उत्तराखंडः गेवाड घाटी में दबा है एक ऐतिहासिक शहर! ASI इसे लायेगी दुनिया के सामने…

0
Gevad Valley Almora. Hillvani News

Gevad Valley Almora. Hillvani News

उत्तराखंड की धरती अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। यहां प्रागैतिहासिक काल के सबूत मिलते रहे हैं, कुमाऊं सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में भी एक पौराणिक शहर होने की संभावना जताई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में रामगंगा नदी (Ramganga River) के तट पर स्थित गेवाड घाटी में खुदाई की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है। एएसआई को भरोसा है कि गेवाड घाटी की मिट्टी के नीचे एक बहुत पुराना शहर ( Ancient City) दबा हो सकता है। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एएसआई के अधिकारियों ने कहा कि एएसआई विशेषज्ञों की एक टीम पहले ही घाटी का सर्वेक्षण कर चुकी है और खोई हुई बस्ती का पता लगाने की कवायद जल्द ही शुरू हो सकती है। एएसआई ने बताया कि इस इलाके के बारे में सर्वेक्षण रिपोर्ट काफी ठोस है।

यह भी पढ़ेंः Ankita Bhandari Murder Case: SDM और विधायक के कहने पर वनंत्रा रिजॉर्ट में चली जेसीबी..

एएसआई (Archaeological Survey of India) ने कहा कि चौखुटिया इलाके के तहत आने वाली घाटी के आगे के अध्ययन के लिए एक उन्नत सर्वेक्षण चल रहा है। खुदाई के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। एएसआई के एक अधिकारी ने कहा कि रामगंगा नदी के साथ 10 किमी तक फैले इस इलाके में समतल जमीन है। जिसमें 9वीं और 10वीं शताब्दी के कई मंदिर हैं। इनको कत्यूरी शासकों ने बनावाया था। सदियों पुराने मंदिरों के समूह की मौजूदगी यह दिखाती है कि मंदिरों के बनने से पहले भी वहां कोई सभ्यता रही होगी। एएसआई को हाल ही में कई छोटे मंदिर मिले हैं, जिनकी ऊंचाई एक से दो फीट है। इससे पहले भी 1990 के दशक में उस इलाके में एक सर्वेक्षण किया गया था। गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग ने 9वीं शताब्दी में बने गणेश के एक मंदिर और नाथ संप्रदाय के सात अन्य मंदिरों का पता लगाया था। जिससे पता चलता है कि उस इलाके में मानव निवास मौजूद था। 1993 में हुए इस सर्वे में हिस्सा लेने वाली टीम को खुदाई के दौरान माध्यम आकार की कब्रें और बड़े जार मिले, जिनमें मृतकों के अवशेष रखे गए थे।

यह भी पढ़ेंः हर नागरिक पर 1.40 लाख का कर्ज.. भारत पर बढ़ा कर्ज का बोझ, इतने लाख करोड़ पहुंचा आंकड़ा..

सर्वे टीम को चित्रित मिट्टी के बर्तन और कटोरे भी मिले। ये मेरठ के हस्तिनापुर और बरेली के अहिच्छत्र में गंगा के दोआब (Gangetic Doab) में पाए जाने वाले मिट्टी के बर्तनों के समान हैं, जो पहली-पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व के हैं। हालांकि उस समय वहां कोई मानव बस्ती नहीं मिली। मगर सर्वे के नतीजों से संकेत मिलता है कि एक खोया हुआ शहर खुद को खोजे जाने का इंतजार कर रहा है। यह एएसआई के लिए एक बड़ी सफलता हो सकती है। विशेष रूप से हाल ही में उसी इलाके में एक 1.2 मीटर ऊंचा और लगभग 2 फीट व्यास का विशाल शिवलिंग मिला है। पुरातत्वविदों के अनुमान के मुताबिक दुर्लभ शिवलिंग 9वीं शताब्दी का है और यह कत्यूरी शासकों के मंदिरों में से एक का था, जो बाद में गायब हो गया।

यह भी पढ़ेंः पांच साल से कम उम्र के बच्चों का आधार कार्ड बनाना हुआ आसान, जानें, ऐसे मिलेगी घर बैठे फ्री सुविधा..

वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के देहरादून सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद मनोज सक्सेना कहते हैं कि अगर हमें कोई ठोस सबूत मिलता है तो मामले में आगे बात करेंगे और तब खुदाई की परमिशन के लिए बात करेंगे। उनका कहना है कि जानकारों और उस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर लगता है कि नदी किनारे कभी कोई सभ्यता रही होगी। इसीलिए कई पहलुओं को देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। बता दें कि गेवाड़ घाटी में चौखुटिया विकासखंड, द्वाराहाट में तड़गताल, नैगड़, जौरासी, नैथना, खिड़ा, मासी तक के क्षेत्र शामिल हैं। अब यहां जमीन में दफ्न पुराने शहर के सबूत तलाशे जा रहे हैं। आने वाले समय में गेवाड़ घाटी का कोई पुराना शहर (Almora Survey ASI) दुनिया के सामने आ सकता है, जो कि उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।

यह भी पढ़ेंः धामी कैबिनेट की बैठक में इन 19 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर लगी मुहर, पढ़ें…

Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिलवाणी में आपका स्वागत है |

X