उत्तराखंड: प्रत्येक जनपद के 2 उत्पादों को मिलेगी पहचान, धामी सरकार ने शासनादेश किया जारी..

0

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखण्ड में “एक जनपद दो उत्पाद” (ONE DISTRICT TWO PRODUCTS) योजना संबंधी शासनादेश जारी कर दिया गया है। मुख्यमंत्री की विशेष प्राथमिकता के आधार पर राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत बाजार में मांग के अनुरूप कौशल विकास, डिजाइन विकास, रॉ मैटेरियल के ज़रिए नई तकनीक के आधार पर प्रत्येक जिले में दो उत्पादों का विकास किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस योजना पर लागू करने के पीछे उद्देश्य उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में वहां के स्थानीय उत्पादों को पहचान के अनुरूप परंपरागत तथा शिल्प उद्योग का विकास करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “वन डिस्ट्रिक्ट टू प्रॉडक्ट्स” से स्थानीय काश्तकारों एवं शिल्पकारों को जहां एक ओर स्वरोजगार के अवसर पैदा होंगे वहीं दूसरी ओर हर जिले में स्थानीय उत्पाद की विश्वस्तरीय पहचान बन सकेगी।

यह भी पढ़ें: Health Tips: इन 7 आदतों को बना लें अपना दोस्त, रोज-रोज नहीं लेनी पड़ेगी BP की दवा..

सचिव अमित नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि अल्मोड़ा में ट्वीड एवं बाल मिठाई, बागेश्वर में ताम्र शिल्प उत्पाद एवं मंडवा बिस्किट, चंपावत में लौह शिल्प उत्पाद एवं हाथ से बने उत्पाद, चमोली में हथकरघा-हस्तशिल्प उत्पाद तथा एरोमेटिक हर्बल प्रोडक्ट को एमएसएमई विभाग द्वारा एक जिला दो उत्पाद के तहत चिन्हित किया गया है। सचिव अमित नेगी ने बताया कि देहरादून में बेकरी उत्पाद एवं मशरूम उत्पादन, हरिद्वार में जगरी एवं शहद उत्पाद, नैनीताल में ऐपण कला एवं कैंडल क्राफ्ट, पिथौरागढ़ में ऊन के उत्पाद एवं मुंस्यारी राजमा को इस योजना के तहत चिन्हित किया गया है। इसी प्रकार पौड़ी जिले में हर्बल उत्पाद एवं लकड़ी के फर्नीचर संबंधित उत्पाद, रुद्रप्रयाग में मंदिर कलाकृति हस्तशिल्प एवं प्रसाद सम्बंधी उत्पादों, टिहरी जिले में नेचुरल फाइबर प्रोडक्ट्स एवं टिहरी नथ, ऊधम सिंह नगर में मेंथा आयल एवं मूँज ग्रास प्रोडक्ट, उत्तरकाशी में ऊन हस्तशिल्प एवं एप्पल बेस्ड प्रोडक्ट को इस योजना के तहत चयनित किया गया है।

यह भी पढ़ें: बड़ी खबर: आपदा प्रभावितों की बढ़ाई गई सहायता राशि, मुख्यमंत्री धामी ने लिया फैसला..

उत्तराखंड में कुल 13 जनपदों में उधम सिंह नगर तथा हरिद्वार का संपूर्ण भू भाग मैदानी तथा जनपद नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल तथा देहरादून का कुछ भाग मैदानी और कुछ पर्वतीय क्षेत्रों को लेकर तैयार की गई इस योजनाओं के अनुसार राज्य गठन से पूर्व प्रदेश के मैदानी जनपदों को छोड़कर अन्य सभी पर्वतीय जनपदों में स्थानीय मांग पर आधारित सूक्ष्म लघु उद्योग जिनमें वुडन, फर्नीचर, स्टील फर्नीचर, खाद्यान्न, फल प्रसंस्करण, बेकरी, वूलन, सोल कालीन, डेकोरेटिव, कैंडल, हथकरघा स्थापित थे। लेकिन राज्य गठन के पश्चात बदली परिस्थितियों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास राज्य में पर्यटन आवागमन तथा ऑनलाइन मार्केटिंग की बढती सुविधा विकसित होने से राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथकरघा हस्तशिल्प सोविनियर उद्योगों में उत्पादित उत्पादों का रुझान बढ़ा है।

यह भी पढ़ें: Health Tips: शरीर में दिखें ये 4 लक्षण तो खराब आंतों का है संकेत, तो अपनाएं ये 3 आसान उपाय..

जिसके चलते हस्त कला के रूप में एप्पण, बैंबू तथा मूंझ घास से निर्मित उत्पादों लकड़ियों के कलात्मक आकृतियों तथा जैविक उत्पादों को सोविनियर के रूप में पहचान मिली है। यदि इन उद्योगों को समुचित तकनीकी प्रशिक्षण, डिजाइन, विकास, कच्चे माल की आसानी से उपलब्धता तथा नवोन्मेष के आधार पर पूर्ण स्थापित किया जाता है तो उनके उत्पादों को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता और स्थानीय स्तर पर मूल्य संवर्धन के साथ-साथ रोजगार के अधिक अवसर सृजित होंगे जिसको लेकर के सरकार ने बड़ी पहल करते हुए प्रत्येक जनपद में दो उत्पाद योजनाएं प्रारंभ की है जिसका आज शासनादेश जारी किया गया है।

यह भी पढ़ें: Health Tips: फिट रहना चाहते हैं तो जानें किन चीजों को खाली पेट खाएं और किसे नहीं?

Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिलवाणी में आपका स्वागत है |

X