अलावा, देहरादून के निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड के जरिए आसानी से इलाज हो जाता है।
5 पर्वतीय जिलों में एक भी निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के लिए पंजीकृत नही | Ayushman Bharat yojana
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड के 5 पर्वतीय जिले ऐसे हैं, जहां पर आयुष्मान योजना के तहत एक भी निजी अस्पताल पंजीकृत नहीं है। जिसमें उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और बागेश्वर जिला शामिल है। ऐसे में इन जिलों के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार राज्य की चिकित्सालय में इलाज न मिलने पर मरीज फिर सीधे देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और दिल्ली की ओर करता है। ताकि अटल आयुष्मान कार्ड के जरिए मरीज का निशुल्क उपचार किया जा सके।
क्लेम मैनेजमेंट निदेशक वीएस टोलिया ने बताया कि पांच जिले ऐसे हैं, जहां मौजूद निजी अस्पताल, आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत नहीं है। जिसकी मुख्य वजह यही है कि निजी अस्पतालों के संचालकों की ओर से आवेदन ही नहीं किया गया है। जबकि मैदानी जिलों के सापेक्ष पर्वतीय जिलों में मौजूद निजी अस्पतालों को अटल आयुष्मान के जरिए इलाज पर अधिक धनराशि दी जाती है।
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