उत्तराखंडः महंगी बिजली के लिए रहें तैयार.. UPCL और सरकार के बीच फंसे उपभोक्ता..
उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिल सकती है। बिजली दरों में इजाफा हो सकता है। ऊर्जा निगम के 4042 करोड़ के यूपी के समय से चले आ रहे बकाया को एडजस्ट किए जाने के प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने सवाल उठाए हैं। अगर यह रकम शासन के बिलों में एडजस्ट नहीं होती है तो इस 4042 करोड़ का भार आम उपभोक्ताओं पर महंगे बिजली बिलों के रूप में पड़ना तय है। 23 साल पहले यूपी से अलग होने के बाद अक्तूबर 2003 में एक समझौता हुआ था। इसके तहत यूपीसीएल को असेट और देनदारियां दोनों मिलीं। असेट के रूप में 508 करोड़ रुपये शासन को देने थे, जो बाद में दोबारा आंकलन होने पर 1058 करोड़ रुपये तय हुए। 2012 में ट्रांसफर स्कीम के तहत बाकायदा 1058 करोड़ का शासनादेश हुआ।
हालांकि विधिवत नोटिफिकेशन नहीं होने से उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने इसका भार बिजली बिलों में डालने नहीं दिया। 2022 में इसका बाकायदा नोटिफिकेशन भी हो गया है। इस बीच बढ़ते-बढ़ते ये रकम 4042 करोड़ पहुंच गई है। ये रकम इतनी बढ़ गई है कि यदि इसका भार उपभोक्ताओं पर डाला जाता है तो बिजली बिलों की दरों में 42 प्रतिशत तक का इजाफा हो जाएगा। ऊर्जा विभाग ने बीच का रास्ता निकालते हुए प्रस्ताव तैयार किया। इसमें सरकार से कहा गया कि ऊर्जा निगम को जो चार हजार करोड़ रुपये शासन को इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, ग्रीन सेस, वॉटर सेस, फ्री पावर के नाम पर देने हैं, उसे इसी 4042 करोड़ रुपये में एडजस्ट कर लिया जाए। प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में भी गया, लेकिन वित्त विभाग की आपत्ति के कारण अटक गया।
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इस मामले में यूपीसीएल और शासन दोनों पैसा देने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में उपभोक्ता इन दोनों के बीच फंस गया है। यूपीसीएल को हर साल सरकार को करीब 900 करोड़ रुपये देने होते हैं, जो वो नहीं दे पाता। इससे बकाया चार हजार करोड़ पार कर गया है। दूसरी ओर यूपी के साथ ट्रांसफर स्कीम के तहत शासन को भी यूपीसीएल को 4042 करोड़ रुपये लौटाने हैं। इसके लिए वित्त विभाग तैयार नहीं है। वहीं सचिव ऊर्जा आर. मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि वित्त विभाग की ओर से जो सवाल उठाए गए हैं, उनका जवाब दिया जा रहा है। यदि भविष्य में उपभोक्ताओं पर बहुत अधिक भार पड़ने की स्थिति आती है तो सब्सिडी देकर भी राहत देने की राह निकाली जा सकती है। फिलहाल वित्त का जवाब तैयार किया जा रहा है।
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