टिहरी झील में मांसाहारी भोजन और मल-मूत्र डालने पर हाइकोर्ट सख्त, PCB से मांगी जांच रिपोर्ट..
High Court strict on dumping non-veg food in Tehri Lake : टिहरी झील में मांसाहारी भोजन और मल-मूत्र डालने का मामला अब कोर्ट तक पहुंच गया है। गुरुवार को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की। हाई कोर्ट ने टिहरी जिले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) को पांच जनवरी तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी की प्रयोगशाला से जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
बता दे कोर्ट को शिकायत मिली थी कि भागीरथी नदी पर बनी टिहरी झील में फ्लोटिंग हट्स व रेस्टोरेंट संचालकों की ओर से मांसाहारी भोजन का अवशेष और मल-मूत्र डाले जा रहे हैं, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हो रही हों।
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15 और 16 दिसंबर को क्षेत्र का औचक निरीक्षण किया था | High Court strict on dumping non-veg food in Tehri Lake
उत्तराखंड कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि वहां पर किस तरह की गतिविधियां नहीं चल रही हैं, इसके बारे में भी जानकारी दें। गुरुवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पक्ष रखा। कोर्ट ने बताया कि पीसीब (Uttarakhand Pollution Control Board) की टीम ने 15 और 16 दिसंबर को क्षेत्र का औचक निरीक्षण किया था। वहां पर स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की लैब रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। रिपोर्ट आने के बाद भी अगर दोबारा निरीक्षण की जरूरत पड़ती है तो बोर्ड जांच को तैयार है।
पौड़ी गढ़वाल निवासी नवीन सिंह राणा की ओर से जनहित याचिका दाखिल कर कहा गया है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी झील में फ्लोटिंग हट्स व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट चलाने की अनुमति दी, लेकिन इस अनुमति का दुरुपयोग किया जा रहा है।
मांसाहारी भोजन बनाकर उसका वेस्ट पवित्र नदी भागीरथी में बहा रहे | High Court strict on dumping non-vegetarian food in Tehri Lake
याचिका में कहा गया कि तमाम रेस्टोरेंट मांसाहारी भोजन बनाकर उसका वेस्ट पवित्र नदी भागीरथी में बहा रहे हैं। यही नहीं फ्लोटिंग हट्स से मल-मूत्र भी नदी में डाला जा रहा है। सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जो लाइसेंस दिया है, उससे लाखों सनातनियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है। सनातनी नदी में नहाने से पहले उसकी पूजा करते है और चप्पल व जूते उतारकर स्नान करते हैं। जबकि फ्लोटिंग हट्स व रेस्टोरेंट की गंदगी से नदी को अपवित्र किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता ने इस पर रोक लगाए जाने को लेकर केंद्र सरकार, राज्य के मुख्य सचिव तथा जिलाधिकारी को पत्र भेजा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस वजह से उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
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